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ऑपरेशन मानसून: छत्तीसगढ़ में चार माह में 28 मुठभेड़ों में 73 नक्सली ढेर

तीन अक्टूबर को अमावस्या की काली रात में अचानक ही नारायणपुर और दंतेवाड़ा के पुलिस मुख्यालय में हलचल तेज हो गई। अबूझ़माड़ में बड़ी संख्या में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर एक बड़ा अभियान लांच किया गया। मुठभेड़ में 25 लाख की इनामी नक्सली नीति सहित 38 नक्सलियों को ढेर कर दिया। अभियान के बाद घटनास्थल से 31 शव मिले

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sun, 20 Oct 2024 11:00 PM (IST)
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छत्तीसगढ़ में चार माह में 28 मुठभेड़ों में 73 नक्सली ढेर

अनिमेष पाल, नईदुनिया जगदलपुर: तीन अक्टूबर को अमावस्या की काली रात में अचानक ही नारायणपुर और दंतेवाड़ा के पुलिस मुख्यालय में हलचल तेज हो गई। अबूझ़माड़ में बड़ी संख्या में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर एक बड़ा अभियान लांच किया गया।

अब तक पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी.दंतेवाड़ा एसपी गौरव कुमार और नारायणपुर एसपी एसपी प्रभात कुमार के मध्य जो रण्नीति बन रही थी, उसे जमीन पर उतारने के लिए नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले से एक हजार से अधिक जवान को आधुनिक शस्त्रों सहित पैदल ही अबूझमाड़ के जंगल में उतार दिया गया। नदी-नालों, पथरीली और फिसलन भरी पगडंडियों, कंटीली झाडियों और बारूद बिछे रास्तों पर 25 किमी की दूरी तय करने के बाद जवानों, नेंदूर और थुलथुली में नक्सलियों के डेरे तक पहुंचे।

मुठभेड़ में 38 नक्सली ढेर

मुठभेड़ में 25 लाख की इनामी नक्सली नीति सहित 38 नक्सलियों को ढेर कर दिया। अभियान के बाद घटनास्थल से 31 शव मिले, जबकि नक्सलियों ने पत्र जारी कर 38 नक्सलियों के मारे जाने की बात स्वीकारी है। आपरेशन मानूसन की यह बड़ी सफलता रही इसके साथ ही पिछले चार माह में हुई 14 मुठभेड़ में 81 नक्सली ढेर कर दिए गए हैं। इस अवधि में 100 हथियार, जिसमें एसएलआर, एके-47, कार्बाइन मिले हैं। इससे नक्सल संगठन को बड़ा झटका लगा है। आपरेशन मानसून की सबसे बड़ी बात यह रही कि इस अवधि में शीर्ष कैडर के नक्सलियों को ढेर किया गया है।

बहादुर जवानों ने नक्सलियों को मार गिराया

बस्तर में विगत 40 वर्ष से नक्सलियों के विरुद्ध चल रही लड़ाई में मानसून अवधि में यह सबसे बड़ी सफलता है। आधुनिक उपकरणों से रात में भी अभियान थुलथुली मुठभेड़ में दंतेवाड़ा जिले की पुलिस बल का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एस. राजनल्ला (आइपीएस) कर रहे थे। एस. राजनल्ला पिछले एक वर्ष में कई अभियान कर चुके हैं। वे कहते हैं कि नक्सलियों के विरुद्ध लड़ाई की रणनीति को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी जमीनी टीम की होती है। थुलथुली में बहादुर जवानों ने नक्सलियों को उनके गढ़ में पटकनी दी।

यह अभियान रात में किया गया था। नाइटविजन व आधुनिक उपकरण से लैस जवान फिसलन व कीचड़ से भरे रास्ते, जंगली कंटीली झाड़ियां, नदी-नालों को पार कर नक्सलियों के गढ़ में पहुंचे थे। सेटेलाइट फोन पर मुख्यालय में बैठे अधिकारी निर्देशत कर रहे थे। आखिरकार सटिक आसूचना तंत्र, प्रशिक्षित पुलिस बल और सटीक रणनीति से यह अभियान सफल रहा। लड़ाई की रणनीति हुई बेहतर इसी वर्ष मानसून की शुरुआत में 15 जून को अबूझमाड़ के कोड़तामेटा में हुए एक अभियान में नक्सलियों के तकनीकी टीम के आठ नक्सलियों को मार गिराया गया था।

अभियान को पूरा करने 1300 से अधिक जवानाें ने जंगल के भीतर 35 किमी से अधिक की दूरी तय की थी। नारायणपुर, कोंडागांव व दंतेवाड़ा जिले से एसटीएफ, डीआरजी की 40 टीम ने यह अभियान किया था। नाराणपुर टीम का नेतृत्व करने वाले उपपुलिस अधीक्षक विनाय साहू कहते हैं कि अबूझमाड़ में नक्सलियों के गढ़ में किए गए इस अभियान को पूरा करने जवान दो दिन चलकर नक्सली डेरे तक पहुंचे थे। आधुनिक तकनीकी उपकरणों के कारण सुरक्षा बल पहले से सशक्त हुए हैं। रणनीतिक स्तर पर भी पहले से सुधार हुआ है। अब अभियान को राजपत्रित अधिकारी नेतृत्व करते हैं।

जंगल में बढ़ी सुरक्षा बल की गतिविधियां

इससे भी आनफील्ड निर्णय लेना आसान हुआ है, जिससे अभियान में सफलता की दर बढ़ी है। अधिकारी से लेकर जवान तक सभी संकल्पित आइपजी सुंदरराज पी. ने बताया कि पिछले एक वर्ष में 33 फारवर्ड आपरेटिंग बेस कैंप की स्थापना सीधे नक्सलियों के गढ़ में की गई है। इससे जंगल में सुरक्षा बल की गतिविधियां बढ़ी है। आधुनिक उपकरण व संचार सुविधाओं के विस्तार के कारण अभियान के दौरान वे भी सीधे जवानों के संपर्क में रहते हैं। परिस्थिति अनुसार रणनीति में बदलाव भी करना पड़ता है। मुख्यालय में बैठे अधिकारी से लेकर जमीन पर जवान तक सभी एक प्रण होकर नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे सफलता मिल रही है। नक्सली क्षेत्र में बनाए गए कैंप से सामुदायिक कार्यक्रम चलाकर ग्रामीणों तक सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाएं पहुंचा रहे हैं। इससे ग्रामीणों का भरोसा सुरक्षा बल के प्रति बढ़ा है।

100 से अधिक कैंप नक्सलियों के गढ़ में हैं

इसलिए बढ़ा अभियानों की सफलता का प्रतिशत -100 से अधिक नये कैंप पिछले पांच वर्ष में सीधे नक्सलियों के गढ़ में, जिसमें 33 इस वर्ष खोले गए। -सुरक्षाबल के जवान को गुरिल्ला लड़ाई का कड़ा प्रशिक्षण, गले तक उफनते नाले पार करने में दक्ष। -आधुनिक उपकरण से लैस जवान के पास नाइट विजन डिवाइस के साथ ही सेटेलाइट इनपुट उपलब्ध। -जंगल के भीतर लड़ाई का नेतृत्व करते हैं आइपीएस या डीएसपी स्तर के अधिकारी, निर्णय क्षमता में हुआ सुधार।

आसूचना तंत्र को सशक्त किया है। सटीक सूचना पर लांच करते हैं अभियान। -अभियान अब एक से अधिक लांच पैड से। चार से पांच जिले करते हैं संयुक्त आपरेशन। -सामुदायिक पुलिस कार्यक्रम से जवानों के साथ ग्रामीणों का भरोसा। -वर्षवार मारे गए नक्सली और खोले गए सुरक्षा कैंप की स्थिति वर्ष, मारे गए नक्सली, सुरक्षा कैंप खुले 2019, 65, 7 2020, 40, 15 2021, 31, 14 2022, 30, 19 2023, 20, 16 2024, 195, 33 मानसून अवधि की सफलता पुलिस-नक्सली मुठभेड़, 28 गिरफतार नक्सली-316 आत्मसमर्पित नक्सली-349 नक्सली हथियार मिले-100 आइईडी मिले।

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