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Sakti District: छत्तीसगढ़ का 33वां जिला होगा सक्ति, आध्यात्मिक के साथ बनेगा प्रशासनिक शक्ति का केन्द्र

Sakti District धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के केंद्र के रूप में स्थापित नवगठित सक्ति जिला अब बहुत जल्द प्रशासनिक शक्ति का केंद्र भी बनने जा रहा है। यह छत्तीसगढ़ का 33वां जिला होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 9 सितंबर को इसका शुभारंभ करेंगे।

By Aditi ChoudharyEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 10:49 AM (IST)
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Shakti District: अब जिला के तर्ज पर होगी सक्ति की पहचान, आध्यात्मिक के साथ बनेगा प्रशासनिक शक्ति का केन्द्र
रायपुर, जागरण डिजिटल डेस्क। प्रदेश में पहले से ही धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के केंद्र के रूप में स्थापित नवगठित सक्ति जिला अब बहुत जल्द प्रशासनिक शक्ति का केंद्र भी बनने जा रहा है। 15 अगस्त 2021 को सक्ति को नए जिले के रूप में गठित करने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 9 सितंबर को इसका शुभारंभ करेंगे।

बता दें कि मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर कोरिया जिले से अलग होकर तथा जांजगीर-चांपा से अलग होकर सक्ती जिला नई प्रशासनिक इकाई के रूप में अस्तित्व में आ रहा है। यह छत्तीसगढ़ का 33वां जिला होगा।

सक्ति क्षेत्र का इतिहास

सक्ति जिले के इतिहास पर नजर डालें तो इसके नाम लेकर कुछ कहानियां है। माना जाता है कि यह क्षेत्र संबलपुर शाही परिवार के अधीन था। दशहरे के दिन गोंड राजाओं ने भैंसों को लकड़ी की तलवार से मारकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था। उनके प्रदर्शन से प्रसन्न होकर संबलपुर के राजा ने सक्ति को एक स्वतंत्र रियासत का दर्जा दिया। सक्ति रियासत छत्तीसगढ़ के प्रमुख मान्यता प्राप्त राज्यों में से एक है।

मान्यताओं के अनुसार, यहां की भूमि शक्ति से भरपूर है इसलिए इसे 'सक्ति' के नाम से जाना जाता है। मध्य प्रदेश के समय में यह सबसे छोटी रियासत थी। छत्तीसगढ़ के गठन के 22 साल बाद इस क्षेत्र को एक नए जिले के रूप में मान्यता मिल गई है।

प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है क्षेत्र

सक्ति जिला जल संसाधनों से समृद्ध है। महानदी, सोन और बोरई इस क्षेत्र से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। इस जिले की जलवायु कृषि के लिए उपयुक्त है। राज्य के अन्य जिलों की तुलना में लगभग 94 प्रतिशत भूमि में सिंचाई की सुविधा है। यहां मुख्य रूप से धान की फसल की खेती की जाती है और यहां गेहूं, चना, अरहर, मूंग आदि की भी खेती की जाती है। मिनी माता बांगो बांध से नहर द्वारा पूरा क्षेत्र सिंचित होता है जो सक्ति और आसपास के क्षेत्र को द्वि-फसल की खेती करने में सक्षम बनाता है। सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता के कारण यहां बागवानी फसलों के साथ-साथ मसालों की खेती भी खूब होती है।

खनिज संपदा का भंडार

छत्तीसगढ़ का सक्ति जिला खनिज संपदा से भी परिपूर्ण है। यहां डोलोमाइट का प्रचुर भंडार है। यही कारण है कि इस क्षेत्र की देशभर में 'डोलमाइट हब' के रूप में उभरने की संभावनाएं हैं। यहां उत्पादित डोलोमाइट खनिज का उपयोग भिलाई, राउरकेला और दुर्गापुर के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित स्टील प्लांट्स में किया जाता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ विकास निगम ने 460 हेक्टेयर डोलोमाइट खदान के लिए स्वीकृति मांगी है। वर्तमान में यहां 16 खदानों का संचालन किया जा रहा है और 15 खदानों पर खनन की अनुमति लेने की प्रक्रिया चल रही है।

धार्मिक स्थल के तौर पर चर्चित

सक्ति जिला की पहचान राज्य भर में आध्यात्म और धार्मिक स्थलों के तौर पर की जाती है। यहां अष्टभुजी देवी की मूर्ति स्थापित है, जिनके दर्शन के लिए दूसरे राज्यों से भी भक्त आते हैं। नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ होती है। यह स्थान छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। कोलकाता स्थित काली घाट की तरह, अड़भार की अष्टभुजी देवी दक्षिणमुखी मूर्ति हैं। प्राचीन काल में इसे अष्टभुजी के मंदिर और शहर को घेरने वाले विशाल द्वारों के कारण 'अष्टद्वार' नाम से पहचाना जाता था, जो बाद में 'अड़भार ' बन गया।

महाभारत काल में मिलता है उल्लेख

इसी तरह यहां का चंद्रहासिनी देवी मंदिर भी धार्मिक पर्यटन स्थलों में खास है। इसके अलावा यहां रेनखोल और दमउदरहा जैसे सुंदर पर्यटन स्थल हैं। सक्ति रेलवे स्टेशन से लगभग 14 मील की दूरी पर गुंजी नान का एक गांव है, जहां प्राचीन शिलालेख पाए जाते हैं, जो पाली भाषा में लिखे गए हैं। ये संभवत: पहली शताब्दी के हैं। महाभारत काल में इस स्थान का उल्लेख ऋषभ तीर्थ के रूप में मिलता है।

कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं

जिला मुख्यालय सक्ति बॉम्बे-हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर स्थित है। यह व्यापार और वाणिज्य का केंद्र भी है। इस क्षेत्र में कई कृषि और खनिज आधारित उद्योगों के लिए काफी संभावनाएं हैं। यहां दो बिजली संयंत्र है। इसके अलावा एक चावल मिल, कृषि उपकरण उद्योग और कोसा के कपड़े की बुनाई भी यहां की जाती है। सक्ति को जिला के तौर मान्यता मिलने के बाद यह क्षेत्र एक औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र बन जाएगा। वहीं लोगों को कई तरह की सरकारी सुविधाएं भी मिलेंगी। प्रशासनिक विकेंद्रीकरण से लोगों को सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा। साथ ही लोगों की आकांक्षाओं और जरूरतों के हिसाब से क्षेत्र का विकास होगा।

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