चारों ओर हरियाली की चादर लपेटे साल वनों से घिरे बस्तर में जलप्रपातों का सौंदर्य इन दिनों चरम पर है, जो आपके मन को सुकून-शांति देने के साथ अद्भुत अहसास देने को तैयार है। तीरथगढ़ में नाइट कैंपिंग, ट्रेकिंग, नेचर ट्रेल के साथ आप देशी व्यंजन का आनंद भी ले सकते हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के तीरथगढ़ जलप्रपात में सीढ़ीदार पत्थरों से अविरल गिरता दूधिया पानी मंत्रमुग्धता के गुणों को अपने में समेटे
पर्यटकों को अपने सौन्दर्य के मोहपाश में बांधने को आतुर है।
चित्रकोट जलप्रपात से विशाल घोड़े के नाल के आकार में पत्थरों से सीधी नीचे उतरती इंद्रावती अब अपने रुद्र रूप में आने को है। वर्षाकाल में इंद्रावती ऐसे ही यहां चट्टानों से गिरकर प्रपात के कई रूप धारण करती है।इन विश्वविख्यात प्रपात के इतर चित्रधारा, मेंदरी घूमर, तामड़ा घूमर, बीजाकसा, फूलपाड़, मंडवा जैसे दर्जनों झरने बरसात में फिर से जीवंत हो उठे हैं।
मानसून ने हरियाली से बस्तर का श्रृंगार कर पर्यटकों के लिए इसे तैयार कर दिया है। पिछले एक पखवाड़े में देश-विदेश से पर्यटक का आवागमन भी यहां बढ़ गया है।
एडवेंचर टूरिज्म के दीवानों के लिए नाइट कैंपिंग व ट्रेकिंग
यदि आपको एडवेंचर टूरिज़्म पसंद है तो तीरथगढ़ में इको विकास समिति की ओर से करवाए जा रहे नाइट कैंपिंग व ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं।इसमें 1200 रुपये के पैकेज में आदिवासी गांव में रात में टेंट में रहने की व्यवस्था के साथ बोनफायर के दौरान यहां की संस्कृति, पर्यटक स्थल और वनस्पतियों के बारे में जानकारी भी आपको मिलेगी।
सुबह नेचर ट्रेल में तीरथगढ़ जलप्रपात से नीचे जंगल के अंदर तक की यात्रा करवाई जाती है, जिसमें जीव-जंतुओं को उनके प्राकृतिक पर्यावास में देख सकते हैं। इस पैकेज में आपको सुबह के नाश्ते के साथ ही भोजन में बस्तर के देशी व्यंजन भी परोसे जाएंगे।चापड़ा चटनी के अलावा बरसात के दिनों में यहां के जंगल में पाई जाने वाली विशेष तरह की मशरुम (फूटू) व साल वनों में मिलने वाले बोड़ा (एक तरह की सब्जी, जिसकी कीमत ढाई हजार रुपये किलो है) का भी स्वाद ले सकते हैं।
इसके अलावा केशकाल के टाटामारी, मांझीनगढ़, दंतेवाड़ा के ढोलकल
पहाड़ी में भी स्थानीय समिति की ओर से ट्रेकिंग करवाई जाती है।
कांगेर में ट्रेकिंग रोमांचक , पक्षी, वन्यजीव व गुफाएं आकर्षण
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में ट्रेकिंग रोमांचक अनुभव होता है। यह उद्यान लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला है। ऊंचे पहाड़, गहरी घाटियां, विशाल पेड़ और मौसमी जंगली फूलों एवं विभिन्न प्रजाति के वन्यजीवों के लिए यह अनुकूल स्थान है।
यहां मिश्रित पर्णपाती वन साल, सागौन, टीक और बांस के पेड़ बहुतायत में है। यहां पहाड़ी मैना, वन मुर्ग, कलगीदार सर्प चील सहित पक्षियों की 144 प्रजातियां यहां पाई जाती है।तेंदुए, माउस हिरण, भौंकने वाले हिरण, उड़ने वाली गिलहरी, नारंगी रंग के चमगादड़ की विशिष्ट प्रजाति, जंगली बिल्ली, चीतल, सांभर, भेड़िया, सियार, लंगूर, जंगली सूअर, लकड़बग्घा सहित 49 प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं।
यहां तितली जोन में 91 प्रजातियों की तितली देखी जा सकती है। यहां तीन असाधारण गुफाएं कुटुमसर, कैलाश और दंडक है। विश्वविख्यात कुटुमसर गुफा भूमि से 35 मीटर नीचे, 1371 मीटर लंबी है।इन गुफाओं में मंत्रमुग्ध कर देने वाली स्टेलेग्माइट और स्टेलेक्टाइट चट्टानों की नैसर्गिक भूगर्भीय संरचनाएं बनी हुई है। पार्क की प्राकृतिक सुंदरता को देखने जिप्सी सफारी व साइकिल की सवारी यहां उपलब्ध है।
होटल से अलग होम स्टे कराते हैं सुखद अहसास
बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में पर्यटकों के लिए कई होटल बजट के अनुसार उपलब्ध है। यहां आने के बाद पर्यटक टैक्सी या निजी वाहन से 38 किमी दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान या 45 किमी दूर चित्रकोट जलप्रपात तक पहुंच सकते हैं।पहले से बुकिंग करवाने पर चित्रकोट में पर्यटन मंडल का रिसार्ट व लोक निर्माण विभाग का अतिथि गृह आपको बजट में मिल जाएगा।
यदि ग्रामीण परिवेश को देखना चाहते हैं तो तीरथगढ़ व चित्रकोट के आसपास आपको कई होम स्टे मिल जाएंगे, जहां आप ठहर सकते हैं। इन होम स्टे में
बस्तर के देशी व्यंजन का स्वाद भी ले सकते हैं।
सड़क और हवाई सफर से पहुंचे
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तक सड़क, रेल व हवाई मार्ग से आप पहुंच सकते हैं। वहां से 170 किमी बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल और करीब 300 किमी दूर बस्तर का संभागीय मुख्यालय जगदलपुर है।
सड़कें अच्छी होने से पांच घंटे में 300 किमी का सफर निजी वाहन से तय कर सकते हैं। रायपुर से हर 15 मिनट में जगदलपुर के लिए बस सेवा उपलब्ध है। रायपुर व हैदराबाद से जगदलपुर तक एकमात्र एयरबस चलती है, इससे एक घंटे में यह दूरी तय कर सकते हैं।कोलकाता व विशाखापट्टनम से रेल की यात्रा भी कर सकते हैं। विशाखापटनम रेलमार्ग पर खूबसूरत अरकू घाटी आपके यात्रा के रोमांच को दोगुना कर देगी।