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'शादी के लिए बीमारी छिपाना क्रूरता, लौटाना होगा स्त्रीधन', वैवाहिक जिंदगी पर टिप्पणी कर HC ने दी तलाक की मंजूरी

विवाह से पहले किसी भी पक्ष द्वारा बीमारी को छिपाना धोखा है और यह शादी को रद करने का कारण बनता है। ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। याचिका शादी के बाद तलाक के लिए लगाई गई थी। याचिका में महिला ने कहा कि उसके पति ने मिर्गी की बीमारी की बात छिपाकर शादी की थी।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 14 May 2024 08:01 PM (IST)
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विवाह से पहले बीमारी को छिपाना धोखा है और यह शादी को रद करने का कारण बनता है।
किशन शर्मा, जागरण, बिलासपुर। विवाह से पहले किसी भी पक्ष द्वारा बीमारी को छिपाना धोखा है और यह शादी को रद करने का कारण बनता है। ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। याचिका शादी के बाद तलाक के लिए लगाई गई थी।

इस याचिका में महिला ने कहा था कि उसके पति ने अपनी मिर्गी की बीमारी की बात छिपाकर शादी की थी। महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में युवक द्वारा बीमारी छिपाकर विवाह करने को क्रूरता माना है। इसके साथ ही पत्नी के विवाह विच्छेद (तलाक) की मांगी गई अनुमति को स्वीकृत किया है।

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कोर्ट ने अहम टिप्पणी में क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता उस स्त्रीधन को प्राप्त करने का अधिकारी है जो उसे विवाह के समय दिया गया था। निर्णय के दो महीने के भीतर स्त्रीधन को लौटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह निश्चित रूप से महिला के वैवाहिक जीवन में यातना के समान है। यह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता की श्रेणी में आता है। महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने कहा, "यह निश्चित रूप से महिला के वैवाहिक जीवन में यातना के समान है। यह हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता की श्रेणी में आता है।"

कोर्ट ने याचिकाकर्ता पत्नी को 7.50 लाख रुपए के साथ स्त्रीधन को वापस पाने का अधिकारी भी माना है।महिला का विवाह 28 जून, 2020 को हुआ था। याचिका के अनुसार, पति की बीमारी को उनके स्वजन से छिपाकर बलपूर्वक विवाह करा दिया गया। वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान रात लगभग 8.30 बजे पति का शरीर अकड़ने के साथ ही झटके खाने लगा। महिला के पिता व स्वजन ने जब पति के संबंधियों से बात की तो वर के पिता और बड़े पिता ने सामान्य घटना कहते हुए बीमारी को छिपा लिया और रस्में शुरू करा दी। विवाह की रस्में निभाते समय पति में फिर से मिर्गी के लक्षण विकसित हो गए, इसलिए औपचारिक समारोह रोक दिया गया। दबाव के बीच जबरन विवाह संपन्न करा दिया।

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याचिका में पीड़ित महिला ने क्या कहा?

याचिकाकर्ता पत्नी ने अपनी याचिका में इस बात का भी जिक्र किया है कि वह पति की बीमारी के बाद मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार थी कि अच्छे से अस्पताल में इलाज कराएंगी। विवाह के बाद जब पति के इलाज के लिए ससुराल वालों से बात की तो उनका व्यवहार बदल गया और उसे घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यहां तक कि पिता या भाई के आने के बाद भी मिलने नहीं दिया जाता था।

विवाह में महिला के पिता ने साढ़े सात लाख रुपये नकद और 18 ताला स्वर्ण आभूषण भी दिए थे। रक्षाबंधन के समय महिला के भाई के आने पर गांव के कुछ लोगों के साथ हुई बैठक में ससुराल वालों ने विवाह में मिले स्वर्ण आभूषण को रखकर उसे मायके जाने दिया। फिर महिला ने कोर्ट में तलाक के लिए याचिका लगाई थी।

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