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IIT Bhilai की स्वदेशी तकनीक से कम होगी कॉल ड्रॉप की समस्या, मोबाइल टावर के सिग्नल जाम होने पर तुरंत मिलेगी सूचना

आईआईटी भिलाई में विकसित एआई आधारित तकनीक से कॉल ड्रॉप और नेटवर्क की समस्याओं से निपटने में सुगमता होगी। इस नवोन्मेष की एक और सकारात्मक बात आईआईटी जैसे उच्च भारतीय शिक्षण संस्थानों की विदेश में बढ़ती साख भी है। मोदी सरकार द्वारा आरंभ किए गए नए संस्थानों में शामिल आईआईटी भिलाई ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय परियोजना में यह तकनीक इजरायल की कंपनी रेडकॉम के लिए विकसित की है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 04 Dec 2023 06:27 PM (IST)
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मोबाइल डाटा एनालिसिस के दस्तावेज। फोटो- आइआइटी।

टी. सूर्याराव, भिलाई। भारत में मोबाइल धारकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और बातचीत के साथ आडियो-वीडियो सूचनाएं साझा करने में भी फोन का प्रयोग बढ़ रहा है। एक बड़ी समस्या कॉल ड्राप और नेटवर्क की सामने आती है। अब आईआईटी भिलाई में विकसित एआई आधारित तकनीक से इन दोनों समस्याओं से निपटने में सुगमता होगी।

इजरायली कंपनी के लिए विकसित हुई है तकनीक

इस नवोन्मेष की एक और सकारात्मक बात आईआईटी जैसे उच्च भारतीय शिक्षण संस्थानों की विदेश में बढ़ती साख भी है। मोदी सरकार द्वारा आरंभ किए गए नए संस्थानों में शामिल आईआईटी भिलाई ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय परियोजना में यह तकनीक इजरायल की कंपनी रेडकॉम के लिए विकसित की है।

शोध-अनुसंधान संस्कृति को मिलेगा संबल

यह केंद्र सरकार के शोध-अनुसंधान संस्कृति विकसित करने की दिशा में अहम कदम है। इससे आईआईटी भिलाई को प्रतिवर्ष 60 लाख रुपये की आय भी होगी। एसोसिएट प्रोफेसर डा. गगन राज गुप्ता के निर्देशन में आईआईटी भिलाई के विज्ञानियों की टीम ने यह तकनीक विकसित की है, जो 4जी और 5जी नेटवर्क के लिए काफी उपयोगी साबित होगी।

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मोबाइल टावर जाम होने की मिलेगी जानकारी

मोबाइल टावर जाम होने के स्थान की जानकारी इससे तत्काल मिल जाएगी। साथ ही, खराबी कहां है, यह जानकारी भी पलक झपकते ही मिलेगी। इससे कॉल ड्राप, मोबाइल डाटा एनालिसिस, वीडियो-वाइस संदेशों की गुणवत्ता जैसी समस्याओं शीघ्र समाधान किया जा सकेगा। नेटवर्क आपरेशन में यह तकनीक बहुत ही कारगर साबित होगी। अमेरिका, जापान और रूस में इस तकनीक का उपयोग किया जाता है, लेकिन वह काफी महंगी है। भारतीय संस्थान में बनी तकनीक कम खर्च वाली है।

नहीं होगी कॉल ड्रॉप की समस्या

नई तकनीक के बाद मोबाइल कॉल ड्रॉप की समस्या 0.5 प्रतिशत से भी कम रह जाएगी। तकनीक विकसित करने वाले विज्ञानियों के अनुसार मोबाइल में सिग्नल कम होने की समस्या भी नहीं रहेगी, क्योंकि जिस मोबाइल टावर पर उपभोक्ताओं की संख्या अधिक होगी, वहां से कॉल दूसरे टावर में स्थानांतरित कर दी जाएगी।

चैटबाट के माध्यम से कार्य करती है तकनीक

यह तकनीक चैटबाट के माध्यम से कार्य करती है, जिसमें आपरेटर नेटवर्क की सूचनाओं को अपलोड करके समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव मांगता है। चैटबाट सुझाव देता है, वर्कफ्लो को सुव्यवस्थित करने में मदद करता है और कर्मचारियों को आनबोर्डिंग, डेटा पुनर्प्राप्ति और संतुष्टि सर्वेक्षण में सहायता कर सकता है।

इस तकनीक से मोबाइल उपयोगकर्ताओं और इंटरनेट उपभोक्ताओं को काफी सुविधा होगी। संवाद ही नहीं, वीडियो क्वालिटी भी काफी अच्छी होगी। -डा. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर आईआईटी भिलाई

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