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क्या है हॉट परस्यूट और ड्राइव फॉर हंट, जिससे ध्वस्त हो रहा नक्सली तंत्र; केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार ने चलाया स्पेशल ऑपरेशन

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का तंत्र लगातार ध्वस्त हो रहा है। इसका श्रेय दिया जा रहा है सुरक्षा बलों की ओर से चलाए जा रहे स्पेशल ऑपरेशन को जिससे पिछले कुछ महीनों में जबरदस्त कार्रवाईयों से नक्सलियों की कमर टूट सी गई है। हॉट परस्यूट और ड्राइव फॉर हंट नामक ये ऑपरेशन काफी प्रभावी हो रहे हैं। जानिए क्या हैं ये।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 04 Oct 2024 11:46 PM (IST)
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नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख का असर जमीन पर दिख रहा है। (File Image)

राज्य ब्यूरो, रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार का नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख का असर जमीन पर दिख रहा है। पिछले नौ महीने के भीतर केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय से जवानों का हौसला बढ़ा और सूचना तंत्र पहले से अधिक मजबूत हुआ है।

नतीजतन, प्रदेश में लगातार नक्सली ढेर हो रहे हैं। हर महीने जवान बड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर स्थित थुलथुली गांव के पास जंगल व पहाड़ी क्षेत्र में शुक्रवार को हुई मुठभेड़ में जवानों ने 32 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई की रणनीति बदली गई है। यहां हॉट परस्यूट और ड्राइव फॉर हंट का मिलाजुला आपरेशन लगातार चल रहा है।

हॉट परस्यूट

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, हॉट परस्यूट उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें नक्सलियों की गतिविधियां का पता चलते ही उनका तेजी से पीछा किया जाता है। ऐसी स्थिति में ऑपरेशन में लगे सुरक्षा बल के जवानों व अधिकारियों को ही कमांड शक्तियां प्राप्त होती हैं। सुरक्षा बल अपने सीमा क्षेत्र से बाहर जाकर भी ऑपरेशन को अंजाम देते हैं।

ड्राइव फॉर हंट

ड्राइव फॉर हंट की रणनीति नक्सलियों की ओर से घने जंगल का सहारा लेकर ठिकाना बदलने का तोड़ है। इसके अंतर्गत एक तरफ से तलाशी ली जाती है और दाहिने- बाएं और सामने से नक्सलियों को रोकने के लिए स्पॉट पार्टियां लगाई जाती हैं। उन्हें घेराबंदी के जाल में फंसाया जाता है। फिर पहले से तय स्पॉट पर चारों तरफ से फायरिंग की जाती है।

भौगोलिक स्थिति से अवगत कराया गया

दोनों रणनीतियों पर काम करने के साथ ही इसमें शामिल जवानों को क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत कराया गया है। दुर्गम रास्तों के लिए विशेष सुरक्षा प्रणाली के जूते मुहैया कराए गए हैं। खड़ी पहाडि़यों से नक्सलियों को घेरकर मारने की नई रणनीति पर काम हो रहा है। नक्सलियों के बड़े नेता जहां बैठक कर रहे हैं वहां की जानकारी जुटाने में सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत किया गया है।

प्रदेश में केंद्रीय सुरक्षा बल के चार हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं। स्थानीय पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों के बीच सामंजस्य बढ़ा है। नक्सली अक्सर जहां जुटते हैं, वहां की जानकारी से लैस सुरक्षा बल उन्हीं इलाकों में पूर्वाभ्यास भी कर रहे हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में ही नए कैंप स्थापित किए हैं।

नक्सलियों के बड़े कमांडरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष जवानों की तैनाती की गई है। ग्रामीणों के लिए नियद नेल्लानार योजना (सबसे अच्छा गांव) चलाई जा रही है। हितग्राही ग्रामीणों का सरकार पर भरोसा बढ़ा है। इससे नक्सलियों की सूचनाएं मिलनी आसान हुई हैं। नक्सलियों के वित्तीय तंत्र पर भी कार्रवाई जारी है।

शाह के रोडमैप पर काम

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास (23 से 25 अगस्त) के दौरान नक्सल प्रभावित सात राज्यों की अंतरराज्यीय समन्वय समिति की बैठक की थी। इसमें पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिव, डीजीपी और अर्धसैनिक बलों के अधिकारी शामिल हुए थे। गृह मंत्री ने कहा था कि नक्सली मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सरेंडर करें या फोर्स की कार्रवाई के लिए तैयार रहें। नक्सली पाताल में भी चले जाएं तो भी हम उन्हें मार गिराएंगे।

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