Move to Jagran APP

Chhattisgarh: चंद्रहासिनी समूह की दीदियों ने तैयार की गणपति की मूर्तियां, घरों और पंडालों में विराजेंगे भगवान

राज्य की महिला स्व सहायता समूहों ने अपने हुनर और मेहनत से एक नई पहचान बनाने में सफलता हासिल की है। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क गोड़बहाल से जुड़कर मां चंद्रहसिनी महिला समूह की दीदियां विभिन्न आकार और रंगो की आकर्षक गणेश मूर्ति का निर्माण कर रही हैं। ये महिला समूह पहले माटी कला कार्य से जुड़कर कार्य कर रही थीं।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 13 Sep 2023 09:48 PM (IST)
Hero Image
रीपा योजना से जुड़कर बदल रही जिंदगी (जागरण फोटो)
रायपुर, ऑनलाइन डेस्क। राज्य की महिला स्व सहायता समूहों ने अपने हुनर और मेहनत से एक नई पहचान बनाने में सफलता हासिल की है। चाहे एलईडी बल्ब का निर्माण हो, फेंसिंग तार जाली का निर्माण हो, फ्लाई ऐस ईंट या गोबर पेंट का निर्माण हो या खाद्य सामग्री का निर्माण हो, सब में उच्च गुणवत्ता और मानकों का ध्यान रखते हुए एक सफल उद्यमी के रूप में महिला स्व सहायता समूह अपना नाम दर्ज करा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: सीएम भूपेश बघेल बोले- राज्य में उद्योगों को मिल रहा है बेहतर वातावरण

गणेश मूर्तियों का निर्माण

हाल ही में रक्षाबंधन के अवसर पर महिला समूह ने कम कीमत पर आकर्षक राखियां बनाकर अपने हुनर से सबको परिचित कराया था। इसी तारतम्य में अब जब गणेश चतुर्थी का त्यौहार आने वाला है तो ऐसे समय पर महासमुंद जिले में समूह की महिलाओं ने इसे एक अवसर के रूप में देखते हुए गणेश मूर्तियों का निर्माण किया है।

महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क गोड़बहाल से जुड़कर मां चंद्रहसिनी महिला समूह की दीदियां विभिन्न आकार और रंगो की आकर्षक गणेश मूर्ति का निर्माण कर रही हैं। ये महिला समूह पहले माटी कला कार्य से जुड़कर कार्य कर रही थीं। अब रीपा योजना के पश्चात इन्हें ज्यादा संसाधन और अवसर मिला।

जगह-जगह विराजेंगे गणपति

महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड के ग्राम पंचायत गोडबहाल गौठान से जुड़ी रीपा योजनांतर्गत चंद्रहासिनी स्व सहायता समूह की महिलाएं गणेश मूर्ति का निर्माण कर रही हैं। इस बार समूह की दीदियों द्वारा बनाए गए गणपति घरों और जगह-जगह पंडालों में विराजेंगे।

क्या कुछ बोलीं नीरा निषाद?

समूह की अध्यक्ष नीरा निषाद ने बताया कि वे लगभग 500 गणेश मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं। अभी पहली खेप बाजार में उतर गई है जिसे अच्छा प्रतिसाद मिला है। वह बताती है कि इस बार गणेश मूर्ति के बिकने से ही तकरीबन एक लाख रुपये आय होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया,

उनके पास विभिन्न आकार में 200 से लेकर 4,000 रुपये तक का गणेश उपलब्ध है जो विभिन्न रंगों और आकर्षक तरीके से बनाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि रीपा योजना से जुड़ने के पहले सभी सदस्य खेतीहर मजदूरी व माटी कला से जुड़े कार्य करते थे। माटी कला कार्य के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं था तथा सतत आय का भी जरिया नहीं था। अब रीपा अंतर्गत अपनी रुचिकर और परंपरागत कार्य को करने में हमें खुशी के साथ साथ आत्मनिर्भरता का अनुभव होता है।

यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ कृषि भवन की रखी आधारशिला

उन्होंने बताया कि समूह में 10 महिलाएं हैं। रीपा योजना लागू होने के बाद चंद्रहासिनी स्व सहायता समूह द्वारा माटी कला का कार्य किया जा रहा है। बाजार व्यवस्था के रीपा एवं स्थानीय बाजार में माटीकला गतिविधि से प्रतिमाह लगभग 8 हजार रूपए की आमदनी हो जाती है।

अबतक माटी कला कार्य से समूह को खर्च काटकर लगभग 3 लाख रुपये की आमदनी हो चुकी है। इस तरह समूह के सभी सदस्य गण माटी कला के कार्यों को अपना भविष्य मानकर राज्य शासन को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।