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Vijay Sharma Interview: 'अगर नक्सली बात करना चाहते हैं तो बिना शर्त वार्ता करनी होगी', डिप्टी सीएम विजय शर्मा बोले- छत्तीसगढ़ में...

छत्तीसगढ़ की राजनीति में दिसंबर 2023 में बड़ा उलटफेर हुआ भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार प्रदेश की सत्ता से बेदखल हुई और जनता ने एक बार फिर भाजपा को सत्ता सौंप दी। इसके साथ ही हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में उभरे कवर्धा के 51 वर्षीय विधायक विजय शर्मा जो अब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री की भूमिका में हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Sat, 01 Jun 2024 04:36 PM (IST)
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जागरण से खास इंटरव्यू में खुलकर बोले उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा। (फोटो, जागरण)
जेएनएन, रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में दिसंबर 2023 में बड़ा उलटफेर हुआ, भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार प्रदेश की सत्ता से बेदखल हुई और जनता ने एक बार फिर भाजपा को सत्ता सौंप दी। इसके साथ ही हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में उभरे कवर्धा के 51 वर्षीय विधायक विजय शर्मा, जो अब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री की भूमिका में हैं।

वह भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश भाजपा के महामंत्री की भूमिका में रह चुके हैं, लेकिन अक्टूबर 2021 में कवर्धा में हुए 'भगवा झंडा विवाद' ने उन्हें भाजपा का फायर ब्रांड नेता बना दिया। कवर्धा में 18 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा। इंटरनेट की सेवाएं बंद करनी पड़ी, लेकिन हिंदू संगठनों के बैनर तले उन्होंने बड़ा आयोजन करके वहां 120 फीट ऊंचा झंडा फहराया। इस विद्रोह ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नई पहचान दी।

शर्मा ने बड़े आंदोलनों की पटकथा लिखी

विधानसभा चुनाव से पहले मोर आवास-मोर अधिकार जैसे बड़े आंदोलनों की पटकथा भी उन्होंने लिखी। नतीजन भूपेश सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इसी पृष्ठभूमि के कारण पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पहली बार के विधायक होने के बावजूद उन्हें सीधे उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री बना दिया। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब मुख्यमंत्री के साथ दो उपमुख्यमंत्रियों ने भी शपथ ली हो।

सामान्य किसान परिवार में जन्म

सामान्य किसान परिवार में जन्म, जिला पंचायत के सदस्य से लेकर उपमुख्यमंत्री पद तक का सफर, कांग्रेस नेताओं के भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाई गई मुहिम को कार्रवाई के अंजाम तक पहुंचाना और इन आंदोलनों के कारण खुद के विरुद्ध दर्ज सात अपराधिक मामलों को झेलने की क्षमता ने उन्हें पार्टी में मजबूत नेता के रूप में उभारा। बेशक राजनीति उनका पेशा है, लेकिन विशेषज्ञता भौतिकी है।

विज्ञान के विद्यार्थियों को पढ़ाते थे विजय शर्मा

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से भौतिकशास्त्र में एमएससी के बाद वह विज्ञान के विद्यार्थियों को पढ़ाते थे। उनकी कार्यशैली का अंदाजा इस बयान से लगाया जा सकता है, जब वह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ और देश में भाजपा की सरकार होने का मतलब ही है कि देश से नक्सलवाद व आतंकवाद खात्मा हो जाना। अगर नक्सली बात करना चाहते हैं तो वह अव्यवहारिक शर्तें नहीं रख सकते हैं। उन्हें बिना शर्त वार्ता करनी होगी।

नक्सल क्षेत्र के युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में मोड़ने की जरूरत है और सरकार इसी दिशा में काम कर रही हैं। दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ संदीप तिवारी से विजय शर्मा की बातचीत के प्रमुख अंश:

नक्सलवाद के विरुद्ध लगातार सफलता मिल रही है। यह किस बदलाव का असर है?

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस के अधिकारी या जवान नहीं बदले गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था पुरानी ही है। बदला है तो केवल सरकार का संकल्प। कांग्रेस की भूपेश सरकार समझौते वाली सरकार थी। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार संकल्प के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में आगे बढ़ रही है और इसीलिए यह परिवर्तन दिख रहा है। कुछ तकनीकी सुधार भी हुए हैं परंतु सुरक्षा के मद्देनजर उनपर ज्यादा नहीं बोल सकते। भाजपा का संकल्प-पत्र ही नक्सलवाद और आतंकवाद के खात्मे का अस्त्र-शस्त्र है।

बस्तर में पांच महीने में ही 122 नक्सली ढेर हुए हैं, क्या लड़ाई की रणनीति बदली गई, अरबन नक्सलियों से कैसे निपटेंगे?

रणनीति एक आंतरिक मामला है और इस पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए। वास्तविक विषय है हिंसा को खत्म करने की मंशा और इच्छाशक्ति। केंद्र सरकार के समन्वय से ही हम आगे बढ़ रहे हैं। नक्सलवाद के संदर्भ में एक ही बात स्पष्ट है कि इसका समर्थन करने वालों के लिए बुरा समय आ चुका है। वह लोग चाहे गांव-जंगल में रह रहे हों या शहर में, उन्हें सुधरना और बदलना ही होगा। मुख्यधारा में नहीं लौटने वालों को सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

सरकार नक्सलियों से शांति वार्ता की अपील कर रही है। बात नहीं बनी तो क्या लड़ाई ज्यादा आक्रामक होगी?

हम यही चाहते हैं कि खून-खराबा न हो। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय नहीं मानते कि बड़ी संख्या में नक्सलियों का मारा जाना बहुत महत्वपूर्ण है। नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान का यह छोटा सा हिस्सा है। राज्य सरकार बस्तर के गांव-गांव में विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इस मार्ग में आनेवाली बाधाओं को खत्म करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए नक्सलवाद को समाप्त करना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन वर्ष के भीतर नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। मैं भाजपा का एक छोटा कार्यकर्ता हूं। विकास के बहुत सारे आयामों पर काम हो रहा है। जहां तक शांति वार्ता की बात है, वह होगी ही।

उन्होंने कहा कि हम नक्सलियों के छोटे से लेकर बड़े समूह तक से बातचीत के लिए तैयार हैं। प्रदेश में नक्सल विषय को अच्छे से समझेंगे तो यहां टॉप कैडर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का है। यही लोग छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को चलाना चाहते हैं। नक्सली नेता तो छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों का केवल उपयोग कर रहे हैं। मैं दावे के साथ कहना चाहता हूं कि 95 प्रतिशत लोग नक्सल नेताओं के जाल फंसकर उनके लिए काम कर रहे हैं। सभी स्थानीय लोग नक्सलियों से मुक्ति चाहते हैं।

दरअसल, नक्सली पहले स्थानीय लोगों से अपराध करवाते हैं और फिर उनका इस्तेमाल करते हैं। स्थानीय लोगों को डर रहता है कि मुख्य धारा में लौटेंगे तो पुलिस पकड़ कर कार्रवाई करेगी। मैंने महसूस किया कि बस्तर में समर्पण करने वाला नक्सली दूसरे ही दिन से ही सरकार के प्रति विश्वसनीय हो जाता है। उससे मिलकर आपको नहीं लगेगा कि वह कभी नक्सली था। हमारे लोग मानसिक रूप से नक्सली नहीं हैं। इसलिए हमेशा शांति वार्ता और पुनर्वास पर बात होगी। एनकाउंटर या आपरेशन अलग बात है। नक्सलवाद से मुक्ति के लिए प्रदेश के सभी लोग मुख्य धारा में अवश्य लौटेंगे।

विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार के आते ही नक्सली गतिविधियां बढ़ गईं, क्या यह सही है?

मैंने पहले ही कहा कि पूर्ववर्ती सरकार समझौते वाली सरकार थी। हम विकास के लिए नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। अगर विकास में कोई बाधक बनेगा तो सख्ती भी दिखाई देंगे। नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई का एक ही उद्देश है कि बस्तर के गांव-गांव तक विकास पहुंचे। बस्तर के गांव के विकास मार्ग पर नक्सलियों ने जगह-जगह आइईडी बिछा रखी है। सरकार की प्रतिबद्धता के कारण जब हम आगे बढ़ते हैं तो टकराव होता है। अभी हमने टेकलगुड़ा, सिलगेर, पूवर्ती जैसे नक्सल प्रभावित गांवों के युवाओं को रायपुर और विधानसभा का भ्रमण कराया था।

तब हमें समझ में आया कि वहां के युवाओं ने आज तक कभी टीवी-सिनेमा भी नहीं देखा है। बिजली नहीं देखी। मोबाइल का भी उन्हें ठीक से पता ही नहीं,जिनके पास मोबाइल फोन है, वह भी रिचार्ज नहीं कर सकते हैं। क्या इन क्षेत्रों के लोगों को बिजली, पानी, सड़क, स्कूल-अस्पताल, मोबाइल टावर की सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। हम यही सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं।

पुलिस और नक्सलियों की बात तो होती है मगर जो पिछले कई दशकों से पीड़ित हैं उनके लिए क्यों बात नहीं हो रही?

हम पीड़ितों का जिलेवार से लेकर गांववार तक रजिस्टर बना रहे हैं। समाज से हाथ जोड़कर सहयोग भी मांगेंगे। समाज के समूह ही ऐसे लोगों की दशा का चिन्हांकन और अवलोकन करेंगे। प्राप्त तथ्यों के आधार पर आगे की रणनीति बनाएंगे। हम उन लोगों के लिए पुनर्वास नीति में बदलाव कर रहे हैं जो किसी कारणवश भटक गए हैं। हम यह अपील भी कर रहे हैं कि प्रदेश के जो लोग बहकावे में आकर नक्सलवाद के प्रति आकर्षित हो चुके हैं वह मुख्यधारा में लौटें। हमने नक्सलियों से भी पुनर्वास नीति में बदलाव के लिए सुझाव मांगे हैं। नक्सल नेता मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर वह सामने नहीं आ सकते हैं तो गूगल फार्म या मेल के जरिए सुझाव दे सकते हैं। हालांकि अन्य राज्यों की तुलना में हमारी पुनर्वास नीति बेहतर है फिर भी हम उसमें और संशोधन के लिए तैयार हैं।

एक करोड़ का इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा के गांव में सुरक्षा कैंप और स्वास्थ्य शिविर स्थापना के पीछे क्या संदेश है?

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय प्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री हैं। बस्तर के आदिवासियों को समझना होगा कि यह उन्हीं की सरकार है। नक्सलवाद से पीड़ित लोगों में भी सरकार के प्रति विश्वास होना चाहिए। बस्तर के युवाओं ने रायपुर पहुंचकर कहा कि ऐसी सुविधाएं उनके क्षेत्र में भी होनी चाहिए। युवाओं ने गाना गाया कि वह भी एसपी-कलेक्टर बनना चाहते हैं। हमारे जवानों ने नक्सली माड़वी हिड़मा के गांव पूवर्ती में नया पुलिस कैंप खोलकर नक्सलियों के सबसे मजबूत कहे जाने वाले किले को ढहा दिया। यह इसलिए नहीं कि हम नक्सलियों को डराना चाहते है। यह इसलिए है कि लोगों का सरकार के प्रति विश्वास और मजबूत हो।

नक्सलवाद पर कांग्रेस केंद्र सरकार पर असहयोग का आरोप भी लगाती रही है, क्या सही है?

हम पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के नेताओं से पूछना चाहते हैं कि प्रदेश में 257 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें क्यों नहीं बनीं? 90 से अधिक पुल-पुलिया क्यों नहीं बन सके? पीडब्लूडी की सड़के क्यों नहीं बनी? आप क्यों नहीं चाहते थे कि लोग मुख्यधारा से जुड़ें? अब समझौता नहीं चलेगा। यह भाजपा की सरकार है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संकल्प है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में सबकुछ ठीक कर लिया है। वहां अब कोई आतंकवादी घटना नहीं होती हैं। असम, मेघालय और त्रिपुरा जैसे राज्यों में तेजी से विकास हुआ है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पूरा हुआ। इसी तरह छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का भी खात्मा होगा।

राज्य सरकार के बजट में 'बस्तर और सरगुजा की ओर भी देखो', शीर्षक दिया गया है। इसपर क्या काम हो रहा है?

सरकारी आंकड़े के अनुसार 2013 में प्रदेश के पड़ोसी राज्य ओडिशा का खनिज से राजस्व पांच से छह हजार करोड़ था। अभी वहां आंकड़ा करीब 50 हजार करोड़ पहुंच गया है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में महज 13 हजार करोड़ है। इस बड़े अंतर को कम करना है। अब तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डीएमएफ फंड का प्रयोग स्थानीय स्तर पर ही करने का सख्त प्रविधान कर दिया। इसलिए बस्तर में शांति होने से वहां खनिज का राजस्व बढ़ेगा और स्थानीय लोगों का विकास भी होगा।

आपको मां ने जबरन चुनाव लड़वाया था और पत्नी ने धरना-प्रदर्शन में जाने को प्रेरित किया, कुछ कहेंगे?

मैं कक्षा पांचवीं और नौवीं में उप कक्षा नायक रहा। कक्षा 11वीं में विज्ञान का छात्र था। मुझे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो मैंने इनकार कर दिया। मैंने घर में मां को बताया कि मुझे पढ़ाई करनी है, अगर कोई आपके पास आएगा और अनुरोध करेगा तो आप मना कर देना। मगर मां ने मेरे साथियों से कह दिया कि विजय चुनाव लड़ेगा और मुझे चुनाव लड़ना पड़ा। एक बार ऐसे ही किसानों का धान नहीं बिक रहा था और मैं धरने पर बैठा था। मुझे एक मित्र ने कहा कि रात में घर चले जाओ। मैं घर पहुंचा तो पत्नी ने दरवाजा खोला और पूछा कि क्या आपकी मांग पूरी हो गई। मेरे नकारात्मक उत्तर पर पत्नी कहा कि आप धरना दे रहे बाकी लोगों को छोड़कर रात में सोने कैसे आ गए। तभी मुझे तुलसीदास याद आ गए और धरना स्थल पहुंच गया।

क्या यह सही है कि विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व बड़ा मुद्दा रहा और छत्तीसगढ़ में आप हिंदुत्व का चेहरे भी रहे?

पार्टी ने मुझे चुनाव लड़ाया, गृह मंत्री व उप मुख्यमंत्री बनाया। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का निर्णय रहा होगा। हिंदुत्व तो जीवन है। यह कोई मुद्दा नहीं है। सभी जानते हैं कि जब बाबरी ढांचे का विध्वंश हुआ तो भाजपा ने ऐलान किया कि हम मंदिर बनाएंगे। इसके बावजूद मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकारें सत्ता से बेदखल हुई। प्रदेश की सरकारें बर्खास्त हुईं। चुनाव में भी भाजपा की सरकार नहीं लौटी। यह सोचना गलत है कि भाजपा हिंदुत्व को मुद्दा बनाती है। इसकी जगह यह सोचना सही है कि भारतीय मानबिंदु के लिए हम सौ-सौ सरकारें भी बलिदान कर देंगे।

विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। कैसे संभालेंगे?

घूस लेकर पुलिस की पोस्टिंग करने वाले लोग इस बात की चिंता नहीं करें। मुझे लगता है कि लोकतंत्र में कानून का राज होना चाहिए और छत्तीसगढ़ में कानून का ही राज होगा।

आप युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। क्या कहना चाहेंगे?

राजनीति ऐसा कार्यक्षेत्र है जहां आप बहुत कुछ कर सकते हैं। अगर आपके भीतर नेता है तो उसे बाहर लाइए। युवा राजनीति में शामिल हों। अगर अच्छे लोग राजनीति में नहीं आए तो बुरे लोग शासन करेंगे। हमें राजाओं का राजतंत्र नहीं चाहिए। जमींदारी और नक्सल तंत्र की व्यवस्था नहीं चाहिए। हमे केवल लोकतंत्र चाहिए। इस के लिए अच्छे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जरूरत है।

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