Chhattisgarh News: ओलिंपिक और एशियाई खेल की तैयारी, सोने पर निशाना साधने के लिए पहाड़ी कोरवा व आदिवासी बच्चों ने थामा तीर-कमान
तीरंदाजी प्रशिक्षक राजेन्द्र देवांगन का कहना है कि चयनित पहाड़ी कोरवा बच्चे तीर—धनुष पकड़ने और निशाना साधने में माहिर हैं। उन्हें सिर्फ राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय खेल स्पर्धा के नियम व मापदंड की जानकारी देकर अभ्यास कराया जा रहा है। इन बच्चों में इस खेल को सिखने की गजब की ललक है। रोज सुबह पांच बजे उठ कर बच्चे अभ्यास में जुट जाते हैं।
रविंद्र थवाईत, जशपुरनगर। ओलिंपिक और एशियाई खेल जैसी स्पर्धाओं में देश को स्वर्ण पदक दिलाने के इरादे के साथ विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा और आदिवासी वर्ग के बच्चों ने उनके लिए स्थापित तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र में तीर-कमान थामकर अभ्यास शुरू कर दिया है। इन बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए विशेष कोच की नियुक्ति की गई है। यहां बच्चों को तीरंदाजी के साथ ताइक्वांडो और तैराकी का भी निश्शुल्क प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इन्हें प्रशासन की ओर से निश्शुल्क किट भी उपलब्ध कराया गया है।
जिला शिक्षाधिकारी जितेन्द्र प्रसाद ने बताया कि कलेक्टर विजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में एक अप्रैल से अकादमी में प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। इसके लिए खिलाड़ियों का चयन 2019 में ही कर लिया गया था। केन्द्र में बच्चों को निश्शुल्क आवास व भोजन के साथ आवश्यक साजो समान भी दिया गया है।तीरंदाजी प्रशिक्षक राजेन्द्र देवांगन का कहना है कि चयनित पहाड़ी कोरवा बच्चे तीर—धनुष पकड़ने और निशाना साधने में माहिर हैं। उन्हें सिर्फ राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय खेल स्पर्धा के नियम व मापदंड की जानकारी देकर अभ्यास कराया जा रहा है। इन बच्चों में इस खेल को सिखने की गजब की ललक है। रोज सुबह पांच बजे उठ कर बच्चे अभ्यास में जुट जाते हैं। तीरंदाजी में खिलाड़ी के हाथ की स्थिरता और निशाने पर उसकी एकाग्रता महत्वपूर्ण होती है। किशोर खिलाड़ियों को अभी इसका अभ्यास कराया जा रहा है।
तैराकी प्रशिक्षक गजेन्द्र साहू का कहना है कि जनजातिय इलाके में तैराकी के विकास की अपार संभावनाएं हैं। बच्चे गांव के नदी तालाब में खेल खेल में तैराकी सीख जाते हैं। उन्हें खेल के लिहाज से निखारने की आवश्यकता होती है।पीटीआई प्रदीप चौरसिया ने बताया कि इस साल इन खिलाड़ियों को जिला और राज्य स्तर पर आयोजित होने वाले क्रीड़ा प्रतियोगिता के लिए तैयार किया जा रहा है। आगे चल कर जिले के ये खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्पर्धाओं में शामिल होकर देश और प्रदेश के लिए गोल्ड मेडल हासिल करेगें।
पांच सदस्यी समिति करेगी संचालनएकलव्य खेल अकादमी का संचालन करने के लिए जिला प्रशासन ने पांच सदस्यी समिति का गठन किया है। इसमें संयुक्त कलेक्टर सचिन भूतड़ा,जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र प्रसाद,सहायक आयुक्त बीके राजपूत,जिला खेल अधिकारी प्रेमलाल सिदार,पीटीआई प्रदीप चौरसिया शामिल हैं।बदहाल स्टेडियम बन गया प्रशिक्षण केन्द्रएकलव्य खेल अकादमी शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के समीप स्थित रणजीता स्टेडियम के ड्रेसिंग रूम में बनाया गया है। उपेक्षा का शिकार हो कर इस ड्रेसिंग रूम की हालत बदतर हो गई थी। प्रशिक्षण केन्द्र का रूप देने के लिए इसे नए सिरे से सजाया संवारा गया है। अकादमी शुरू हो जाने से स्टेडियम में असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर भी विराम लग गई है।
किशोर खिलाड़ियों में उत्साहअकादमी में तीरंदाजी का प्रशिक्षण ले रहे किशोर खिलाड़ियों में उत्साह देखने को मिल रहा है। दुलदुला ब्लाक के मकरीबंधा गांव से आए मनोज कुमार ने बताया कि उनके पिता मनी चंदन राम से उसने घर में तीर धनुष चलाना सीखा था। अब वह प्रशिक्षित होकर,गोल्ड मेडल हासिल करना ही उसका लक्ष्य है। वहीं फरसाबहार ब्लाक के सेमरकछार गांव से आए विपिन भगत ने बताया कि शुरूआत में उसे निशाना साधने के लिए हाथ को स्थिर रखने में कठिनाई आ रही है। इसके लिए वह कोच के मार्गदर्शन में ईंट से हाथ को स्थिर रखने का कड़ा अभ्यास कर रहा है।
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