छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 27 विधानसभा सीट पर संकट, आरक्षण में कटौती के बाद आदिवासी वोटरों को मनाने की कोशिश
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण के प्रावधान को खत्म कर दिया है। इसके बाद राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है। एक तरफ जहां भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने में जुटी है तो कांग्रेस ने अपनी 27 सीटें बचाने में लगी है।
By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Wed, 05 Oct 2022 04:49 PM (IST)
रायपुर, जागरण नेटवर्क। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण के प्रावधान को खत्म कर दिया है। इसके बाद राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है। एक तरफ जहां भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने में जुटी है, तो वहीं कांग्रेस ने राज्य में अपनी 27 विधानसभा सीटों को बचाने की कोशिश शुरू कर दी है।
बता दें कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद आदिवासी वर्ग के आरक्षण में कटौती हो गई है। कटौती के लिए एक ओर जहां आदिवासी समाज जगह-जगह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कांग्रेस उन्हें मनाने में जुटी है। छत्तीसगढ़ में आदिवाासी वोटर और विधायकों के दम पर सरकार बनती और टूटती है। कांग्रेस के 15 साल के सत्ता के वनवास को दूर करने में भी आदिवासी विधायकों की अहम भूमिका थी। प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 29 में से 27 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली। भाजपा के सिर्फ दो आदिवासी विधायक जीत पाए।
कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप जारी
प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 29 विधानसभा सीट है, जिसमें से 27 पर कांग्रेस विधायक हैं। अब आदिवासी खेमे के नाराज होने के बाद कांग्रेस को इन सीटों को खोने का डर सता रहा है। एक साल बाद यहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस के नेता आदिवासी क्षेत्रों में जनता के बीच पहुंचकर आरक्षण कटौती के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने आरक्षण के मुद्दे पर कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की। अब राज्य सरकार आरक्षण बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में है।यह भी पढ़ें- Ravan Dahan 2022: दिल्ली-NCR में इन जगहों पर देख सकते हैं भव्य रावण दहन, दिग्गज हस्तियां भी करेंगे शिरकत
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