Chhattisgarh: पीएम मोदी को मिले उपहार खरीद कर बना डाला संग्रहालय, भगवान विष्णु की मूर्ति है सबसे खास
नमामि गंगे योजना के जरिए गंगा नदी की सफाई के लिए धनराशि जुटाने के लिए पीएम मोदी को मिले उपहारों को खरीद कर शहर के चिकित्सक डा. संजीव जैन ने बना डाला संग्रहालय। वह पीएम मोदी को अपना आदर्श मानते हैं।
रायपुर,जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना आदर्श मानने वाले शहर के चिकित्सक डा. संजीव जैन ने उनके उपहारों की खरीदी कर अपना एक संग्रहालय बना दिया है। नमामि गंगे योजना के जरिए गंगा नदी की सफाई के लिए धनराशि जुटाने प्रधानमंत्री मोदी को देश-विदेश से मिले उपहार की केंद्र सरकार से बिक्री की जा रही थी। इसका पता चलते ही डा. जैन ने नमामि गंगा योजना में अपना योगदान देने की ठानी। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को मिले 17 उपहारों को करीब तीन लाख रुपए खर्च कर खरीदा। अब उन्होंने इन उपहारों से अपने घर में एक छोटा संग्रहालय बना डाला है।
विष्णु की मूर्ति है खास
डाक्टर संजीव ने बताया कि इन उपहारों में सबसे खास उपहार भगवान विष्णु की मूर्ति है, जो एक लाख 75 हजार रुपए की है। भगवान शिव की मूर्ति, घोड़े पर सवार महाराजा की मूर्ति, त्रिपुरेश्वरी मंदिर का छोटा स्वरुप, प्रधानमंत्री का पोट्रेट फोटोफ्रेम और कैप समेत दूसरे गिफ्ट भी उन्होंने खरीदे हैं।
अस्पताल में बनाया संग्रहालय
खरीदे गए इन उपहारों को सहेज कर रखने के लिए उन्होंने अपने रायपुर स्थित जीवन मेमोरियल हास्पिटल के उुपरी तल पर संग्रहालय बनाया है, जहां वे अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ ही साथ चिंतन-मनन भी करते हैं। इस संग्राहलय को वह अक्सर लोगों को दिखाते हैं। लोगों को प्रधानमंत्री के उपहारों की ई-नीलामी की प्रक्रिया के बारे में बताते हैं। वह समझाते हैं कि नीलामी की प्रक्रिया को इंटरनेट के माध्यम से आसान बना दिया गया है। कोई भी सामान्य व्यक्ति नीलामी की प्रक्रिया में शामिल होकर अपनी मनपसंद वस्तुएं खरीद सकता है।
बेशकिमती उपहार भी थे शामिल
नमामि गंगे योजना के लिए प्रधानमंत्री को मिले उपहारों में कई बेशकिमती भी थे। इनमें अधिकतम बोली में नीरज चोपड़ा का भाला डेढ़ करोड़ रुपये, भवानी देवी की स्व-हस्ताक्षरित तलवार एक करोड़ 25 लाख रुपये, सुमित अंटिल का भाला एक करोड़ दो लाख रुपए, टोक्यो 2020 पैरालंपिक दल के स्व-हस्ताक्षरित अंगवस्त्र एक करोड़ रुपये व लवलीना बोरगोहेन के मुक्केबाजी वाले दस्ताने 91 लाख रुपये भी थे। तीसरे दौर में 1348 स्मृति चिन्ह ई-नीलामी के लिए रखे गए थे।