दंतेवाड़ा एक नक्सल प्रभावित जिला है और यहां की आबादी 14 हजार से भी कम है। यहां के घने जंगल नक्सलियों का पनाहगाह बना हुआ है। सुरक्षा बलों ने मंगलवार को खोजबीन के दौरान इन सुरंगों का पता लगाया। इसका इस्तेमाल नक्सली नीचे छिपने के लिए बंकर के रूप में करते हैं। इसका एक वीडियो भी जारी किया गया है।सुरंग का इस्तेमाल नक्सलियों ने जाल बिछाने के लिए किया था।
एएनआई, दंतेवाड़ा। आतंकियों और विद्रोहियों की हमले करने की सोच और तकनीक एक जैसी ही होती है। हमास के ठिकानों और सुरंगों की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के नक्सलियों ने भी दंतेवाड़ा में ऐसी ही कई सुरंगे बनाई है।
आपको बता दें कि दंतेवाड़ा एक नक्सल प्रभावित जिला है और यहां की आबादी 14 हजार से भी कम है। यहां के घने जंगल नक्सलियों का पनाहगाह बना हुआ है। सुरक्षा बलों ने मंगलवार को खोजबीन के दौरान इन सुरंगों का पता लगाया है। इसका इस्तेमाल नक्सली नीचे छिपने के लिए बंकर के रूप में करते हैं। इसका एक वीडियो भी जारी किया गया है।
जाल बिछाने के लिए बनाए गए ऐसे सुरंग
सूत्रों के मुताबिक, सुरंग का इस्तेमाल नक्सलियों ने बलों के लिए जाल बिछाने के लिए किया था। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने भूमिगत सुरंग का निरीक्षण किया। दंतेवाड़ा के घने जंगलों वाले इलाके में गोलीबारी के दौरान बलों को फंसाने या घात लगाकर हमला करने के लिए सुरंग खोदी गई थी।
सुरंगों की गहराई काफी ज्यादा लंबी
Video में देखा जा सकता है कि सुरंगों की गहराई काफी ज्यादा लंबी है। बीच-बीच में हवा के लिए सुरंगों को ऊपर से खाली रखा गया है ताकि नक्सली कभी भी सुरक्षाबलों पर हमला कर सकें। इन सुरंगों को ऊपर से छिपाने और बिल्कुल जमीन जैसे दिखाने के लिए लकड़ी और मिट्टी से ढक दिया गया था। बता दें कि ऐसी सुरंगें पहली बार देखने को मिल रही है। इन्हें दंतेवाड़ा और बीजापुर सीमा के पास तैयार किया गया था। आपको बता दें कि ऐसी सुरंगें इजरायल के एयरस्ट्राइक से बचने के लिए हमास के आतंकियों ने तैयार किया था।
सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़
मंगलवार को दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने तीन सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ शुरू हो गई। बीजापुर जिले में मुठभेड़ स्थल से 14 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) पी. सुंदरराज ने कहा कि घटना टेकलगुडेम गांव के पास उस समय हुई जब सुरक्षाकर्मियों की एक संयुक्त टीम तलाशी अभियान पर निकली थी।
यह गांव बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर स्थित है। कोबरा की 201 बटालियन और सीआरपीएफ की 150 बटालियन की एक टीम फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित करने के लिए क्षेत्र में काम कर रही थी, जब दोपहर 1 बजे के आसपास गोलीबारी शुरू हुई।यह भी पढ़ें:
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