Godhan Nyay Yojana से छत्तीसगढ़ के किसान हो रहे सशक्त, ग्रामीण महिलाओं और भूमिहीन परिवारों को मिला आय का नया जरिया
दो साल पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया था। आज यह राज्य की एक लोकप्रिय योजना बन चुकी है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गोपालकों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है। अब तक प्रदेश में करीब 72 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है
By Aditi ChoudharyEdited By: Updated: Fri, 23 Sep 2022 05:00 PM (IST)
रायपुर, जागरण डिजिटल डेस्क। Godhan Nyay Yojana: छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना ने एक नई आर्थिक-सामाजिक क्रांति का उद्घोष किया है। बहुत कम समय में इस योजना ने अपनी महत्ता और सार्थकता को साबित कर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में नई सरकार बनने के तत्काल बाद से ही राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों और खेती-किसानी पर व्यापक रूप से जोर दिया गया। नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी जैसे योजना ने जल शक्ति, पशुओं की महत्ता, जैविक खाद और उसके माध्यम से खेती-किसानी को पर्यावरण के अनुकूल, अधिक उत्पादक और लाभकारी, पौष्टिकता लिए हुए स्वास्थ्यवर्धक खाद्यान्न उत्पादन की मुहिम शुरू हुई।
किसानों से मिला आय का नया जरिया
बता दें कि 20 जुलाई 2020 को छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया था। आज यह राज्य की एक लोकप्रिय योजना बन चुकी है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गोपालकों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है। अब तक प्रदेश में करीब 72 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है और गोबर विक्रेताओं को 144 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। इसी तरह 8 अगस्त 2022 से सरकार ने किसानों से गौमूत्र खरीदना प्रारंभ किया है।
गोबर के बाद गौमूत्र भी खरीद रही सरकारइस योजना की केन्द्र बिंदु गौठान ने अपने बहुआयामी कार्यों को गति प्रदान की। इसी की अगली कड़ी में गोधन न्याय योजना के रूप में देखने को मिलती है, जिसमें राज्य सरकार गौ पालकों से 2 रूपए प्रति किलो में गोबर की खरीद करती है। हाल ही में राज्य शासन ने 4 रूपए लीटर की दर से गौमूत्र खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ में कौशल विकास, रोजगार सृजन, हानिकारक रासायनिक की जगह जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। साथ ही के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं, भूमिहीन और गौपालक परिवारों के जीवन में भी इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।महिलाएं नए कौशल से हो रही रूबरू कम्पोस्ट क्रांति योजना के तहत खरीदे गए गोबर से छत्तीसगढ़ के हजारों गौठानों में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद तथा गौमूत्र से जीवामृत और ब्रम्हास्त्र कीटनाशक तैयार किया जाता है। वर्मी कम्पोस्ट को सोसायटियों के माध्यम से 10 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय किया जाता है। इन प्रयासों ने महिलाओं को नये कौशल से रूबरू कराया है। साथ ही जैविक उपज के माध्यम से स्वस्थवर्धक पौष्टिक खाद्यान्न के लिए लोगों को एक बेहतरीन अवसर भी दिया है।
रासायनिक खाद से किसानों ने बनाई दूरीइससे भी बड़ी बात है कि छत्तीसगढ़ के किसान हानिकारक दुष्प्रभाव देने वाले रासायनिक खाद को दरकिनार करते हुए कम्पोस्ट क्रांति की आहट ला रहे हैं। इसमें देश में आसन्न रासायनिक खाद संकट को हल करने में मदद मिल रही है। महिला समूहों द्वारा लगभग 15 लाख 28 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 5 लाख 8 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद और 18 हजार 935 क्ंिवटल सुपर कम्पोस्ट का निर्माण किया जा चुका है।
गोबर से बिजली उत्पादन और प्राकृतिक पेंट बनाने की अनोखी पहलछत्तीसगढ़ के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन और प्राकृतिक पेंट बनाने की अभिनव पहल की गई है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए कुमारप्पा नेशनल पेपर इंस्टिट्यूट जयपुर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के मध्य एमओयू हो चुका है। रायपुर के नजदीक हीरापुर-जरवाय गौठान में गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी का निर्माण किया जा रहा है।
महिलाओं और भूमिहीन परिवारों को मिले रोजगार के अवसरआय और रोजगार के नये अवसर- गोधन न्याय योजना गांवों में आर्थिक सशक्तिकरण का माडल बनकर उभरी है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों विशेषकर महिलाओं और भूमिहीन परिवारों के लिए आय और रोजगार के नये अवसर उपलब्ध हुए हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.19 प्रतिशत महिलाएं हैं। लाभान्वितों में एक लाख 18 हजार 977 भूमिहीन परिवार भी शामिल है।
एक बहुत बड़े नजरिए से यह ग्रामीण परिवेश के व्यापक क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है। इस योजना ने एक बार फिर से महात्मा गांधी के ग्रामीण अर्थव्यवस्था के महत्व को रेखांकित किया है और इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और विकास के व्यापक कार्यों को बल मिला
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