Bijapur Encounter: ग्रामीणों के वेश में रहती थी महिला नक्सली, गांव में ही छिपा के रखी थी एके-47; पूछताछ में बड़े राजफाश
मुठभेड़ में नक्सलियों के मारे जाने के बाद प्रपोगैंडा फैलाए जाने की गिरफ्तार महिला नक्सली सरिता ककेम ने पोल खोली है। उसने बताया कि 10 मई को मुठभेड़ में वह भी शामिल थी। उसने बताया कि मुठभेड़ के समय वह नक्सली वर्दी में नहीं बल्कि सामान्य वस्त्र पहने हुई थी। मुठभेड़ के समय नक्सली अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे लेकिन वह दौड़ नहीं पाई।
जेएनएन, रायपुर। मुठभेड़ में नक्सलियों के मारे जाने के बाद प्रपोगैंडा फैलाए जाने की गिरफ्तार महिला नक्सली सरिता ककेम ने पोल खोली है। उसने बताया कि 10 मई को मुठभेड़ में वह भी शामिल थी। उसने बताया कि मुठभेड़ के समय वह नक्सली वर्दी में नहीं बल्कि सामान्य वस्त्र पहने हुई थी। मुठभेड़ के समय नक्सली अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे, लेकिन वह दौड़ नहीं पाई।
सरिता ने बताया कि मुठभेड़ के समय उसके पास हथियार के नाम पर एके-47 था, जिसे उसने गांव में छिपाकर रखा था, लेकिन पुलिस ने उसे हथियार सहित गिरफ्तार कर लिया।
100 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं
बीजापुर जिले के भैरमगढ़ के ग्राम तड़केल की रहने वाली सरिता ने बताया कि वह 2007 में दलम में भर्ती हुई थी। वह नक्सलियों की कंपनी नंबर-दो के लिए काम करती थी। बता दें कि बीते चार महीने में नक्सली मुठभेड़ में 100 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं।
गांव की महिलाओं के साथ सिविल ड्रेस में रहती थी
गिरफ्तार महिला नक्सली ने बताया कि वह गांव की महिलाओं के साथ सिविल कपड़ों में रहती थी। अधिकारियों ने बताया कि नक्सली महिलाओं को ढ़ाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें सिविल ड्रेस में रखते हैं ताकि पकड़े जाने पर पुलिस पर आरोप लगाया जा सके, लेकिन गिरफ्तार नक्सली सरिता ककेम ने नक्सलियों की पोल खोल कर रख दी है।
इसके साथ ही नक्सलियों द्वारा अफवाह फैलाई गई कि पुलिस ने तेंदूपत्ता तोड़ने के दौरान ग्रामीणों पर गोली चलाई, जबकि सच्चाई यह है कि मुठभेड़ स्थल से तेंदूपत्ता तोड़ाई की जगह करीब 20 किलोमीटर दूर है। मुठभेड़ में लगातार मारे जाने से नक्सलियों के हौसले पस्त हुए हैं। यही वजह है कि हर मुठभेड़ में प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है।
सुरक्षा बलों पर आरोप लगाने की रणनीति
जांच में यह बात भी सामने आई है कि नक्सली बाकायदा अपने सदस्यों को हैंडबुक देकर रखते हैं, जिसमें वे सारे मैन्युअल लिखे रहते हैं जिसे उन्हें फालो करना होता है। हैंडबुक में यह निर्देश रहता है कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर नक्सलियों के बारे में कुछ भी नहीं बताना है। साथ ही जनमिलिशिया दल, एलजीएस, प्लाटून व कंपनी के बताने पर उनके साथ मिलकर हमला करने जाना है।
गिरफ्तार महिला नक्सली के राजफाश से साफ है कि नक्सली साजिश के तहत कुछ सदस्यों को सिविल ड्रेस में रखते हैं, ताकि पुलिस को चकमा दिया जा सके और गिरफ्तारी के वक्त सुरक्षा बलों पर आरोप लगा सके।