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CG News: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा निर्णय, राज्य अलंकरण श्रेणी में दिए जायेंगे तीन नए पुरस्कार

छत्‍तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्‍य में लोक कला साधकों के सम्मान को लेकर बड़ा फैसला किया है। इसमें लोकगीत के क्षेत्र में “लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार” दिया जाएगा। वहीं लोक संगीत के क्षेत्र में योगदान देने वाले कला साधकों को “खुमान साव पुरस्कार” से सम्मानित किया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Wed, 05 Oct 2022 10:59 AM (IST)
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छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) का फाइल फोटो
रायपुर, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ में लोक कला साधकों के सम्मान को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना पर दिए जाने वाले राज्य अलंकरण श्रेणी में तीन नए पुरस्कार जोड़े गए हैं। यह पुरस्कार लोक कलाकार स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया और स्व. खुमान साव तथा भगवान राम की माता कौशल्या को समर्पित होंगे।

इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ अपनी प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं जीवंत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लयबद्ध संगीत, लोकगीत एवं लोक नाट्य अद्भुत आनंद की अनुभूति कराते हैं। लोक संस्कृति के जिन साधकों ने इसे जीवंत बनाए रखने में अपना जीवन समर्पित किया है, उन्हें सम्मानित करना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है।

तीन नए पुरस्‍कार

ऐसे में प्रदेश की लोकगीत व लोक संगीत की महान विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन और इस क्षेत्र में काम कर रहे नए कलाकारों को प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य अलंकरण के रूप में अन्य पुरस्कारों के साथ तीन नए पुरस्कार भी दिए जाएंगे। इसमें लोकगीत के क्षेत्र में “लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार” दिया जाएगा। वहीं लोक संगीत के क्षेत्र में योगदान देने वाले कला साधकों को “खुमान साव पुरस्कार” से सम्मानित किया जाएगा।

माता कौशल्या सम्मान

इसी तरह माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में श्रेष्ठ रामायण (मानस) मंडली को “माता कौशल्या सम्मान” से अलंकृत किया जाएगा। राज्य अलंकरण की भाँति ही इन श्रेणियों के पुरस्कार भी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान प्रदान किए जाएंगे।

लोकगीत व लोक संगीत के प्रति बढ़ेगी रुचि

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि, राज्य की संस्कृति के ध्वज वाहकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके नाम पर पुरस्कार संस्थित किए जाने से उन महान कलाकारों के योगदान की जानकारी भी भावी पीढ़ी को होगी। इसके अलावा लोकगीत व लोक संगीत के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।

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