झलियामारी कांड के पांच आरोपियों को मिली जमानत
By Edited By: Updated: Fri, 18 Jul 2014 01:44 AM (IST)
बिलासपुर [निप्र]। बस्तर के झलियामारी बालिका आश्रम की बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म कांड के साक्ष्य छिपाने और जांच को प्रभावित करने के 5 आरोपियों को हाईकोर्ट की युगलपीठ ने जमानत दे दी। इनमें निलंबित बीईओ, एबीईओ, सहायक शिक्षक व उपसरपंच शामिल हैं। जगदलपुर के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पांचों आरोपियों को अलग-अलग मामलों में तीन साल 6 महीने और पांच साल की सजा सुनाई थी।
दो साल पहले बस्तर के झलियामारी बालिका आवासीय छात्रावास में आश्रम अधीक्षिका श्रीमती बबीता मरकाम की मौजूदगी में वहां पदस्थ शिक्षाकर्मी व एक चौकीदार बालिकाओं को डरा धमकाकर दैहिक शोषषण कर रहे थे। इस मामले का भंडाफोड़ होने के बाद पुलिस जांच के बाद आश्रम अधीक्षिक, सहायक शिक्षक व इस घटना में लिप्त चौकीदार के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया था। इसके अलावा साक्ष्य छिपाने और जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में विकासखंड शिक्षाधिकारी तमेन सिंह नवरत्न, सहायक विकासखंड शिक्षाधिकारी जितेंद्र नायक, सहायक शिक्षक फादर कतनाम, उप सरपंच सुकालू व ग्रामीण लच्छू के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने भादवि की धारा 201, 384 506 बी व 120 बी के तहत जुर्म दर्ज कर आठों आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया था। इस बीच शासन ने बीईओ, एबीईओ, सहायक शिक्षक को निलंबित कर दिया था। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदलपुर ने आश्रम अधीक्षिका, घटना में लिप्त सहायक शिक्षक व चौकीदार को 10-10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा साक्ष्य छिपाने व जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में निलंबित शिक्षा विभाग के अधिकारियों, निलंबित सहायक शिक्षक, उप सरपंच व ग्रामीण को अलग-अलग धाराओं में तीन साल 6 महीने व 5 साल की सजा सुनाई थी। पांचों आरोपियों ने अपने वकील संदीप श्रीवास्तव के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमानत की गुहार लगाई थी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सामूहिक बलात्कार की इस घटना की जानकारी होने के बावजूद भय व अन्य कारणों के चलते उसने इसकी जानकारी किसी अन्य को नहीं दी। साक्ष्य छिपाने के अलावा जांच में इन्हीं सब कारणों के चलते वे लोग बचते रहे। याचिकाकर्ताओं ने इस गलती के लिए माफी मांगी और कहा कि इस अपराध में वे डे़़ढ साल से भी अधिक तक सजा काट चुके हैं। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस नवीन सिन्हा व जस्टिस आरएन चंद्राकर की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
युगलपीठ ने माना कि आरोपियों ने साक्ष्य छिपाने का अपराध किया है। उन्होंने पांचों आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया है।
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