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Akaltara News: नोएडा का मिथक योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा, क्या अकलतरा का तोड़ेंगे भूपेश बघेल

Akaltara News नोएडा के बारे में यह मिथक प्रचलित था कि वहां जो भी पदासीन मुख्यमंत्री जाता है वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता। इस मिथक को वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा है। ऐसा ही मिथक छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की अकलतरा नगर पालिका को लेकर है।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Sun, 13 Nov 2022 09:41 PM (IST)
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नोएडा का मिथक योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा, क्या अकलतरा का तोड़ेंगे भूपेश बघेल। फाइल फोटो

जांजगीर-चांपाडा, कोमल शुक्ला। Akaltara News: उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा (NOIDA) के बारे में यह मिथक प्रचलित था कि वहां जो भी पदासीन मुख्यमंत्री जाता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता। इस मिथक को वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने तोड़ा है। ऐसा ही मिथक छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की अकलतरा (Akaltara) नगर पालिका को लेकर भी प्रचलित है कि जो मुख्यमंत्री यहां आते हैं, उन्हें दोबारा कुर्सी नहीं मिलती है।

भूपेश बघेल पर है सबकी निगाह, अकलतरा आएंगे या नहीं

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं। अकलतरा विधानसभा क्षेत्र है। मुख्यमंत्री जिले की अन्य सीटों तक पहुंचे हैं, परंतु अकलतरा का कार्यक्रम अब तक नहीं बना है। ऐसे में सबकी निगाह इस बात पर लगी है कि वह अकलतरा मुख्यालय आएंगे या नहीं।

यहां जो भी सीएम आता है, वह दोबारा पद पर नहीं रह पाता

वर्ष 1958 में अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू यहां आए थे। वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने। फिर वर्ष 1973 में यहां मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी का आगमन हुआ, वह भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सके। छत्तीसगढ़ बनने के बाद वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Yogi) पहुंचे थे। उसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ तो दोबारा न तो वह मुख्यमंत्री बने और न कांग्रेस की सरकार आई। मुख्यमंत्री जोगी से पहले अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी 29 साल तक अकलतरा आने से परहेज किया था।

इन्होंने अकलतरा में नहीं रखा कदम

पंडित श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह, सुंदरलाल पटवा, दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) यहां नहीं आए। जोगी के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने रमन सिंह (Raman Singh) ने भी 15 साल में एक बार भी अकलतरा नगर में कदम नहीं रखा। 2018 के चुनावी कैंपेन में अकलतरा से लगी पंचायत तरौद चौक में वह जरूर पहुंचे, लेकिन उसके बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गई। इन उदाहरणों को पेश करके स्थानीय नेता भी मुख्यमंत्रियों को यहां नहीं आने को लेकर आगाह करते हैं।

सीएम का अकलतरा में लोगों को इंतजार

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रवि सिसोदिया ने बताया कि अकलतरा शहर को लेकर यह मिथक वर्षों से है। हालांकि, पूरे विधानसभा क्षेत्र के लिए ऐसी धारणा नहीं है। नगर पालिका के पूर्व व कांग्रेस नेता मोहम्मद इमरान खान ने बताया कि अकलतरा को लेकर यह मिथक वह बचपन से सुनते आ रहे हैं। चूंकि, भूपेश बघेल सभी विधानसभा क्षेत्र में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत पहुंच रहे हैं। ऐसे में अब अकलतरा विधानसभा क्षेत्र के अलावा जिलेवासियों की भी नजर इस पर है कि मुख्यमंत्री अकलतरा आएंगे या नहीं ।

चाय पीने उतरे और मुख्यमंत्री रहते हुए हारे विधानसभा

कैलाश नाथ काटजू 1957 में दूसरी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसी दौरान वह ट्रेन से रायगढ़ जा रहे थे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अकलतरा स्टेशन के प्लेटफार्म में उनका स्वागत किया। वह चाय पीने के लिए उतरे फिर रायगढ़ रवाना हो गए। अगला विधानसभा चुनाव वह मुख्यमंत्री रहते हुए हार गए। हालांकि, नरसिंहगढ़ रियासत के राजा भानुप्रताप सिंह ने अपनी सीट खाली कर उन्हें वहां से विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा और उपचुनाव में वह विधानसभा सीट जीत गए, परंतु मुख्यमंत्री नहीं बन सके।

नोएडा की भी ऐसी ही कहानी थी, योगी ने तोड़ा मिथक

नोएडा के बारे में प्रचलित था कि जो भी मुख्यमंत्री वहां जाता है, वह दोबारा सत्ता में नहीं आता है। इस अंधविश्वास के चलते 2017 तक 29 वर्षों में सिर्फ मायावती (Mayawati) ही नोएडा गई थीं। वह 2011 में मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा गईं और 2012 में चुनाव हार गईं। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मुख्यमंत्री रहते हुए कभी नोएडा नहीं गए। वहां गए तो हेलीकाप्टर से नीचे नहीं उतरे। दिसंबर, 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए योगी आदित्यनाथ नोएडा गए और बता दिया कि भले ही वह पूजा पाठ करते हैं, परंतु अंधविश्वास में नहीं पड़ते हैं। योगी आदित्यनाथ इसके बाद कई बार नोएडा गए। 2022 का चुनाव जीतकर दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने।

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