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CG News: शिकायतकर्ता व गवाह पलट जाएं तो भी साक्ष्य सजा के लिए पर्याप्त, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि ट्रायल के दौरान शिकायतकर्ता और गवाह अपने कथन से पलट जाएं तो भी पुलिस की विवेचना और अन्य साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्धि की जा सकती है। बेंच ने आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ पेश अपील पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी करते हुए निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 15 Feb 2024 07:19 PM (IST)
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शिकायतकर्ता व गवाह पलट जाएं तो भी साक्ष्य सजा के लिए पर्याप्त। (फाइल फोटो)
राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि ट्रायल के दौरान शिकायतकर्ता और गवाह अपने कथन से पलट जाएं तो भी पुलिस की विवेचना और अन्य साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्धि की जा सकती है। बेंच ने आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ पेश अपील पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी करते हुए निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है।

मामला छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के केकराभाठा गांव का है। वहां पत्नी के चरित्र पर संदेह करने वाला एक व्यक्ति अपनी मौसी को इस बात के लिए उत्तरदायी मानता था कि वह गलत कामों में उसकी पत्नी की सहायता करती है। इस बात को लेकर हुए विवाद में उसने अपनी मौसी की हत्या कर दी थी। इस वारदात के बाद उसकी मां ने उसके खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

ट्रायल के दौरान मां अपने बयान से पलट गई

अपर सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में ट्रायल के दौरान मां अपने बयान से पलट गई। इस पर कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत अन्य दस्तावेज के आधार पर आरोपित को आजीवन कारावास से दंडित किया। दोषी की ओर से इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने अपील को खारिज करते हुए दोषी को मिली आजीवन कारावास की सजा को यथावत रखा है।

दो गवाह पलटे, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को बड़ा आधार माना

इस प्रकरण में दो प्रमुख गवाह अपने कथन से पलट गए। हत्या की रिपोर्ट लिखाने वाली दोषी की मां के अतिरिक्त दोषी की पत्नी ने भी ट्रायल के दौरान अभियोजन में दर्ज अपने बयानों का समर्थन नहीं किया। हत्या के बाद घटनास्थल पर पहुंचे एक ग्रामीण ने कोर्ट में बताया कि जब वह घटनास्थल पर गया था, तब अपीलकर्ता एक हथियार के साथ बाहर आया और उन्हें बताया कि उसने अपनी मौसी की हत्या कर दी है।

निचली अदालत ने ग्रामीण के कथन के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिस्थितजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्धि की थी।

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