माय सिटी माय प्राइड का असर : रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल को मिले 10 स्ट्रेचर और10 व्हील चेयर
अस्पताल अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी को स्ट्रेचर और व्हील चेयर सौंपते हुए राडा के पदाधिकारी
By Krishan KumarEdited By: Updated: Fri, 07 Dec 2018 03:52 PM (IST)
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि : 'दैनिक जागरण' 'नईदुनिया' के 'माय सिटी माय प्राइड' की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में सरकारी अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव का मुद्दा उठा था। यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ और रायपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में मरीजों और बुजुर्गोंं के लिए व्हील चेयर, स्ट्रेचर पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। कई बार व्हीलचेयर न होने की स्थिति में मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। इस कमी को रायपुर ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (राडा) ने गंभीरता से लिया और इसे पूरा कर अपने सामाजिक दायित्व को निभाने का वादा किया था।
'नईदुनिया' के फोरम से घोषणा की थी कि वह जल्द ही अम्बेडकर अस्पताल में 10 स्ट्रेचर, 10 व्हील चेयर देगा। राडा ने इस वादे को पूरा कर दिया। राडा के पदाधिकारी अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे और अस्पताल अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी को ये सामग्री सौंपी। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, राडा के अध्यक्ष मनीषराज सिंघानिया, सचिव विवेक गर्ग, जयेश पिथालिया के साथ ही अन्य पदाधिकारी इस खास मौके पर मौजूद थे।अभियान का समापन, घोषणाएं आज भी जिंदा
माय सिटी माय प्राइड अभियान जुलाई से चल रहा है और 26 सितंबर को फोरम के साथ इसका समापन हुआ था, मगर घोषणाओं और समस्याओं को नईदुनिया आज भी जिंदा रखे हुए है। फोरम में प्रदेश के मंत्री, अफसरों समेत कई हस्तियों ने शिरकत की। संस्थाएं आगे आईं। मंत्री ने रायपुर में दिव्यांग हॉस्टल की घोषणा की, तो किसी ने स्कूलों में अंग्रेजी सिखाने के लिए किट देने की बात कही। सब एक-एक कर अपने वादों को पूरा कर रहे हैं। मुहिम रंग ला रही है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यही था कि हम अपने शहर में कैसे अपनी भागीदारी देकर सुविधा संपन्न् बना सकते हैं। अम्बेडकर अस्पताल को मिली सुविधाओं से अब कैंसर वार्ड के मरीजों को पहुंचने पर व्हील चेयर के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। बुजुर्ग मरीजों को व्हील चेयर की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है। सामाजिक भागीदारी में आगे है राडा
राडा बीते कई वर्षों से लगातार समाज के विकास में अपना योगदान दे रही है। यह संस्था अस्पतालों में व्हील चेयर, स्ट्रेचर और मरीजों के हित में जिन भी सामग्री की जरुरत पड़ती है, मुहैया करवाती है। संस्था प्रदेशभर के युवाओं को नि:शुल्क कौशल उन्न्यन का प्रशिक्षण दिलवाती है। प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी के अवसर भी दिए जाते हैं।
माय सिटी माय प्राइड अभियान जुलाई से चल रहा है और 26 सितंबर को फोरम के साथ इसका समापन हुआ था, मगर घोषणाओं और समस्याओं को नईदुनिया आज भी जिंदा रखे हुए है। फोरम में प्रदेश के मंत्री, अफसरों समेत कई हस्तियों ने शिरकत की। संस्थाएं आगे आईं। मंत्री ने रायपुर में दिव्यांग हॉस्टल की घोषणा की, तो किसी ने स्कूलों में अंग्रेजी सिखाने के लिए किट देने की बात कही। सब एक-एक कर अपने वादों को पूरा कर रहे हैं। मुहिम रंग ला रही है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यही था कि हम अपने शहर में कैसे अपनी भागीदारी देकर सुविधा संपन्न् बना सकते हैं। अम्बेडकर अस्पताल को मिली सुविधाओं से अब कैंसर वार्ड के मरीजों को पहुंचने पर व्हील चेयर के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। बुजुर्ग मरीजों को व्हील चेयर की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है। सामाजिक भागीदारी में आगे है राडा
राडा बीते कई वर्षों से लगातार समाज के विकास में अपना योगदान दे रही है। यह संस्था अस्पतालों में व्हील चेयर, स्ट्रेचर और मरीजों के हित में जिन भी सामग्री की जरुरत पड़ती है, मुहैया करवाती है। संस्था प्रदेशभर के युवाओं को नि:शुल्क कौशल उन्न्यन का प्रशिक्षण दिलवाती है। प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी के अवसर भी दिए जाते हैं।
राडा खुद देता है नौकरी
राडा के अंतर्गत आने वाले ऑटोमोबाइल संस्थानों में इन्हें नौकरी पर रखा जाता हैं। राडा ने रायपुर के एक मूक बधिर स्कूल भवन का रिनोवेशन भी करवाया। राडा आंबेडकर अस्पताल के मरीजों के लिए एसी भी दे चुका है। राडा के अध्यक्ष मनीषराज सिंघानिया कहते हैं कि भविष्य में और भी योजना हैं। सभी एसोसिएशन को सामाजिक सरोकार के कार्यों के लिए आगे आना चाहिए। आखिर कब तक हम शासन-प्रशासन की तरफ देखते रहेंगे। हमारी भी नैतिक जिम्मेदारी है।
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