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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ HC ने याचिकाकर्ता का नाम रखा गोपनीय, इस मामले में लिखा 'एक्स वाई जेड'

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार याचिकाकर्ता का नाम गोपनीय रखा गया है। मामला दुष्कर्म पीड़िता की ओर से दायर याचिका का है जिसमें उसने अपनी बड़ी बेटी के कथित पिता का डीएनए टेस्ट कराने की गुहार लगाई है। हाई कोर्ट ने इसको गंभीरता से लेते हुए आरोपित डाक्टर याचिकाकर्ता और उसकी 12 साल की बेटी का डीएनए टेस्ट कराने के आदेश पुलिस को दिए हैं।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Mon, 26 Feb 2024 07:24 PM (IST)
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छत्तीसगढ़ HC ने याचिकाकर्ता का नाम रखा गोपनीय। फाइल फोटो।

जागरण न्यूज नेटवर्क, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार याचिकाकर्ता का नाम गोपनीय रखा गया है। मामला दुष्कर्म पीड़िता की ओर से दायर याचिका का है, जिसमें उसने अपनी बड़ी बेटी के कथित पिता का डीएनए टेस्ट कराने की गुहार लगाई है। हाई कोर्ट ने इसको गंभीरता से लेते हुए आरोपित डाक्टर, याचिकाकर्ता और उसकी 12 साल की बेटी का डीएनए टेस्ट कराने के आदेश पुलिस को दिए हैं।

हाई कोर्ट ने बरती है संवेदनशीलता

फैसले की खास बात यह है कि हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में संवेदनशीलता बरती है। याचिकाकर्ता दुष्कर्म पीड़िता की निजता का पूरा ध्यान भी रखा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के नाम को सार्वजनिक नहीं किया है। याचिकाकर्ता की नाम की जगह एक्स वाई जेड लिखा गया है। याचिका में शादीशुदा महिला की ओर से कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा में पदस्थ एक डाक्टर ने तब उसके साथ दुष्कर्म किया, जब वह करीब 13 वर्ष की ही थी। उसकी शादी के बाद भी डाक्टर उसकी मर्जी के खिलाफ यौन संबंध बनाता रहा, जिससे उसका गर्भ ठहर गया और उसकी बड़ी बेटी का जन्म हुआ।

मामले में दायर हुआ है FIR

उसने पूरे मामले की एफआइआर दायर की। निचली अदालत ने याचिकाकर्ता, उसकी बेटी और डाक्टर के डीएनए टेस्ट के लिए नमूने एकत्र करने को पुलिस की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

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सच्चाई जानने का एक मात्र तरीका

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई है। जस्टिस व्यास ने अपने फैसले में कहा है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के वैज्ञानिक विश्लेषण की आवश्यकता है, जो डीएनए परीक्षण से ही किया जा सकता है। डीएनए टेस्ट कराने के आदेश जारी करने के अलावा सच्चाई का पता लगाने का कोई अन्य तरीका उपलब्ध नहीं है। यह निर्देशित किया जाता है कि अभियोजन पक्ष याचिकाकर्ता, उसकी बेटी और आरोपित डाक्टर का डीएनए टेस्ट कराने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

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