Dussehra 2022: दशहरे के दिन ही खुलता है 700 वर्ष पुराना कंकाली मठ, पढ़ें दिलचस्प कहानी
ब्राह्मणपारा में कंकली तालाब के ऊपर 700 साल पुराना कंकली मठ है। घने जंगल में श्मशान घाट के बीच इस मठ का निर्माण नागा साधुओं ने करवाया था। यहां वे काली की पूजा करते थे। कंकालों के बीच काली की पूजा के कारण इस मठ का नाम कंकली मठ पड़ा।
By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Tue, 04 Oct 2022 10:38 AM (IST)
रायपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। Dussehra 2022: छत्तीसगढ़ के ब्राह्मणपारा में स्थित कंकाली तालाब के ऊपर 700 साल पुराना कंकाली मठ बना हुआ है। घने जंगल में श्मशान घाट के बीच इस मठ का निर्माण नागा साधुओं ने करवाया था। वे यहां काली माता की पूजा किया करते थे। कंकालों के बीच काली की पूजा के कारण इस मठ का नाम कंकाली मठ रखा गया।
बाद में मठ की मूर्ति को नए मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया। नागा साधुओं के शस्त्रों को पुराने मठ में रख दिया गया। वर्षों से, यह मठ अब वर्ष में केवल एक बार दशहरा के दिन खोला जाता है। इस दौरान शस्त्रों की पूजा की जाती है और भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाता है। दूसरे दिन पूजा करने के बाद मठ को बंद कर दिया जाता है।
यहां तांत्रिक पूजा करते थे नागा साधु
वर्तमान में कंकाली मंदिर में स्थापित प्रतिमा पहले पुरानी मठ में रखी हुई थी। कंकाली मइ के महंत हरभूषण गिरी ने बताया कि श्मशान घाट के बीच नागा साधु तांत्रिक पूजा किया करते थे। नागा साधु यहां दक्षिण भारत से आये थे और यहां मठ स्थापित किए थे। शवों के दाह संस्कार के पश्चात उनके कंकालों केा तालाब में विसर्जित किया गया था, इसलिए आगे चलकर इसका नाम कंकाली तालब और कंकाली मठ रख दिया गया।मठ में बनी है साधुओं की समाधि
मठ में रहने वाले एक नागा साधु की मृत्यु के बाद मठ में उनकी समाधि बना दी जाती थी। उनकी कब्रें अभी भी पुराने मठ में बनी हुई हैं।
कई महंत दे चुके हैं सेवाएं
मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। 17वीं सदी तक इस मठ में सैकड़ों नागा साधु रहते थे। मठ के पहले महंत कृपालु गिरि बने थे इसके बाद महंतों में भभूत गिरि, शंकर गिरि महंत बने। ये तीनों ही निहंग संन्यासी थे।निहंग प्रथा को समाप्त कर महंत शंकर गिरि ने शिष्य सोमार गिरि का विवाह करा दिया। संतान न होने पर शिष्य शंभू गिरि को महंत बनाया गया। महंत हरभूषण गिरि वर्तमान में कंकाली मठ के महंत और सर्वराकार हैं, ये शंभू गिरि के प्रपौत्र रामेश्वर गिरि के वंशज हैं।
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