Chhattisgarh Conversion Bill: छत्तीसगढ़ में मतांतरण रोकने के लिए विधेयक का मसौदा तैयार, 60 दिन पूर्व कलेक्टर को देनी होगी सूचना
विधेयक के मसौदे के मुताबिक प्रदेश में मत परिवर्तन करने वाले को कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ फॉर्म भरकर कलेक्टर के पास जमा करना होगा। इसके बाद पुलिस मतांतरण के पीछे के वास्तविक इरादे कारण और उद्देश्य की पड़ताल करेगी। मतांतरण समारोह का आयोजन करने वाले व्यक्ति या संस्था को भी इसी तरह से कम से कम एक महीने पहले फार्म भरकर देना होगा।
राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ में मतांतरण रोकने के लिए विष्णुदेव साय सरकार इसी सत्र में नया कानून लाने वाली है। राज्य सरकार के प्रस्तावित विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है। विधानसभा में पेश किए जाने से पहले इसमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।
विधेयक के मसौदे के मुताबिक, प्रदेश में मत परिवर्तन करने वाले को कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ फॉर्म भरकर कलेक्टर के पास जमा करना होगा। इसके बाद पुलिस मतांतरण के पीछे के वास्तविक इरादे, कारण और उद्देश्य की पड़ताल करेगी।
मतांतरण समारोह का आयोजन करने वाले व्यक्ति या संस्था को भी इसी तरह से कम से कम एक महीने पहले फार्म भरकर देना होगा। बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव दिखाकर, प्रलोभन या धोखा देकर किसी से शादी करके भी मत परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। यदि कलेक्टर को इसकी सूचना मिलती है तो वह इस तरह के मतांतरण को अवैध करार दे सकते हैं।
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मतांतरण के बाद व्यक्ति को 60 दिनों के अंदर एक और घोषणा-पत्र भरना होगा और सत्यापन के लिए कलेक्टर के सामने खुद को पेश करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो मतांतरण को अवैध माना जाएगा। कलेक्टर की ओर से मतांतरण करने वाले प्रत्येक व्यक्तियों का रजिस्टर मेंटेन किया जाएगा।
मतांतरण के बाद व्यक्ति को 60 दिनों के अंदर एक और घोषणा-पत्र भरना होगा और सत्यापन के लिए कलेक्टर के सामने खुद को पेश करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो मतांतरण को अवैध माना जाएगा। कलेक्टर की ओर से मतांतरण करने वाले प्रत्येक व्यक्तियों का रजिस्टर मेंटेन किया जाएगा।
वापस आने वालों पर लागू नहीं होगा कानून
विधेयक के मसौदे के मुताबिक, नाबालिग, महिलाओं, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से मतांतरण कराने वालों को कम से कम दो वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की जेल होगी। साथ ही न्यूनतम 25 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा।
वहीं, सामूहिक मतांतरण पर कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। कोर्ट मतांतरण के पीड़ित को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है। यह कानून उन लोगों पर लागू नहीं होगा, जो अपने पिछले धर्म में दोबारा मतांतरण करके वापस जाना चाहते हैं।यह भी पढ़ें: CG News: शिकायतकर्ता व गवाह पलट जाएं तो भी साक्ष्य सजा के लिए पर्याप्त, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
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