Lok Sabha Election 2024 Result: छत्तीसगढ़ में 'डबल इंजन' से विकास की उम्मीद वाला परिणाम, 11 में से 10 सीटों पर भाजपा ने पाई जीत
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वर्ष 2019 के नौ में से सिर्फ दो सांसदों दुर्ग के विजय बघेल और राजनांदगांव के संतोष पांडेय को ही 2024 में अवसर दिया और दोनों ही सफल रहे। भाजपा नेतृत्व ने राज्य और केंद्र में सरकार बनने पर नक्सलवाद के पूर्ण सफाये के साथ ही शिक्षा चिकित्सा रोजगार और ढांचागत सुविधाओं में गुणात्तमक सुधार का वादा किया था।
सतीश चंद्र श्रीवास्तव, जागरण, रायपुर। लोकसभा चुनाव परिणाम से स्पष्ट संकेत है कि छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने डबल इंजन की सरकार में विकास की उम्मीद के साथ मतदान किया। अपने छह महीने के कार्यकाल में प्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री काफी हद तक जनता का भरोसा जीतने में सफल रहे। विधानसभा चुनाव के संकल्प-पत्र के कार्यान्वयन का इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा।
साथ ही यह भी माना जा सकता है कि कांग्रेस की गुटबाजी और भ्रष्टाचार के आरोपितों की उम्मीदवारी ने भी 11 में 10 सीटों पर भाजपा की राह को आसान बनाया। कांग्रेस के नेता व नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी डॉ. ज्योत्सना महंत ने कोरबा से जीत पाई है। उन्होंने भाजपा की पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सरोज पांडेय को पराजित किया है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वर्ष 2019 के नौ में से सिर्फ दो सांसदों, दुर्ग के विजय बघेल और राजनांदगांव के संतोष पांडेय, को ही 2024 में अवसर दिया और दोनों ही सफल रहे। भाजपा नेतृत्व ने राज्य और केंद्र में सरकार बनने पर नक्सलवाद के पूर्ण सफाये के साथ ही शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार और ढांचागत सुविधाओं में गुणात्तमक सुधार का वादा किया था।
पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कई सभाएं कर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर प्रदेश में विकास, रोजगार और उद्योग की संभावाओं के लिए संदेश दिया। सरल व्यवहार के साथ दृढ़ संकल्प वाले मुख्यमंत्री साय ने भी 130 से अधिक सभाओं के माध्यम से 2047 के विकसित छत्तीसगढ़ का लक्ष्य जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया।
उल्लेखनीय है कि 2018 में 68 सीटें जीतकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भूपेश बघेल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की सिर्फ दो सीटें ही जिताने में सफल रहे थे। ये दिग्गज नेता हारेकांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव, कवासी लखमा को बस्तर और देवेंद्र यादव को बिलासपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था। तीनों के नाम 540 करोड़ रुपये के कोयला परिवहन घोटाला, 2,100 करोड़ के आबकारी घोटाला और हजारों करोड़ रुपये के महादेव सट्टा एप से जुड़े भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
इसी तरह विधायक और मंत्री रहते हुए पराजित शिवकुमार डाहरिया, ताम्रध्वज साहू और विकास उपाध्याय को कांग्रेस ने क्रमश: जांजगीर चांपा, महासमुंद और रायपुर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। साय के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए जनता ने इन सभी को नकार दिया। भाजपा से पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सरोज पांडेय भी चुनाव हार गईं। जीत की प्रमुख वजह प्रदेश में भाजपा की जीत सुनिश्चित कराने में लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा ने भी अहम योगदान किया।
मुख्यमंत्री साय और प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह के नेतृत्व में संगठन ने बेहतर तालमेल के साथ काम किया तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज बस्तर से टिकट कटने के बाद लगभग अलग-थलग पड़ गए। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे की छह चुनावी सभाएं भी प्रभाव छोड़ने ने सफल नहीं रहीं।इधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकेले चार सभाएं कीं। इसके अलावा भाजपा से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य नेताओं की 17 सभाओं ने भाजपा के पक्ष में माहौल को मजबूती दी। प्रदेश के 34 प्रतिशत आदिवासियों के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का नाम भरोसे का पर्याय बनता जा रहा है। सनातन विचारधारा वाले साय मतांतरण, ईसाई मिशनरियों और नक्सलियों के विरुद्ध दृष्टि और कार्यनीति के लिए भी जाने जाने लगे हैं। यही कारण रहा कि छह महीने पहले सत्ता पर काबिज डबल इंजन की सरकार को भी जनता का पुरजोर समर्थन मिला।
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