Chhatisgarh News: नक्सलवाद से खेल का हब बनने तक, बस्तर की विकास यात्रा में सीएम साय की अहम भूमिका
मुख्यमंत्री साय की दूरदर्शिता और उनकी मेहनत से बस्तर में अब नक्सलवाद की जगह खेल का नया अध्याय लिखा जा रहा है। यह पहल बस्तर के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और दिखाती है कि सही नेतृत्व से किसी भी क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। बस्तर अब छत्तीसगढ़ का गौरव बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
डिजिटल डेस्क, रायपुर। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने बस्तर के नारायणपुर जिले की क्षमता को पहचानते हुए इसे कई प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंटों के आयोजन स्थल के रूप में चुना है—यह निर्णय विश्वास और परिवर्तन दोनों का प्रतीक है।
छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र, जो कभी अपने पौराणिक महत्व और नक्सलवाद के लिए प्रसिद्ध था, अब विकास की ओर बढ़ रहा है। इस परिवर्तन का श्रेय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को जाता है, जिन्होंने बस्तर को शांति और समृद्धि की राह पर लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
बस्तर, जहां रामायण काल में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने 13 साल बिताए थे, अब एक और ऐतिहासिक बदलाव का गवाह बन रहा है। कभी नक्सलवाद से जूझने वाला यह क्षेत्र अब खेल, विशेष रूप से फुटबॉल के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है। नारायणपुर जिले में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) ने एक नई फुटबॉल पिच का निर्माण किया, जिसने हाल ही में दो राष्ट्रीय चैंपियनशिप की सफलतापूर्वक मेजबानी की।
मुख्यमंत्री साय ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकता बनाई, क्योंकि वे मानते हैं कि खेल से न केवल क्षेत्र का विकास हो सकता है, बल्कि सामाजिक सुधार भी संभव है। उनके नेतृत्व में, AIFF और छत्तीसगढ़ फुटबॉल संघ ने बस्तर में अंडर-20 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशिप आयोजित करने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य बस्तर को खेल का केंद्र बनाना और इसकी सकारात्मक छवि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना है।
AIFF के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने भी इस पहल की सराहना की और कहा कि बस्तर का यह बदलाव देश के लिए एक उदाहरण बनेगा कि कैसे फुटबॉल के माध्यम से समाज और अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सकता है। प्रशासनिक प्रोत्साहन के साथ, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने बस्तर के नारायणपुर जिले की क्षमता को पहचानते हुए इसे कई प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंटों के आयोजन स्थल के रूप में चुना है—यह निर्णय विश्वास और परिवर्तन दोनों का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री साय की दूरदर्शिता और उनकी मेहनत से बस्तर में अब नक्सलवाद की जगह खेल का नया अध्याय लिखा जा रहा है। यह पहल बस्तर के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और दिखाती है कि सही नेतृत्व से किसी भी क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। बस्तर अब छत्तीसगढ़ का गौरव बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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