आस्था संग प्रकृति से संवाद का माध्यम हैं छत्तीसगढ़ के ये पर्यटन स्थल, सर्द मौसम में भी खूब करें भ्रमण
सर्द मौसम में अगर ठंडे स्थानों पर नहीं जाना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ के रायपुर और उसके पड़ोसी जिलों का भ्रमण कर सकते हैं। यहां का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस रहता है। राम वन गमन पथ के सिरपुर संग जतमई घटारानी जैसे जलप्रपात आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 13 Jan 2023 06:57 PM (IST)
रायपुर, रामकृष्ण डोंगरे। यदि आप इस कंपकंपाती सर्दी से राहत पाने के साथ घूमने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए छत्तीसगढ़ में ऐसे कई पयर्टन स्थल मौजूद हैं, जहां आस्था के साथ आप प्रकृति से संवाद कर सकते हैं। सुरम्य वातावरण में एकांत का अनुभव करते हुए कुछ समय सुकून से बिता सकते हैं। इन स्थानों में 22 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान आपको राहत देगा। प्रदेश की राजधानी रायपुर के अलावा इससे 100-150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन स्थानों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। गरियाबंद, महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्मस्थल चंपारण, छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाने वाला राजिम, मिनी गोवा के नाम मशहूर धमतरी का गंगरेल बांध, गरियाबंद में स्थित जतमई, घटारानी और भूतेश्वरनाथ मंदिर, सिकासार जलाशय आदि धार्मिक व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटन स्थल इस सूची में प्रमुख हैं।
वहीं महासमुंद रोड पर जाने पर आप रामवन गमन पथ कॉरिडोर में शामिल बेजोड़ स्थापत्य कला के केंद्र सिरपुर का भ्रमण कर सकते हैं। यहां आपको सुरंग टीला, लक्ष्मण मंदिर जैसे कई पुरातात्विक स्थल देखने को मिलेंगे। यहां से आप बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य भी जा सकते हैं। जहां आपको विभिन्न प्रकार के वन्यप्राणी देखने को मिलते हैं। इस यात्रा में आपको प्राकृतिक संपदा से भरपूर हरे-भरे क्षेत्रों की अनुपम छठा देखने को मिलती है, जो अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव है।
छत्तीसगढ़ में वृंदावन का अनुभव
धमतरी रोड पर स्थित चंपारण की रायपुर से दूरी लगभग 45 किमी है। इसे छत्तीसगढ़ का वृंदावन कहा जाता है। यहां चंपेश्वर नाथ मंदिर है। यह स्थान वैष्णव संप्रदाय के महान ज्ञाता और मार्गदर्शक श्रीवल्लभाचार्य की जन्मस्थली है। महानदी की एक छोटी सी धारा मंदिर के बहुत पास से बहती है, जिसे यमुना नदी से उत्पन्न माना जाता है। पावन तीर्थ धाम में प्रवेश करते ही आपको वृंदावन जैसा अनुभव होने लगता है। चंपेश्वर महादेव मंदिर सातवीं शताब्दी का माना जाता है, जो पंचकोसी मंदिर शृंखला के अंतर्गत आता है। इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष माघ पूर्णिमा के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यहां प्रभु वल्लभाचार्य जी की दो बैठकी हैं, जो अत्यंत सुंदर और चारों ओर से विभिन्न कलाकृतियों से सुसज्जित हैं। छतों और दीवारों पर सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं। मंदिर परिसर में प्रथम तल पर चित्र प्रदर्शन शाला भी है। श्री चंपेश्वर शिव वल्लभ भोजनालय में भक्तों के लिए 50 रुपये में सुबह और शाम को भोजन प्रसाद मिलता है।Prayagraj: संगम नगरी में बनेंगे दो रिवर पोर्ट, जल पर्यटन को बढ़ावा देने को गंगा व यमुना किनारे होगा निर्माण
मन मोहती गरियाबंद की प्राकृतिक सुंदरता
प्रकृति की गोद में बसा गरियाबंद जिला प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यह धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। रायपुर से गरियाबंद की तरफ बढ़ने पर आपको सबसे पहले धार्मिक नगरी राजिम के दर्शन होंगे। रायपुर से इसकी दूरी 50 किमी है। यहां महानदी के किनारे पर राजीव लोचन मंदिर स्थित है। यहां महानदी से पैरी ओर सोंढ़ूर नाम की नदियां मिलती हैं। इस संगम स्थल पर पांच से 18 फरवरी तक पुन्नी मेले का आयोजन होगा। गरियाबंद मुख्यालय में भूतेश्वरनाथ मंदिर धाम के दर्शन होते हैं। यहां प्राकृतिक रूप से निर्मित विशाल शिवलिंग है। यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर लंबी पैदल यात्रा कर कांवड़िए पहुंचते हैं। यहां से आप जतमई और घटारानी जलप्रपात देखने जा सकते हैं। जतमई और घटारानी में देवी मां मंदिर भी है। इस मंदिर से जलप्रपात को देखना प्रकृति को नजदीक से निहारने जैसा है। यहीं पर चारों तरफ हरियाली से घिरा सिकासार जलाशय भी है। इसे पैरी नदी पर बनाया गया है।
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