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Chhattisgarh: मुख्यमंत्री भूपेश ने बायो-एथेनॉल प्रदर्शन संयंत्र का किया लोकार्पण, टीएस सिंहदेव भी रहे मौजूद

छत्तीसगढ़ में बायोफ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुर्ग जिले के ग्राम गोढ़ी में अत्याधुनिक बायो एथेनाल प्रदर्शन संयंत्र स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज इस संयंत्र का वर्चुअल लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित इस वर्चुअल लोकार्पण समारोह में उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री टीएस सिंहदेव और ऊर्जा सचिव अंकित आनंद सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 27 Sep 2023 09:14 PM (IST)
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (जागरण फोटो)
रायपुर, ऑनलाइन डेस्क। छत्तीसगढ़ में बायोफ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुर्ग जिले के ग्राम गोढ़ी में अत्याधुनिक बायो एथेनाल प्रदर्शन संयंत्र स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज इस संयंत्र का वर्चुअल लोकार्पण किया। भारत सरकार के सीएसआईआर और सीएसएमआरआई के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण द्वारा संयंत्र की तकनीकी डिजाइन और ड्राइंग तैयार की गई है।

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टीएस सिंहदेव भी रहे मौजूद

मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित इस वर्चुअल लोकार्पण समारोह में उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री टीएस सिंहदेव और ऊर्जा सचिव अंकित आनंद सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीबीडीए द्वारा दुर्ग जिले के ग्राम गोढ़ी स्थित बायोफ्यूल काम्प्लेक्स परियोजना परिसर में स्थापित 1जी बायो-एथेनॉल प्रदर्शन संयंत्र में विशुद्ध रूप से जैवईंधन अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां जैसे कि जैवईंधन उत्पादन, प्रसंस्करण और रूपांतरण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में कार्य हेतु स्थापित किया गया है।

संयंत्र में स्थानीय कच्चा माल के रूप में छत्तीसगढ़ में उपलब्ध स्टार्च युक्त कम्पाउंड जैसे कि अधिशेष धान, अनाज जैसे गेहूं, चावल के खराब दाने जो कि खाने योग्य न हो, गन्ने का रस, मोलासेस, मक्का आदि का उपयोग किया जाएगा।

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गौरतलब है कि बायो-एथेनॉल संयंत्र में प्रारंभिक तौर पर मार्कफेड में उपलब्ध खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 के फीड 2 श्रेणी के अधिशेष धान का क्रय कर बायो-एथेनॉल उत्पादन का प्रयोगमूलक (अनुसंधान) कार्य जारी है। बायोफ्यूल काम्प्लेक्स परियोजना परिसर में एक अत्याधुनिक बायो-टेक्नोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना भी की गई है। प्रयोगशाला में बायो-एथेनॉल का भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मापदंड अनुसार गुणवत्ता परीक्षण, सह-उत्पाद का उपयोग की क्षमता बढ़ाने के लिए दक्षता सुधार और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा जहां संभव हो पेटेंट पंजीकृत किये जाएंगे।

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