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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी की बिलासपुर की हुंकार रैली के बाद प्रश्नोत्तरी की रेल

Hunkar rally दावों और प्रतिदावों की रेल में मुख्य विषय महिला सुरक्षा का भी आ गया है। बात कहां से निकली है और कहां तक जाएगी यह तय कर पाना अभी विश्लेषकों की विचार परिधि के भी बाहर है।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Mon, 14 Nov 2022 05:28 PM (IST)
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छत्तीसगढ़ में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव है और ऐसी तल्खियां अभी और दिखेंगी।

सतीश चंद्र श्रीवास्तव। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी की बिलासपुर में हुई हुंकार रैली आक्रामकता के कारण प्रतिध्वनियां छोड़ गई है तो प्रश्नों की भी रेल लग गई है। कुछ कांग्रेस वाले बटोर रहे हैं तो कुछ भाजपा वाले। अपने अपने अर्थ हैं, अपने अपने मतलब हैं। प्रदेश में महिलाओं से अत्याचार के मामलों पर भाजपा की हुंकार की हवा कांग्रेस ने एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो) के आंकड़ों के आधार पर निकाली तो भाजपा ने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर इस हवा का रुख मोड़ उल्टी दिशा दे दी। दावा जनता से जुड़े मुद्दे का हो रहा है, जबकि इन मुद्दों से जनता की भावनाएं भड़केंगी या भटकेंगीं, यह भी सवाल बन गया है। उम्मीद की जा सकती है कि यह सब समय के साथ स्पष्ट होगा, मगर आमजन को यह सबकुछ संकेतक जैसा भी दिखने लगा है कि छत्तीसगढ़ में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव है और ऐसी तल्खियां अभी और दिखेंगी।

हुंकार रैली में स्मृति इरानी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रायोजित प्रश्न करवाया है कि प्रदेश में भारतीय रेल की क्या स्थिति है? यद्यपि पत्रकारों से बातचीत में बघेल ने स्मृति इरानी से जवाब मांगा था कि प्रदेश में भारतीय रेल की स्थिति खराब क्यों है? इरानी को बताना चाहिए कि क्या महिलाओं को रेल की आवश्यकता नहीं है? यहां उल्लेखनीय है कि कोरोना काल गुजरने के बाद भी प्रदेश से ट्रेनों का आवागमन सामान्य नहीं हो पाया है। अब भी 20 से अधिक ट्रेनें रद हैं। दीपावली और छठ के दौरान 50 से अधिक ट्रेनों के रद होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इसी तरह रायपुर से बस्तर को जोड़ने वाली रेल लाइन बीच में ही अटकी हुई है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसे ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था। अब रेल लाइन बिछाने के लिए गठित सरकारी कंपनी ने ही हाथ खड़े कर दिए हैं। स्मृति इरानी ने सीएम के प्रश्न का अर्थ अपने तरीके से निकाला और दावा किया कि नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश के लिए 9,400 करोड़ रुपये दिए हैं। इस तरह बात रेल से शुरू हुई थी और केंद्रीय सहायता में उलझ गई।

इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगा दिया है कि स्मृति इरानी ने छत्तीसगढ़ियों का अपमान किया है। उन्होंने कहा है कि घर में घुसकर मारेंगे। इसका अर्थ है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ को अपना नहीं मानते और छत्तीसगढ़ पर हमला बोलेंगे। यही है बातों का अपने तरीके से अर्थ निकलना। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को पराजित कर सांसद बनीं इरानी ने महतारी हुंकार रैली में दावा किया था कि अमेठी की हार के बाद राहुल अपना परंपरागत क्षेत्र छोड़कर देशभर की पदयात्रा कर रहे हैं। समर्थन में भाजपा नेता स्मृति इरानी का वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें वह कह रही हैं कि कांग्रेसी यह जान लें कि हम दुश्मन को दूर से ललकारते नहीं, उनके घर में घुसकर मारते हैं। अब यहां छत्तीसगढ़िया मान-अपमान की बात ने नया उलझाव पैदा कर दिया है। मीडिया भी नेताओं की इस बयानबाजी में उलझ गई है।

वैसे, महतारी हुंकार रैली के माध्यम से प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा भी चर्चा के केंद्र में आ गई है। इरानी ने दावा किया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के चार साल के दौरान छह हजार से अधिक महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ। जवाब देने के लिए सरकार के मंत्री और कांग्रेस के प्रवक्ता मैदान में उतर आए। एनसीआरबी के आंकड़ों के साथ कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने दावा किया कि चार साल में महिला अपराध में 62 प्रतिशत की कमी आई है। दुष्कर्म के मामले में प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर पांचवें से 11वें और दुष्कर्म के प्रयास के मामले में 10वें से 16वें स्थान पर पहुंच गया है।

वर्ष 2019 के 1,035 व वर्ष 2020 के 1,210 और वर्ष 2021 के 1,093 दुष्कर्म के आंकड़े प्रस्तुत किए गए। इस तरह कुल 3,338 मामलों का दावा किया गया। जवाबी हमले में भाजपा के मीडिया विभाग से केदार गुप्ता ने डा. रमन सिंह के प्रश्न पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू द्वारा फरवरी 2022 में विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ा प्रस्तुत कर दिया, जिसमें प्रदेश में 5,153 दुष्कर्म के मामलों की बात कही गई है। दावों और प्रतिदावों की रेल में मुख्य विषय महिला सुरक्षा का भी आ गया है। बात कहां से निकली है और कहां तक जाएगी, यह तय कर पाना अभी विश्लेषकों की विचार परिधि के भी बाहर है।

[संपादकीय प्रभारी, रायपुर]

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