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जागरण विशेष: नदी-नाले पार कर नक्सल प्रभावित गांवों तक फैलाया विकास का प्रकाश, अब पहुंच रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

समाज कल्याण विभाग की उप संचालक वैशाली मरड़वार के प्रयासों से नक्सल प्रभावित गांवों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने लगा है। वे अपनी टीम के साथ बाइक व पैदल चलकर नदी-नालों और जंगलों को पार कर ऐसे गांवों में पहुंचती है जहां सरकार आजादी के इतने वर्षों बाद भी राजस्व सर्वे नहीं करवा सकी है। वैशाली मूलत महाराष्ट्र के नागपुर में पली-बढ़ी हैं।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Thu, 22 Aug 2024 07:26 PM (IST)
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समाज कल्याण विभाग की उप संचालक वैशाली मरड़वार।

रीतेश पांडेय, जगदलपुर। बस्तर संभाग के अबूझमाड़ क्षेत्र के कई गांवों में नियद नेल्लानार (आपका अच्छा गांव) योजना से कुष्ठ रोगियों, निराश्रित व दिव्यांगों आदिवासियों को शासन की योजनाओं का लाभ मिलने लगा है। यह संभव हुआ है समाज कल्याण विभाग की उप संचालक वैशाली मरड़वार के प्रयासों से।

वे अपनी टीम के साथ बाइक व पैदल चलकर नदी-नालों और जंगलों को पार कर ऐसे गांवों में पहुंचती है, जहां सरकार आजादी के इतने वर्षों बाद भी राजस्व सर्वे नहीं करवा सकी है। यहां से लौटकर उन्होंने शासन को गांवों की समस्याओं की रिपोर्ट भी सौंपी। उन्हें इन गांवों में जाने के लिए सुरक्षा कैंप से अनुमति तक लेनी पड़ी।

90 के दशक तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर था प्रतिबंध

बस्तर का माड़ कभी अबूझ कहा जाता था। जनजातीय जीवन शैली में अनावश्यक हस्तक्षेप की रोकथाम हेतु नब्बे के दशक तक यहां बाहरी लोगों का प्रवेश बिना कलेक्टर के आदेश के प्रतिबंधित था। घने जंगल व भौगोलिक विषमता के चलते यहां केवल हवाई सर्वे हो पाया है। बीते आठ माह से नारायणपुर में पदस्थ मरड़वार ऐसी महिला अधिकारी हैं, जो कस्तूरमेटा, कोयपाल, ओकपाड़, कटुलनार जैसे एक दर्जन से अधिक सुदूर गांवों तक पहुंचने का साहस जुटा सकीं।

महाराष्ट्र के नागपुर में पली-बढ़ी हैं वैशाली

इन गांवों में वहां के सरपंच व सचिव भी नहीं जाते हैं। वे कागजी तौर पर पंचायत का कामकाज संभालते हैं। वैशाली मूलत: महाराष्ट्र के नागपुर में पली-बढ़ी हैं। वे बताती हैं, 'बचपन से ही मुझमें दिव्यांगजनों व निराश्रितों के प्रति संवेदनशीलता रही है। पढ़ाई पूरी करने के बाद पीएससी परीक्षा में समाज कल्याण विभाग में दायित्व मिला। यह मेरे स्वभाव के अनुकूल साबित हुआ।' उनकी पहली पोस्टिंग बस्तर जिले में हुई। यहां उन्होंने विभाग द्वारा संचालित कई सुधारात्मक व सकारात्मक कार्य पूरे किए।

स्वीकारी माड़ में तैनाती की चुनौती

समाज कल्याण विभाग की उप संचालक मरड़वार को आठ माह पूर्व नारायणपुर जिले में दायित्व सौंपा गया है। कई अफसर दुर्गम क्षेत्र अबूझमाड़ में तैनाती को काला पानी या लूप लाइन मानते हैं पर वैशाली ने इसे काम करने के लिए सुअवसर और एक चुनौती के रूप में लिया। शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उन्हें पहुंच विहीन गांवों तक जाने के लिए मोटर साइकिल व पैदल चलना पड़ता है। कई जगहों पर नालों व पहाड़ी भी पार करनी पड़ती है।

40 किमी दूर के वनग्रामों में पहुंची

विष्णु देव साय सरकार की योजना नियद नेल्लानार के तहत उन्होंने जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी की दूरी तक कर दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्र के वन ग्रामों का दौरा किया। वे मसपुर, ईरकभट्टी, तुमेरादी, ताडोबेड़ा, मेटानार, हिकपाड़, तोयमेटा, कानागांव आदि गांवों में टीम के साथ पहुंचीं। यहां उन्होंने डोर टू डोर सर्वे करवाया। मौके पर ही 62 हितग्राहियों का पेंशन आवेदन व 37 का दिव्यांगता प्रमाण पत्र हेतु फार्म भरवाकर मंजूर करवाया। उनके दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवाकर वितरित किए।

जिला अधिकारी का पहला दौरा

महिला अधिकारी वैशाली मरड़वार ने वनग्रामों से लौटकर क्षेत्र में पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, सौर ऊर्जा आदि संसाधनों की जानकारी भी प्रशासन को दी। कुछ गांवों में ग्रामीणों के पास आधार कार्ड नहीं बने थे। उनके आधार कार्ड भी बनवाए गए। इन गांवों में आजादी के बाद पहली बार कोई जिला स्तर का अधिकारी पहुंचा है। जब दुभाषिए की मदद से उन्होंने बातचीत की तो पता चला कि यहां के सरपंच व सचिव तक मुख्यालय के समीप रहकर कामकाज करते हैं। छोटे-छोटे गांवों में केवल 20 से 30 परिवार ही रहते हैं।

300 को दिलाई नशे से मुक्ति

वैशाली पूर्व में बस्तर जिले मे पदस्थ थीं। इस दौरान उन्होंने पाया कि यहां के अधिकतर गांवों में पुरुषों व महिलाओं में नशापान की आदत है। इसके लिए उन्होंने कार्ययोजना तैयार की। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभारी को इससे जोड़ा। इस तरह उन्होंने 300 से अधिक युवाओं की नशे की लत छुड़ाई। काउंसिंलिंग करवाने के बाद उन्हें आवश्यक दवाइयां दी गई। गंभीर मामलों में स्पर्श क्लीनिक में भी भर्ती करवाया गया।

खेलों में रुचि, बच्चों को प्रशिक्षण

वे विभाग द्वारा संचालित विशेष दिव्यांग बच्चों के स्कूल में शारीरिक खेलकूद का प्रशिक्षण भी देती हैं। वैशाली को कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही एथलेटिक्स में रुचि रही हैं। उन्हें अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में कई अवार्ड मिले। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रायपुर में हुई। वर्ष 2006 में उप संचालक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। 2020 में राज्य स्तरीय वेटरंस प्रतियोगिता में 45 प्लस एथलेटिक्स में पांच हजार मीटर, एक हजार 500 मीटर व 250 मीटर रेस में चैंपियनशिप हासिल की।

अबूझमाड़ के इन गांवों में बुनियादी सविधाओं की काफी कमी है। शुरुआती दौर में मुझे दुर्गम क्षेत्र में जाने में डर भी लगा पर स्थानीय लोगों व टीम की मदद से अपने कार्यों को अंजाम तक पहुंचा सकीं। इसका मुझे मन में संतोष भी है- वैशाली बरड़वार, उप संचालक, समाज कल्याण विभाग, नारायणपुर

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