छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को सलाम, मन की बात में प्रधानमंत्री ने की बुटलूराम माथरा की सराहना
प्रधानमंत्री मोदी ने बुटलूराम जी की कहानी साझा करते हुए बताया कि वे पिछले चार दशकों से अबूझमाड़िया जनजाति की अनूठी लोक कला को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बुटलूराम जी ने लोक कला की उन धरोहरों को सहेज कर रखा है जिनमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति की गूंज है। उनकी लगन और निष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है
डिजिटल डेस्क, रायपुर। रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में जब छत्तीसगढ़ का जिक्र किया, तो नारायणपुर के बुटलूराम माथरा जी की वर्षों की मेहनत और समर्पण राष्ट्रीय मंच पर चमक उठी। यह पल था छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसे संजोने वाले उन गुमनाम नायकों को सलाम करने का, जिनके प्रयासों ने इस धरोहर को जीवित रखा है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने बुटलूराम जी की कहानी साझा करते हुए बताया कि वे पिछले चार दशकों से अबूझमाड़िया जनजाति की अनूठी लोक कला को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। “बुटलूराम जी ने लोक कला की उन धरोहरों को सहेज कर रखा है, जिनमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति की गूंज है। उनकी लगन और निष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है,” प्रधानमंत्री ने कहा। यह सराहना उस समर्पण की गवाही थी, जो बुटलूराम जी ने अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए दी है, जिससे न केवल छत्तीसगढ़ का नाम रोशन हुआ है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने उसकी विशिष्टता भी उभरी है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के गोरीनाथ जी का भी उल्लेख किया, जो एक प्राचीन सारंगी के जरिए डोगरा संस्कृति और उसकी संगीत परंपरा को सहेज रहे हैं।
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