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    Cheteshwar Pujara: ‘मुझे कोई अफसोस नहीं, मां का सपना पूरा हुआ’, रिटायरमेंट के बाद बोले चेतेश्वर पुजारा

    Cheteshwar Pujara ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। 103 टेस्ट मैचों में 7195 रन बनाने वाले पुजारा ने रिटायरमेंट के बाद कहा कि यह आगे बढ़ने का सही समय है और उन्हें कोई पछतावा नहीं है। साथ ही पुजारा ने अपने करियर की सबसे यादगार उपलब्धि 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज को बताया। उन्होंने अपनी मां और गुरु का भी आभार व्यक्त किया।

    By Priyanka Joshi Edited By: Priyanka Joshi Updated: Mon, 25 Aug 2025 09:40 AM (IST)
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    Cheteshwar Pujara ने रिटायरमेंट के बाद दिया बयान

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Cheteshwar Pujara Retirement: भारतीय टेस्ट क्रिकेट के अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने रविवार यानी 24 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। 37 साल के पुजारा ने अपने करियर में 103 टेस्ट खेले और 7195 रन बनाए। उनके बल्ले से 19 शतक 43 से ज्यादा की औसत से निकले।

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    पिछले दो साल से वह टेस्ट क्रिकेट से बाहर थे और अब उन्होंने बिना किसी पछतावे के संन्यास लेने का फैसला किया। पुजारा ने साफ कहा कि अब सही समय है जब उन्हें आगे बढ़ जाना चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि उन्हें इस फैसले से कोई अफसोस नहीं हैं।

    Cheteshwar Pujara ने रिटायरमेंट के बाद दिया बयान

    दरअसल, पुजारा (Cheteshwar Pujara Retirement) ने अपने होमटाउन में मीडिया कॉन्फ्रेंस में बातचीत करते हुए कहा,

    "कोई पछतावा नहीं है। मुझे लंबे समय तक भारत के लिए खेलने का मौका मिला, जो हर खिलाड़ी को नहीं मिलता। मैं अपने परिवार और सभी लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया।"

    संन्यास के बाद भी पुजारा क्रिकेट से जुड़े रहेंगे। वह पहले ही इंग्लैंड सीरीज में कमेंट्री कर चुके हैं और अब इसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अब मैं क्रिकेट नहीं खेलूंगा लेकिन भारतीय टीम को देखते रहूंगा और कमेंट्री करता रहूंगा। मेरे लिए ये भी गर्व की बात होगी।

    करियर की सबसे बड़ी यादें

    बता दें कि चेतेश्वर पुजारा ने साल 2010 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टेस्ट डेब्यू किया था, लेकिन 2012 में राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद टीम का नंबर-3 स्थान उन्होंने मजबूती से अपने नाम किया।

    उनके करियर की सबसे यादगार उपलब्धि 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज रही, जहां उन्होंने तीन शतक लगाकर 521 रन बनाए और 1258 गेंदें का सामना किया था।

    साथ ही उन्होंने अपने डेब्यू को भी याद किया जब ड्रेसिंग रूम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे दिग्गज मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वो मेरे करियर का सबसे गर्व वाला पल था।

    मां का सपना किया पूरा

    अपनी मां रीना पुजारा (Cheteshwar Pujara News) को याद करते हुए चेतेश्वर पुजारा भावुक हो गए। साल 2005 में पुजारा की मां का कैंसर से निधन हो गया था। पुजारा ने कहा कि मां हमेशा कहती थीं कि एक दिन बेटा इंडिया के लिए खेलेगा। आज उनकी बात सच हुई। उन्होंने मुझे हमेशा सिखाया कि इंसान पहले अच्छा होना चाहिए, फिर बड़ा खिलाड़ी बनना।

    इस दौरान उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु हरिचरण दास जी महाराज का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि गुरुजी ने हमेशा मुझे सिखाया कि दबाव वाली स्थिति में भी शांत रहना है, चाहे क्रिकेट हो या जीवन। उनकी वजह से मैं संतुलित रह सका।

    बता दें कि पुजारा भले ही मैदान पर बैट हाथ में नहीं उठाएंगे, लेकिन खेल से उनका नाता बना रहेगा। वह कमेंट्री करते हुए नजर आएंगे।

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