डबल इंजन की सरकार में बैकफुट पर नक्सली, अब तक मारे गए 80, तीन महीने में ही टूटी नक्सलियों की कमर
नक्सलियों के खिलाफ केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के समन्वय से चल रहे नक्सल विरोधी अभियान का असर दिखने लगा है। इस साल की शुरुआती तीन महीने में ही राज्य में नक्सलियों की कमर टूट गई है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों को देखें तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में जितने नक्सली सालभर में मारे जा रहे थे उससे कहीं अधिक महज साढ़े तीन महीने के भीतर मारे जा चुके हैं।
जागरण डेस्क, रायपुर। नक्सलियों के खिलाफ केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के समन्वय से चल रहे नक्सल विरोधी अभियान का असर दिखने लगा है। यह नक्सलवाद के मोर्चे पर सरकार के आक्रामक रुख का नतीजा ही है कि नक्सल प्रभावित कांकेर के छोटेबेठिया के जंगल में आमने-सामने हुई बड़ी लड़ाई में जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया। मरने वालों में कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं। नक्सल मोर्चे पर पहली बार ऐसा हुआ है कि आमने सामने की लड़ाई में जवान नक्सलियों पर पूरी तरह से हावी दिखे और उन्हें संभालने का अवसर ही नहीं दिया।
इस साल की शुरुआती तीन महीने में ही राज्य में नक्सलियों की कमर टूट गई है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों को देखें तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में जितने नक्सली सालभर में मारे जा रहे थे, उससे कहीं अधिक महज साढ़े तीन महीने के भीतर मारे जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली मुठभेड़ में सत्ता परिवर्तन के बाद विष्णुदेव साय की सरकार में 80 नक्सलियों के मारे जाने से जवान भी उत्साहित है।
लक्ष्य की ओर बढ़ा छत्तीसगढ़
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा के नक्सल विरोधी अभियान में तीन साल के भीतर छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले वर्ष 2023 के शुरुआती तीन माह में सुरक्षा बल ने केवल एक नक्सली को ढेर किया था, वहीं इस वर्ष अब तक 80 नक्सलियों को मार गिराया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 22 जनवरी को रायपुर में वामपंथी उग्रवाद को लेकर बैठक की थी। इसमें नक्सलवाद के खात्मा के लिए तीन वर्ष का समय तय किया गया था।खुफिया तंत्र हुआ मजबूत
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो राज्य में विष्णुदेव साय सरकार आने के बाद नक्सल क्षेत्र में खुफिया तंत्र को मजबूत कर दिया गया है। नक्सलियों की हर गतिविधियों पर पैनी नजर है। गांवों में सुरक्षा कैंप खोलकर ग्रामीणों को विश्वास में लिया जा रहा है। मार्च, 2024 तक 181 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 120 नक्सलियों को पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण करना पड़ा। इस साल नक्सल इलाकों में बीजापुर जिले में आठ, सुकमा जिले में छह, नारायणपुर में तीन, दंतेवाड़ा में एक और कांकेर में एक सहित कुल 19 नये पुलिस कैंप खोले गए हैं। यहां खुफिया एजेंसियों ने भी पैठ मजबूत कर ली है।
सीमावर्ती राज्यों से भी ले रहे मदद
नक्सलवाद से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सहित महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की पुलिस एक साथ काम कर रही है। कवर्धा में पुलिस ने घोषणा की है कि नक्सलियों की गिरफ्तारी या उनके पकड़ने में सहयोग करने पर पुलिस कांस्टेबल की नौकरी मिलेगी। बस्तर आइजीपी सुंदरराज पी. ने कहा कि इसे क्षेत्र के अब तक सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान के रूप में देखा जा सकता है। खुफिया सूचना तंत्र के मजबूत होने से हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। नक्सलियों से अपील है कि आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटें।कश्मीर की तरह का प्लान
सप्ताहभर पहले केंद्रीय गृह सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख ने बैठक ली थी। उन्होंने 10 राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस निदेशकों से वर्चुअली बैठक लेकर रणनीति बनाई थी। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने छत्तीसगढ़ में कश्मीर की तरह लक्ष्य आधारित अभियान (टारगेट बेस्ड आपरेशन) लांच करने पर बात की है।यह भी पढ़ें: सुरक्षाबलों ने 25 लाख के इनामी कमांडर सहित 29 नक्सलियों को किया ढेर, जंगल में मुठभेड़ जारी; भारी मात्रा में हथियार बरामद
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