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Vidyasagar Maharaj: जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज हुए ब्रह्मलीन, तीन दिन उपवास के बाद ली समाधि

Jain muni Acharya Vidyasagar आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। जैन मुनि ने आज रात 2 बजकर 30 बजे समाधि ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर है। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का अंतिम संस्कार आज यानी 18 फरवरी को दोपहर 1 बजे किया जाएगा।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Sun, 18 Feb 2024 08:54 AM (IST)
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Jain muni Acharya Vidyasagar विद्यासागर महाराज ब्रह्मलीन हुए।
जेएनएन, रायपुर। Acharya Vidyasagar Maharaj जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। जैन मुनि ने आज रात 2 बजकर 30 बजे समाधि (देह त्याग दी) ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली। 

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का अंतिम संस्कार आज 18 फरवरी रविवार को दोपहर 1 बजे किया जाएगा।

देशभर में शोक की लहर 

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर है। आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले तीन दिन से उन्होंने अन्न जल त्याग दिया था। आचार्य अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया।

पीएम मोदी ने भी दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने भी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा मेरी प्रार्थनाएं उनके अनगिनत भक्तों के साथ हैं। आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी, विशेषकर लोगों में आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए।

पीएम ने कहा कि मुझे विद्यासागर जी महाराज का वर्षों तक आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना

समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज संघ सहित उपस्थित थे। देश भर के जैन समाज और आचार्यश्री के भक्तों ने उनके सम्मान में आज एक दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। सूचना मिलते ही आचार्यश्री के हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना हो गए हैं।

कर्नाटक में जन्मे थे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

आचार्य जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था।

आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं। उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं।

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