Move to Jagran APP

बांध से पाइप के जरिये सीधे किसान के खेतों में पहुंचा जल तो खपत हुई आधी

मोहनपुरा सिंचाई परियोजना के प्रशासक विकास ने बताया कि भूमिगत दाबयुक्त पाइप प्रणाली से हमने उतने ही पानी में दो गुना से अधिक जमीन सिंचित करने में सफलता प्राप्त की। मोहनपुरा व कुंडालिया देश के पहले व दूसरे ऐसे बांध है जहां पर भूमिगत दाबयुक्त पाइप प्रणााली नहरें बिछाई हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Tue, 22 Nov 2022 05:19 PM (IST)
Hero Image
मिगत दाबयुक्त पाइप प्रणााली नहरें बिछाई हैं।
राजेश शर्मा, राजगढ़: भूजल तेजी से कम हो रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में भूजल का सर्वाधिक उपयोग (89 प्रतिशत) कृषि भूमि की सिंचाई में किया जाता है। ऐसे में जल संरक्षण के लिए सिंचाई के पारंपरिक तरीकों में बदलाव आवश्यक है। केंद्र सरकार बीते पांच-छह वर्ष से पाइप्ड इरीगेशन प्रणाली के प्रयोग पर जोर दे रही है। देश में कुछ स्थानों पर पाइप से सिंचाई वाली प्रणाली को लेकर नवाचार भी हो रहे हैं। मध्य प्रदेश की मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना इस क्षेत्र में अगुआ बनकर सामने आई है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2017 में इस पाइप वाली सिंचाई प्रणाली का भूमिपूजन किया था। अब उसकी आकलन रिपोर्ट पूरे देश के लिए उत्साह का संचार करने वाली है। बांध से पाइप के जरिये खेतों तक पानी पहुंचा रही इस परियोजना ने खुली नहरों से सिंचाई की तुलना में पानी की खपत लगभग आधी कर दी है। भूमिगत दाबयुक्त पाइप वाली सिंचाई प्रणााली बिछाने वाला मोहनपुरा देश का पहला व कुंडालिया देश का दूसरा बांध है। मोहनपुरा सिंचाई परियोजना का अध्ययन करने कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु व केरल से जलसंसाधन विभाग के दल आ चुके हैं। कई अन्य राज्यों से भी विशेषज्ञ आ रहे हैं। आने वाले समय में यह परियोजनाएं देश में सिंचाई व्यवस्था की तस्वीर बदलने वाली हैं।

राजगढ़ जिले में नेवज नदी पर लगभग 4,200 करोड़ रुपये की लागत से मोहनपुरा बांध पर यह सिंचाई परियोजना बनकर तैयार हुई है। इससे एक लाख 50 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होनी है। अभी 25 हजार 600 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो रही है। मोहनपुरा बांध से कुल 12,000 किमी लंबी पाइप सिंचाई प्रणाली बिछाई जानी है। अब तक 7,000 किमी की लाइन बिछ चुकी है। सबसे पहले सूखाग्रस्त क्षेत्र कालीपीठ क्षेत्र में सिंचाई शुरू की गई। यहां पर विशेषज्ञों के दल द्वारा पानी की बचत को लेकर अलग-अलग बिंदुओं पर दो वर्ष तक की गई पड़ताल में सामने आया है कि खुली नहरों से एक मिलियन घन मीटर (एमसीएम) पानी में 170 से 220 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है, जबकि पाइपलाइन के जरिए इतने ही जल में 320 से 490 हेक्टेयर जमीन सिंचित हो सकती है।

आंकड़ों के अनुसार 25 हजार 600 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने में करीब 54 एमसीएम मिलियन घन मीटर पानी लगा है, जबकि यही सिंचाई खुली नहरों से होती तो करीब 120 से 150 एमसीएम पानी की आवश्यकता पड़ती। परियोजना के अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंपैक्ट आफ मोहनपुरा प्रोजेक्ट नामक शोध पत्र में आंकड़ों के आधार पर दर्शाया है कि किस प्रकार खुली नहरों की अपेक्षा पाइप वाली प्रणाली में जल की भारी बचत हो रही है।

ऐसे हो रही पानी की बचत

  • वाष्पीकरण से अपव्यय रुका
  • पाइप वाली प्रणाली से पानी की चोरी पर रोक
  • खुली नहरों में होने वाले व्यर्थ रिसाव का भी खतरा नहीं

कालीसिंध नदी पर बना कुंडालिया बांध।

यूं जाता है बांध से खेत तक पानी

बांध पर पंप हाउस बना है। पंप हाउस से पानी को लिफ्ट करके ऊंचाई पर बनी टंकी तक पहुंचाया जाता है। टंकी से पाइप के माध्यम से 300-300 हेक्टेयर के चकों (खेतों के समूह) तक पानी पहुंचता है। फिर 20-20 हेक्टेयर के चक तक पानी पहुंचाया जाता हैं। इसके बाद खेतों के अंदर पाइपलाइन का जाल बिछाकर पांच-पांच हेक्टेयर तक के छोटे चकों तक पानी पहुंचाते हैं। वहां से एक हेक्टेयर कृषि क्षेत्र तक भी पाइप से ही पानी पहुंचता है। यहां वाल्व लगे हैं, जिसे किसान आवश्यकतानुसार खोलकर सिंचाई के लिए पानी ले सकते हैं।

ऐसे लगाए गए हैं पाइप

  • बांध से टंकी तक पानी पहंचाने के लिए 2300 एमएम के पाइप डाले हैं
  • 20 से हेक्टेयर से 5 हेक्टेयर तक पानी पहुंचाने के लिए 75 व 63 एमएम के पाइप बिछाए गए
  • 05 हेक्टेयर से 1 हेक्टेयर तक पानी पहुंचाने के लिए भी 75 व 63 एमएम के पाइप बिछाए गए हैं
  • टंकी से 300 हेक्टेयर तक पानी पहुंचाने के लिए 1500 से 400 एमएम के पाइप उपयोग किए हैं
  • 300 हेक्टेयर से 20 हेक्टयर पानी पहुंचाने के लिए 300 से 110 एमएम के पाइपों का प्रयोग किया है

ऐसे होता है संचालन

पंप हाउस से लेकर पांच हेक्टेयर तक संपूर्ण प्रणाली स्काडा से संचालित होती है। 20 हेक्टेयर वाले प्वाइंट पर एक आटोमेशन बाक्स लगाया जाता है ताकि आगे के पाइप में पानी उचित मात्रा व दबाव के साथ पहुंच सके। पांच हेक्टेयर वाले बिंदुओं पर चार बाक्स लगाए हैं। जिन्हें स्काडा से संचालित करते हैं। एक हेक्टेयर वाले बिंदु पर वाल्व लगे हैं, जिन्हें किसान खुद खोलते व बंद करते हैं।

नेवज नदी पर बना हुआ मोहनपुरा बांध।

कुंडालिया सिंचाई परियोजना

  • 400 से 700 व्यास के डीआई पाइपों का उपयोग किया गया
  • 300 से 90 व्यास तक के एचडीपीई पाइप का उपयोग किया गया
  • जल भराव स्थिति 586 मिलियन घन मीटर-कुंडालिया परियोजना से 1 लाख 39500 हेक्टेयर जमीन सिंचित की जाना है। अभी सिंचाई की शुरूआत नहीं हुई
  • कुंडालिया सिंचाई परियोजना से भी राजग़ढ व आगर जिले के लिए 13 हजार किमी लंबी नहरें बिछना है जिसमें से 8000 किमी की नहरें बिछ चुकी हैं
  • कुंडालिया बांध से 75 हजार हेक्टेयर जमीन राजगढ जिले की व 65 हजार हेक्टेयर जमीन आगर जिले की सिंचित की जाएगी। इसमें लगाए गए पाइप-2.3 मीटर व्यास के पाइप-1.4 मीटर व्यास के पाइप-एमएस (लोहे) के 1400 मिमी व्यास के पाइपों का उपयोग किया गया
इनका कहना है

मोहनपुरा सिंचाई परियोजना के प्रशासक विकास राजोरिया ने बताया कि भूमिगत दाबयुक्त पाइप प्रणाली से हमने उतने ही पानी में दो गुना से अधिक जमीन सिंचित करने में सफलता प्राप्त की है। मोहनपुरा व कुंडालिया देश के पहले व दूसरे ऐसे बांध है जहां पर भूमिगत दाबयुक्त पाइप प्रणााली नहरें बिछाई हैं। इसको लेकर हमने पिछले दिनों आस्ट्रेलिया में प्रजेंटेशन भी दिया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।