आदिवासियों का नक्सलवाद से हो रहा मोहभंग, इस साल 550 नक्सलियों ने डाले हथियार
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के अंदरुनी क्षेत्रों में सरकार की पहुंच बढ़ते ही आदिवासियों का नक्सलवाद से मोहभंग होने लगा है। इस साल अब तक 550 नक्सलियों ने समर्पण कर दिया है। इनमें से अधिकतर स्थानीय आदिवासी हैं जो नक्सलियों के दबाव में संगठन से जुड़े। स्थिति यह है कि प्रतिमाह औसतन 68 नक्सली संगठन छोड़ रहे हैं। नक्सलियों का समर्पण पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुना हुआ है।
जागरण न्यूज नेटवर्क जगदलपुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के अंदरुनी क्षेत्रों में सरकार की पहुंच बढ़ते ही आदिवासियों का नक्सलवाद से मोहभंग होने लगा है। इस वर्ष अब तक 550 नक्सलियों ने समर्पण कर दिया है। इनमें से अधिकतर स्थानीय आदिवासी हैं, जो नक्सलियों के दबाव में संगठन से जुड़े थे। स्थिति यह है कि प्रतिमाह औसतन 68 नक्सली संगठन छोड़ रहे हैं। नक्सलियों का समर्पण पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुना हुआ है। गत वर्ष 398 नक्सलियों ने हथियार डाले थे।
बीजापुर जिले में सोमवार को समर्पण करने वाले 25 नक्सलियों में से एक आठ लाख के इनामी नक्सली महेश तेलम कहते हैं कि बस्तर के आदिवासी शांतिप्रिय हैं, पर शासन-प्रशासन की पहुंच अंदरुनी क्षेत्रों में नहीं होने से वे नक्सल संगठन से जुड़ रहे थे। पिछले कुछ माह में इन क्षेत्रों में सुरक्षा बल के नए कैंप खोलकर योजना से गांवों में सड़क-बिजली-पानी, स्कूल की सुविधाएं पहुंचाई गई हैं।
नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने की कही बात
इससे लोगों का भरोसा सरकार पर बढ़ा है। बता दें कि बस्तर के नक्सल प्रभावित बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा व नारायणपुर जिलों में बड़ी संख्या में नक्सली समर्पण करने सामने आ रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी 24 अगस्त को रायपुर में नक्सलियों के विरुद्ध अभियान तेज करने की बात कही थी और वर्ष 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।नक्सलियों के विरुद्ध आक्रामक अभियान चलाया जा रहा है। स्थानीय बोलियों में सरकार की नीतियों के प्रचार-प्रसार का भी असर हुआ है। संवेदनशील गांवों में विकास को गति मिली है। - सुंदरराज पी., आइजी, बस्तर।----नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना और अभियान में तेजी लाने से नक्सलियों का आधार घटा है। क्षेत्र में सरकार की पहुंच बढ़ने से समर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या और बढ़ेगी।
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