बंद खदान से खुला पर्यटन और रोजगार का द्वार, पीएम मोदी ने भी सराहा
एसईसीएल में वर्तमान में 67 कोयला खदानें संचालित हैं। 20 से अधिक खदानों में खनन बंद कर दिया गया है। पानी भरने के बाद ये खुली खदानें आसपास के गांव वालों के लिए खतरनाक हो गई थीं। इस संकट में ही संभावना नजर आई और ईको टूरिज्म स्पाट बनाया गया।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 13 Mar 2023 06:43 PM (IST)
कोरबा, प्रदीप बरमैया। कोल इंडिया से संबद्ध साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के बिश्रामपुर स्थित बंद केनापारा कोयला खदान को ईको-टूरिज्म स्पाट के रूप में विकसित किया गया है। फ्लोटिंग (तैरता हुआ) रेस्टोरेंट व नौका विहार के अलावा मछली पालन भी किया जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों को आजीविका का साधन मिला है। इस प्रयास की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर सराहना की है।
बनाया गया ईको टूरिज्म स्पॉट
एसईसीएल में वर्तमान में 67 कोयला खदानें संचालित हैं। 20 से अधिक खदानों में खनन बंद कर दिया गया है। पानी भरने के बाद ये खुली खदानें आसपास के गांव वालों के लिए खतरनाक हो गई थीं। इस संकट में ही संभावना नजर आई और ईको टूरिज्म स्पाट बनाया गया।
1472 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले, बिश्रामपुर क्षेत्र की 10 खदानों ने वर्ष 1961 से अपने संचालन के 57 वर्षों के दौरान 387 लाख टन से अधिक कोयला दिया। इससे राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने वाले छत्तीसगढ़ की विरासत को मजबूती मिली है।
वर्तमान में बिश्रामपुर की बंद केनापारा कोयला खदान (ओपनकास्ट) को तैयार कर लिया गया है। पर्यटन स्थल के रूप में इसे विकसित करने के पीछे दो प्रमुख वजह है, पहला भौतिक परिस्थिति और दूसरा राष्ट्रीय राजमार्ग-43 से कनेक्टिविटी।
तीन दशकों से बंद पड़ी इस खदान की सूरत तब बदल गई जब इसे एक आकर्षक जल संसाधन के रूप में विकसित किया गया। 1.75 किमी लंबाई और लगभग 39 फीट गहराई के साथ 10.57 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले जल स्रोत की सुंदरता देखते ही बनती है।
महिला सशक्तीकरण पर भी जोर
एसईसीएल के प्रयास से छत्तीसगढ़ के मत्स्य पालन विभाग ने मछली पालन और नौका विहार के लिए अवसर यहां विकसित की। स्थानीय ग्रामीणों व महिलाओं को प्रशिक्षित कर समिति बनाई गई और महामाया मत्स्य पालन सोसायटी के माध्यम से यहां ग्रामीण मछलीपालन करते हैं।
186 गरीब महिलाओं का समूह नौका विहार को संभाल रही हैं। तैरता रेस्टोरेंट खास आकर्षण है। विभाग के अनुसार 100 से अधिक पर्यटक प्रतिदिन यहां पहुंच रहे हैं।
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