Bilaspur News: विवाहित बेटी पिता पर आश्रित तो कोल इंडिया में मिल सकती है अनुकंपा नियुक्तिः हाई कोर्ट
Bilaspur News छत्तीसगढ़ में हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक फैसले में कहा कि यदि विवाहित बेटी पिता के वेतन पर निर्भर है और पिता कोल इंडिया में नौकरी करते हैं तो वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र हो सकती हैं।
By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Thu, 17 Nov 2022 05:53 PM (IST)
बिलासपुर, राधाकिशन शर्मा। Bilaspur News: कोल इंडिया (Coal India) के कर्मचारी की विवाहित बेटी यदि पिता के वेतन पर निर्भर है तो वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र हो सकती है। हालांकि इससे पहले अफसरों को इस बात की जांच की जानी चाहिए कि क्या वास्तव में विवाहित बेटी पिता के वेतन पर आश्रित है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) की डिवीजन बेंच ने एक मामले में यह आदेश दिया है।
जानें, क्या है मामला
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की चरचा खदान में कार्यरत कर्मचारी की सेवा के दौरान 14 अप्रैल, 2021 को मृत्यु हो गई थी। उनकी पत्नी शोभा परिदा ने बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए एसईसीएल प्रबंधन के समक्ष आवेदन किया। बेटे की उम्र अधिक होने का हवाला देते हुए प्रबंधन ने 16 मई, 2021 को आवेदन निरस्त कर दिया। इसके बाद शोभा ने 19 मई, 2021 को एसईसीएल प्रबंधन से संपर्क कर विवाहित बेटी नर्मदा को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग करते हुए आवेदन किया। आवेदनकर्ता ने बताया कि बेटी पिता पर आश्रित है और भरण पोषण भी पिता की कमाई से होता है।
अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाए
इस मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एके गोस्वामी और जस्टिस संजय अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के परिप्रेक्ष्य में कहा कि विवाहित बेटी यदि पिता पर ही आश्रित है तो वह अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार है। डिवीजन बेंच ने एसईसीएल प्रबंधन को याचिकाकर्ता की बेटी को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए निर्देश जारी किया है। बेंच ने कहा कि आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के 45 दिनों के अंदर यथाशीघ्र प्राथमिकता के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाए।संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 के प्रविधानों का उल्लंघन
कोल इंडिया की ओर से जारी गाइडलाइन में दो श्रेणियों में अनुकंपा नियुक्ति के पात्रों की सूची बनाई गई है। प्राथमिक श्रेणी में विधवा पत्नी, पुत्र, अविवाहित पुत्री, कानूनी दत्तक संतान तो द्वितीय श्रेणी में ससुर पर आश्रित विधवा बहू, विधवा बेटी, दामाद आदि आते हैं। इस पर डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में विस्तार से टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित बेटी का बहिष्कार अनुचित है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत निर्धारित प्रविधानों का उल्लंघन है।
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