...और इस तरह मुस्कान और उनके पिता के चेहरे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिखेर दी खुशी
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को छात्रा मुस्कान ने कहा मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं। आर्थिक मदद मिल जाती तो अच्छे से तैयारी करती और आइएएस बनती। इस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत हामी भरते हुए छात्रा को 2 लाख रुपये उच्च शिक्षा के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी।
By Babita KashyapEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 11:05 AM (IST)
रायपुर , जागरण आनलाइन डेस्क। सर मैं आइएएस बनना चाहती हूं। मैं इस साल दसवीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में तीसरे स्थान पर आई हूं। कोचिंग करना चाहती हूं। कोचिंग की बात सुनते ही मुख्यमंत्री ने अपनी बाजू में बैठे आइएएस, आइपीएस की ओर इशारा करते हुए कहा ये देखिए ये सभी आइएएस और आइपीएस है। इन्होंने कभी कोचिंग नहीं की और आज आइएएस और आइपीएस है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तत्काल भर दी हामी
इसके लिए अच्छे से पढ़ाई की जरूरत है। चेहरे पर शिकन लिए छात्रा मुस्कान ने कहा मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं। आर्थिक मदद मिल जाती तो अच्छे से तैयारी करती और आइएएस बनती। छात्रा की बातों को ध्यान से सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने उनसे ही पूछ लिया बताओ कितना चाहिए।
कुछ सेकेंड सोचने के बाद छात्रा ने दो लाख रुपए की बात कही तो मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जरा भी देरी नहीं की और तत्काल ही हामी भरते हुए कहा आपका काम हो जाएगा। आप अच्छे से बस पढ़ाई करिए। इस तरह उन्होंने 2 लाख रुपये उच्च शिक्षा के लिए स्वीकृति प्रदान करते हुए उनके साथ आए उनके पिता और आईएएस बनने की ख्वाब लिए मुस्कान के चेहरे पर मुस्कान ला दी।
अनेक लोगों की फरियाद को पूरा किया
भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र पहुंचे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सामाजिक संगठनों के अलावा उनसे मिलने आए अनेक लोगों की फरियाद को पूरा किया। लैलूंगा के स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल में मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली मुस्कान का ख्वाब है कि वह आइएएस बने।अपनी इस ख्वाब को हकीकत में बदलने मुस्कान ने अभी से मेहनत भी करना शुरू कर दिया है। उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि दसवीं बोर्ड परीक्षा में राज्य स्तर पर उन्होंने तीसरी रैंक हासिल की।
मुस्कान चाहती है कि वह इसी तरह आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखे और जो लक्ष्य है उसे हासिल करें। आइएएस बनने के लिए वह कुछ टिप्स और कोचिंग भी लेना चाहती है, मगर घर में आर्थिक तंगी की वजह से मुस्कान के चेहरे पर मुस्कुराहट की बजाए अक्सर शिकन ही आ जाती थी और उन्हें अपना ख्वाब टूटने का डर भी समाया रहता था।
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