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Bhoramdeo Sanctuary: तितलियों के स्वर्ग भोरमदेव अभयारण्य संग जलाशयों के साथ कीजिए मंदिरों के भी दर्शन

राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर स्थित मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरे कवर्धा जिले में चिल्फी घाटी भोरमदेव मंदिर सरोधा दादर जलाशय रानीदहरा जल प्रपात पीठाघाट वाचटावर और पुरातात्विक स्थल पचराही मुख्य आकर्षण है। इन सभी पर्यटन स्थलों के देखने और लुफ्त उठाने के लिए छुट्टियों में अपने परिवार को कम से कम दो से तीन दिन का समय दिया जा सकता है।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Published: Fri, 05 Jul 2024 07:37 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2024 07:48 PM (IST)
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित कवर्धा जिले पर प्रकृति मेहरबान (फोटो, जागरण)

रामकृष्ण डोंगरे, जेएनएन, रायपुर। अगर आपको रंग-बिरंगी तितलियों को देखना पसंद है तो भोरमदेव अभयारण्य आइए। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित इस अभयारण्य में 130 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता है। इनमें राष्ट्रीय तितली आरेंज ओकलीफ (केलिमा इनेकस), दुर्लभ प्रजाति की 'स्पाटेड एंगल' आदि शामिल है। तितलियों के स्वर्ग कहे जाने वाले इस अभयारण्य में 200 से अधिक पक्षियों का भी बसेरा है।

राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर स्थित मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरे कवर्धा जिले में चिल्फी घाटी, भोरमदेव मंदिर, सरोधा दादर जलाशय, रानीदहरा जल प्रपात, पीठाघाट वाचटावर और पुरातात्विक स्थल पचराही मुख्य आकर्षण है। इन सभी पर्यटन स्थलों के देखने और लुफ्त उठाने के लिए छुट्टियों में अपने परिवार को कम से कम दो से तीन दिन का समय दिया जा सकता है।

352 वर्ग किलोमीटर में फैला है भोरमदेव अभयारण्य

352 वर्ग किलोमीटर में फैला भोरमदेव वन्य प्राणी अभयारण्य मोर, किंगफिशर, बायसन, चीतल, नीलगाय जैसे वन्यजीवों, पक्षियों और दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है। यहां सात एकड़ में तितलियों का बसेरा है। वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को यहां तितलियों का संसार देखने को मिलता है।

200 से अधिक तितलियों के होने का अनुमान

उन्होंने बताया कि ऑरेंज आकलीफ तितली जब पंख बंद रखती है तो सूखी पत्ती के समान दिखती है और पंख खुलने पर काला, नारंगी, गहरा नीले रंग वाले पंख सभी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करने लगते है। वे कहते हैं कि यहां 200 से अधिक तितलियों के होने का अनुमान है। अभयारण्य क्षेत्र के जामुनपानी और प्रतापगढ़ में जंगल सफारी कर पर्यटक वन्यप्राणियों को देखने जा सकते हैं।

18 किमी दूर भोरमदेव मंदिर परिसर

कवर्धा शहर से 18 किमी दूर स्थित भोरमदेव मंदिर परिसर भगवान शिव को समर्पित चार हिंदू मंदिरों का एक समूह है। हजारों वर्ष पुराने इन मंदिरों को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। यहां मंडवा महल, छेरकी महल सहित अन्य मंदिरों की नक्काशी देखने लायक है। सन 1349 में नागवंशी राजा रामचंद्र देव और राजकुमारी अंबिका देवी की शादी की याद में मड़वा महल यानी दुल्हादेव बनवाया था। इस परिसर की बाहरी दीवारों पर कामासूत्र में दर्शाई गई 54 मुद्राएं बनी हुई हैं। एक मंदिर में अधगढ़ा शिवलिंग स्थित है। मंदिर की छत पर कमल के आकार में शिल्पकारी की हुई है।

प्रकृति को निहारने आइए सरोधा दादर

जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी पर मध्य प्रदेश की सीमा पर चिल्फी घाटी स्थित है। यहां से दाहिने दिशा में पांच किमी ऊपर सरोधा दादर ग्राम में पहाड़ पर 11 एकड़ की भूमि पर एक बैगा एथनिक रिसॉर्ट बनाया गया है। इस पर्यटन ग्राम में वुडन व डीलक्स हाउस बने हैं। चिल्फी घाटी और सरोधा-दादर में प्रकृति का आनंद लेने के लिए सालभर देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही रहती है। सरोधा-दादर और पीड़ाघाट के पास एक वाच-टावर भी बनाया गया है, जहां से लोग पर्वत और घाटी के सुंदर दृश्य का आनंद ले सकते हैं। जिले में मुख्य रूप से बैगा आदिवासी निवास करते हैं, इनकी पारंपरिक जीवन शैली और संस्कृति सभी को आकर्षित करती है। पहाड़ों पर ट्रैकिंग व कैंपिंग का मजा ले सकते हैं।

लुभाता है जलाशयों का दृश्य

हरी-भरी पहाड़ियों के घिरे सरोधा जलाशय में पर्यटक स्पीड बोट, वाटर स्कूटर और कैंपिंग का मजा ले सकते हैं। यहां से मैकल पर्वत श्रृंखला की खूबसूरती देखते ही बनती है। छीरपानी जलाशय का नयनाभिराम दृश्य भी पर्यटकों को लुभाता है। यहां घने जंगल के बीच स्थित रानीदहरा जल प्रपात, दुरदुरी जलप्रपात, मांदाघाट जलप्रपात भी है। रानीदहरा बोड़ला से चिल्फी मार्ग पर

कवर्धा से लगभग 35 किमी की दूरी पर है। अभयारण्य के घने जंगल और ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित रानीदहरा सावन में पूरे शबाब पर रहता है। यहां करीब 40 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। पहाड़ी रास्तों के बीच ठंडी हवाएं पर्यटकों को सुकून देती है।

अभयारण्य क्षेत्र को कोर और बफर जोन में बांटा गया

कवर्धा के वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने कहा कि अभयारण्य क्षेत्र को कोर और बफर जोन में बांटा गया है। बफर जोन में चिल्फी घाटी क्षेत्र आता है। जहां बैगा आदिवासियों के कई गांव है। अभयारण्य में अगस्त अंत तक बटरफ्लाई कैंप का आयोजन होगा। वहीं, जंगल सफारी संभवत नवंबर से शुरू हो जाएगा।

इस तरह पहुंचे, यहां रुकें

रायपुर एयरपोर्ट, रायपुर और जबदलपुर रेलवे स्टेशन से आप आसानी से कवर्धा पहुंच सकते हैं। रायपुर से 120 किमी दूर स्थित कवर्धा के लिए नान स्टाप एसी बसें उपलब्ध है। महज ढाई घंटे में यहां पहुंचा जा सकता है। जिले में रुकने के लिए सरोधा दादर के रिसार्ट सहित अभयारण्य के पास और शहर में सस्ते दर पर होटल उपलब्ध है। सरोधा रिसार्ट में बुकिंग के लिए आप पर्यटन बोर्ड के नंबर 7714224999 व 9111007964 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

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