Bhanupratappur Bypoll: कांग्रेस ने सावित्री मंडावी को मैदान में उतारा, पति को हराने वाले भाजपा नेता से मुकाबला
Bhanupratappur Bypoll छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बुधवार को कांग्रेस ने सावित्री मंडावी को मैदान में उतारा है। सावित्री मंडावी दिवंगत विधायक मनोज मंडावी की पत्नी हैं। भानुप्रतापपुर में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है।
रायपुर, एजेंसी। Bhanupratappur Bypoll: छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर उपचुनाव (Bhanupratappur Bypoll) में बुधवार को कांग्रेस (Congress) ने सावित्री मंडावी (Savitri Mandavi) को मैदान में उतारा है। सावित्री मंडावी दिवंगत विधायक मनोज मंडावी की पत्नी हैं। भानुप्रतापपुर में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है। यह विधानसभा क्षेत्र आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। उपचुनाव के लिए मतदान पांच दिसंबर को होगा और वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी।
भाजपा ने ब्रह्मानंद को बनाया प्रत्याशी
प्रेट्र के मुताबिक, भापुप्रतापपुर उपचुनाव में भाजपा (BJP) ने ब्रह्मानंद नेताम को प्रत्याशी बनाया है। ब्रह्मानंद वर्ष 2008 में भानुप्रतापपुर से विधायक चुने गए थे, लेकिन अगले दो चुनाव में पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया। 2008 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे मनोज मंडावी को हराया था। उस चुनाव में गंगा पोटाई कांग्रेस की प्रत्याशी थीं और तीसरे स्थान पर रहीं थीं। 12वीं कक्षा तक पढ़े नेताम की आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ है। वह 2004 में ग्राम कसावही से सरपंच चुने गए थे। वर्तमान में नेताम भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी का पति मनोज मंडावी को हराने वाले भाजपा नेता ब्रह्मानंद नेताम से मुकाबला होगा।
हर पंचायत से एक प्रत्याशी उतारने की तैयारी
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में एक अनोखा रिकार्ड दर्ज होने जा रहा है। इस चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में शामिल सभी 85 पंचायतों से एक-एक प्रत्याशी मैदान में होगा। सर्व आदिवासी समाज ने इस सीट की हर पंचायत से एक प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी की है। अब तक 44 पंचायत से एक-एक प्रत्याशी ने नामांकन पत्र खरीद लिया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में हाई कोर्ट के फैसले के बाद आदिवासी वर्ग के आरक्षण में कटौती हो गई है। इस कटौती के विरोध का आदिवासी समाज ने यह अनूठा तरीका निकाला है। समाज प्रमुखों का कहना है कि इससे किसी भी एक नेता को आदिवासी वर्ग का वोट नहीं मिलेगा। इसे सांकेतिक विरोध के रूप में देखा जा रहा है। 17 नवंबर तक नामांकन दाखिल होगा। जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक सिर्फ एक प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल किया है।
यह भी पढ़ेंः भूपेश बघेल बोले, प्रजातंत्र में धर्म चुनने का अधिकार सबको