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जगदलपुर: नक्सली बना रहे थे कॉरिडोर, फोर्स ने स्कूल खोल फैलाया शिक्षा का उजियारा

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्र चांदामेटा गांव को नक्सलियों ने कब्जा कर अपना कारीडोर बना लिया था पर सुरक्षाबल ने यहां कैंप स्थापित कर नक्सलियों को बैकफुट पर जाने मजबूर कर दिया। अब वे यहां स्कूल खोलकर शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 04 Mar 2023 07:23 PM (IST)
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जगदलपुर: नक्सली बना रहे थे कॉरिडोर, फोर्स ने स्कूल खोल फैलाया शिक्षा का उजियारा
अनिमेष पाल, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्र चांदामेटा गांव को नक्सलियों ने कब्जा कर अपना कॉरिडोर बना लिया था, पर सुरक्षाबल ने यहां कैंप स्थापित कर नक्सलियों को बैकफुट पर जाने मजबूर कर दिया।

अब वे यहां स्कूल खोलकर शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं। सुरक्षा बल के साये में स्कूल के ड्रेस में बच्चों को पढ़ते देख गांव की ऐसी महिलाएं, जिनके पति नक्सल आरोप में जेल में बंद हैं, उनका भी मन परिवर्तित होने लगा है।

सुरक्षा बल को दुश्मन समझने वाली ये महिलाएं अब समझ चुकी हैं कि उनका भविष्य सुरक्षित हाथों में है। महिलाएं स्वस्फूर्त होकर गांव में सुरक्षा बल के कैम्प के साथ स्कूल निर्माण में अपना योगदान दे रही हैं।

चांदामेटा की अडालपारा की सुकरी मड़कामी, मासे बेंजामी व सोनी पोड़ियामी ने बताया कि सुरक्षा बल के नहीं होने से नक्सली गांव में जब चाहे तब आकर उत्पात मचाते थे।

गांव के युवकों को संगठन में ले जाने का दबाव बनाते थे। घर से चावल, दाल और राशन लेकर चले जाते थे। साथ नहीं देने पर मारपीट करते थे।

इस वजह से गांव के कई लोगों को नक्सलियों के मदद करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया। उनके पति भी जेल में हैं।

फिलहाल लगभग दो दर्जन लोग जेल में बंद हैं। दो वर्ष पहले गांव में कैंप स्थापित हुआ है। उसके बाद से नक्सलियों का आना बंद हो गया है।

झीरम हमले के बाद इसी कॉरिडोर से भागे थे नक्सली

2006-07 में नक्सलियों ने दरभा डिवीजन की स्थापना के बाद से चांदामेटा, तुलसीडोंगरी की खड़ी चढ़ाई वाली पहाड़ियां नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनते जा रहे थे।

2013 में झीरम घाटी वारदात के बाद भी नक्सलियों ने भागने के लिए इसी कॉरिडोर का उपयोग किया था। कांगेर एरिया कमेटी स्थापित कर चांदामेटा, कोलेंग, नेतानार, बोदल तक नक्सलियों ने क्षेत्र का विस्तार कर लिया था।

इस दौरान संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से मात्र 20 किमी दूर वन विभाग के बोदल नाके में आगजनी और कोलेंग में भवनों को ध्वस्त करने की घटना को अंजाम दिया।

नक्सलियों के डर से खाली होता गांव बसने लगा

चांदामेटा क्षेत्र में 2010 से लेकर 2016 तक नक्सलवाद चरम पर रहा। नक्सलियों के डर से लोग यहां से भागने लगे थे और गांव खाली होता गया।

कैंप स्थापित होने के बाद वीरान होता गांव दोबारा बसने लगा है। बंडी कवासी के पति कोसा की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।

आठ वर्ष तक गांव से भागकर कुकानार में रही। पांच माह पहले बंडी गांव लौट आई है। बंडी ने बताया कि उसके पूरे परिवार के साथ मारपीट की गई थी।

वह मामा के घर चली गई और पांडे कुंजामी नामक युवक से विवाह कर लिया। वहां भी उसे गांव की याद सताती रही।

कृष्णा कवासी ने बताया, आठ वर्ष पहले उसका परिवार नक्सलियों के डर से गांव छोड़कर भाग गया। इस बीच वे कई शहरों में काम के लिए भटकते रहे।

सुरक्षा बल का कैंप स्थापित होने के बाद वह छह माह पहले परिवार समेत गांव लौट आया है। गांव में दुकान खोल लिया है।

क्षेत्र में आधा दर्जन कैंप स्थापित

सड़क, पुल-पुलिया नहीं होने से सुरक्षा बल का यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। आखिरकार पुलिस ने इस क्षेत्र में आपरेशन शुरू किए और नक्सलियों के साथ काम कर रहे गांव के कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई।

इस क्षेत्र में सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच लंबा युद्ध चला। सुरक्षा बल ने एक-एक कर इस क्षेत्र में नेतानार, कोलेंग नाला, भडरीमहु सहित आधा दर्जन कैंप की स्थापना की, जिससे नक्सली बैकफुट पर जाने मजबूर हुए।

सुरक्षा बल के सहयोग से गांव में अस्थायी स्कूल बनाकर मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की गई है। छिंदगुर पंचायत से चांदामेटा तक सड़क बना दी गई है। जून तक डामरीकरण भी हो जाएगा। गांव में पांच से अधिक हैंडपंप लग गए है। इसमें सोलर प्लेट भी लगाए जाएंगे। गांव के विद्युतीकरण के लिए सहमति मिल चुकी है। पशुपालन विभाग से गांव के 15 परिवार को बकरा व चूजा भी वितरित कर रहे हैं। - चंदन कुमार, कलेक्टर बस्तर

अंतरराज्यीय सीमा होने से चांदामेटा और तुलसीडोंगरी क्षेत्र को नक्सली कॉरिडोर की तरह उपयोग करते थे। नक्सली घटना के बाद इसी रास्ते से वे सीमा पार कर जाते थे। इस क्षेत्र में सुरक्षा बल के कैंप स्थापित करने के बाद नक्सली बैकफुट पर हैं। सामुदायिक पुलिसिंग से धीरे-धीरे ग्रामीणों का भरोसा जीतने में सुरक्षा बल कामयाब हो रहे हैं। -पी. सुंदरराज, आइजीपी बस्तर रेंज

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