घोटालों के सूत्रधार पर प्रहार, कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बना शराब और कोयला घोटाला
भाजपा नेतृत्व द्वारा दिल्ली के कांग्रेसी आकाओं के लिए एटीएम के रूप में आरोपित रही भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के कोयला और शराब घोटाले का दायरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जांच की फांस बढ़ने के साथ बाहर बचे मलाई का मजा लेने वाले सलाहकार दूरी बनाने लगे हैं। इस बढ़ते परिमाण का परिणाम तो समय तय करेगा।
सतीशचंद्र श्रीवास्तव, रायपुर। भाजपा नेतृत्व द्वारा दिल्ली के कांग्रेसी आकाओं के लिए एटीएम के रूप में आरोपित रही भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के कोयला और शराब घोटाले का दायरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
जांच की फांस बढ़ने के साथ बाहर बचे मलाई का मजा लेने वाले सलाहकार दूरी बनाने लगे हैं। इस बढ़ते परिमाण का परिणाम तो समय तय करेगा, परंतु केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने के कारण समानांतर जांच के नाम पर अड़ंगेबाजी करने वालों को बड़ा झटका लग चुका है।
सौम्या चौरसिया समेत अन्य नेता गए जेल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में सुपर सीएम का दर्जा पा चुकी सौम्या चौरसिया के साथ अन्य मंत्री, नेता और अधिकारी तो पहले ही जेल में हैं, अब दो पूर्व मंत्री कवासी लखमा और अमरजीत भगत का भी नाम भी शामिल हो गया है।कोयला घोटाले में हैं 35 नाम
ईडी द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो में दर्ज केस के अनुसार, शराब घोटाले में अगर 70 आरोपित हैं तो कोयला घोटाले में 35 नाम हैं। बौखलाए बघेल ने इसे संसदीय चुनाव के पहले कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश बताई है। सभी को अंदाजा है कि 2,701 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के इन दोनों घोटालों में अगला नाम किसका जुड़ेगा, परंतु मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शांत हैं। मानो विपक्ष को भड़ास निकालने का मौका दिया जा रहा है। कार्रवाई समानांतर और निर्वाध गति से आगे बढ़ रही है।
बोतल से बाहर आया जिन्न कोयला के भ्रष्टाचार से चार गुना बड़ा हो चुका है। कहां प्रति क्विंटल 25 रुपये की दर से इकट्ठा किया गया कोयला घोटाले का 540 करोड़ रुपया और कहां शराब घोटाले के 2,161 करोड़ रुपये। मौसम परिवर्तन के दौर के साथ नजदीक आते संसदीय चुनाव ने राज्य की राजनीति में गर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ा दी है। अब आकलन ही किया जा सकता है कि जांच की जद में और कौन-कौन आएगा तथा एसीबी का शिकंजा किसके-किसके गिरेबान तक पहुंच जाएगा।
सीबीआई को सौंपी जा सकती है जांच
भूपेश सरकार के नीति निर्धारकों की अघोषित संपत्ति की जांच के लिए भाजपा नेता पिछले कई वर्षों से प्रमाण प्रसारित कर रहे थे। नौकरशाहों के विरुद्ध प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायतें की गई थीं। ईडी ने तथ्यों को संग्रहित कर कांग्रेसी नेताओं और भ्रष्ट नौकरशाहों की परेशानियां बढ़ा दी है। सीजीपीएससी भर्ती घोटाले में अधिकारियों के निकट संबंधियों की नियुक्ति की जांच पहले ही सीबीआई तक पहुंच चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि कोयला व शराब घोटाले की जांच भी सीबीआई को सौंप दी जाएगी।
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