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छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों में नवरात्र में देवभोग घी से बनेगा प्रसाद, तिरुपति विवाद के बाद सरकार अलर्ट

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाले घी के उपयोग के पर्दाफाश से मचे बवाल के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों में शारदीय नवरात्र में ज्योति प्रज्वलन तथा प्रसाद बनाने के लिए देवभोग घी का उपयोग किया जाएगा। देवभोग प्रदेश की 700 दुग्ध सहकारी समितियों से संबद्ध है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 26 Sep 2024 05:45 AM (IST)
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छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों में नवरात्र में देवभोग घी से बनेगा प्रसाद
जेएनएन, रायपुर। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाले घी के उपयोग के पर्दाफाश से मचे बवाल के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों में शारदीय नवरात्र में ज्योति प्रज्वलन तथा प्रसाद बनाने के लिए देवभोग घी का उपयोग किया जाएगा।

देवभोग प्रदेश की 700 दुग्ध सहकारी समितियों से संबद्ध है। पशुधन विकास विभाग और कृषि उत्पादन आयुक्त शहला निगार ने सभी जिलों के कलेक्टर को पत्र लिखकर ज्योति प्रज्वलन व प्रसाद निर्माण में देवभोग घी का इस्तेमाल सुनिश्चित कराने को कहा है।

उनका कहना है कि उद्देश्य शुद्धता के साथ देवभोग घी को प्रोत्साहित करना भी है। शक्तिपीठों तक देवभोग घी के 16 किलो के जार को पहुंचाने की दर 9,030 रुपये स्वीकृत की गई है। इसमें 12 प्रतिशत जीएसटी भी शामिल है।

बता दें कि प्रदेश में पांच प्रमुख शक्तिपीठ रतनपुर में महामाया, चंद्रपुर में चंद्रहासनी, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी और अंबिकापुर में महामाया हैं।

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