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Chhattisgarh: रामलला दर्शन योजना को हाई कोर्ट में चुनौती, डिवीजन बेंच ने फैसला रखा सुरक्षित

छत्तीसगढ़ सरकार की रामलला दर्शन योजना को संविधान के धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत के विपरीत मानते हुए सामाजिक कार्यकर्ता लखन सुबोध ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता लखन सुबोध बसपा में रहे हैं और गुरुघासीदास सेवादार संघ व लोक सिजनहार यूनियन के प्रमुख हैं। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 15 Mar 2024 10:55 PM (IST)
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रामलला दर्शन योजना को हाई कोर्ट में चुनौती। फाइल फोटो।
जागरण न्यूज नेटवर्क, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की रामलला दर्शन योजना को संविधान के धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत के विपरीत मानते हुए सामाजिक कार्यकर्ता लखन सुबोध ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता लखन सुबोध बसपा में रहे हैं और गुरुघासीदास सेवादार संघ व लोक सिजनहार यूनियन के प्रमुख हैं।

डिवीजन बेंच ने फैसला रख सुरक्षित

मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका में प्रदेशवासियों को अयोध्याधाम ले जाकर रामलला के दर्शन कराने और वापस लाने के लिए चलाई जा रही निश्शुल्क योजना को बंद करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। रामलला दर्शन योजना धर्मनिरपेक्षता के विपरीत है।

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अधिकारियों ने क्या कहा?

याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। राज्य के महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने अदालत को बताया कि रामलला दर्शन योजना धर्म या जाति के आधार पर फर्क नहीं करती है। इसमें किसी जाति या धर्म का बंधन नहीं रखा गया है। यह सरकार का नीतिगत मामला है। नीतिगत मामलों में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। दोनों पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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