EXCLUSIVE INTERVIEW: पाकिस्तान को हराने वाली जिंबाब्वे के भारतीय रणनीतिकार से जानिए जीत की कहानी...
लालचंद राजपूत ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान पर जीत से जिम्बाब्वे को फायदा जरूर होगा। इस वर्ल्ड कप में अब तक जिम्बाब्वे का प्रदर्शन अच्छा रहा है और ये टीम अपनी कोई साख सो वापस पाने में सफल रहेगी।
By Sanjay SavernEdited By: Updated: Fri, 28 Oct 2022 02:22 PM (IST)
टी20 वर्ल्ड कप 2022 में जिम्बाब्वे ने ग्रुप मैच में पाकिस्तान को एक रन से हरा दिया और इस जीत के बाद इस टीम के हौसले सातवें आसमान पर हैं। जिम्बाब्वे ने क्वालिफाइंग मुकाबलों के जरिए सुपर-12 में जगह बनाई और पाकिस्तान को हराकर इस टीम ने साबित कर दिया कि ये टीम इस वर्ल्ड कप में उलटफेर कर सकती। अब जिम्बाब्वे के प्रदर्शन व खिलाड़ियों को लेकर इस टीम के पूर्व हेड कोच व मौजूदा टेक्निकल डायरेक्टर लालचंद राजपूत से दैनिक जागरण के संवाददाता अभिषेक त्रिपाठी से खास बातचीत की।
लालचंद राजपूत ने कहा कि मैं पिछले तीन-चार साल से लगातार इस टीम के साथ काम कर रहा हूं और अब ये टीम अच्छी बन गई है। आपने हमारा प्रदर्शन देखा कि हम किस तरह से अच्छी-अच्छी टीमों को हरा रहे हैं। पहले 2018 में जब मैं इस टीम के साथ जुड़ा था तब ऐसा लगता था कि ये टीम बिल्कुल ही खराब है और नीचे है, लेकिन हमने काफी मेहनत की। टीम में युवा खिलाड़ी आए हैं और सीनियर खिलाड़ी भी मौजूद हैं तो दोनों का मिश्रण काफी अच्छा है। हमारी गेंदबाजी अच्छी हो गई है और हमने फील्डिंग पर भी काम किया है। पाकिस्तान के खिलाफ आपने देखा कि हमारी फील्डिंग और बालिंग कितनी शानदार थी और इसकी वजह से ही हमने मैच जीता।
-सिकंदर रजा पाकिस्तान के लिए खेलना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और अब वो जिम्बाब्वे के लिए खेल रहे हैं। तो आपकी जगह रजा से बात होती है तो उनका इसे लेकर किस तरह का माइंड सेट है?
-- देखिए हर खिलाड़ी की इच्छा होती है कि वो मैदान पर अच्छा करें और विरोधी टीम को हराए। पाकिस्तान के खिलाफ हमारी टीम की बल्लेबाजी उतनी अच्छी नहीं रही थी, लेकिन दूसरी पारी में सिकंदर रजा ने जो तीन विकेट मध्य में लिए उसकी वजह से पूरा खेल ही बदल गया। रजा ना सिर्फ बल्लेबाजी बल्कि गेंदबाजी में भी शानदार प्रदर्शन टीम के लिए कर रहे हैं और आपने देखा कि उन्हें मैन आफ द मैच का खिताब मिला।
- पहले आप हेड कोच थे और अब आप टेक्निकल डायरेक्टर हैं तो दोनों पदों पर काम करते हुए आपने टीम में किस तरह के सुधार किए? -- जब मैं टीम का कोच बना तब जिम्बाब्वे की टीम 2019 वनडे वर्ल्ड कप में क्वालीफाई नहीं कर पाई थी तो मेरा पहला गारगेट था कि हम वर्ल्ड कप के लिए पहले क्वालीफाई करें। फिर मैं लगा रहा और बीच में कोविड आ गया और फिर सबकुछ बंद हो गया, लेकिन हम लगे रहे, जुड़े रहे कि करना है करना है और इस बार हम क्वालीफाई कर गए। उसके बाद जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने मुझसे कहा कि अब हम आपको टेक्निकल डायरेक्टर बनाना चाहते हैं तो अब में सिर्फ एक ही टीम नहीं बल्कि हरेक टीम को मैं देख रहा हूं।
- जीत के बाद किस तरह का अहसास था और भारत की टी20 वर्ल्ड कप (2007) जीत में आप टीम का हिस्सा थे तो क्या उसका अनुभव जिम्बाब्वे को संवारने में कितना काम आया? -- देखो टीम इंडिया के साथ काम करने का अनुभव काम तो आया। हमने खिलाड़ियों को उस तरह से तैयार किया, लेकिन ग्राउंड पर प्लेयर्स को ही खेलना होता है क्योंकि हमलोग ग्राउंड पर नहीं जा सकते हैं। हमलोग टीम के मानसिक तौर पर बेहतर करने साथ ही विरोधी टीम के खिलाफ क्या प्लान होना चाहिए इसमें टीम की मदद करते हैं।
- जिम्बाब्वे की टीम में एंडी फ्लावर, ग्रांड फ्लावर जैसे खिलाड़ी थे और इस टीम को अच्छा माना जाता था पर अब स्थिति अलग है, लेकिन इस जीत से जिम्बाब्वे टीम को कितना फायदा होगा साथ ही वर्ल्ड क्रिकेट को भी इसका कुछ फायदा मिलने वाला है। इसके अलावा इन टीम अन्य खिलाड़ियों के बारे में भी बताएं? -- देखो पाकिस्तान पर जीत से जिम्बाब्वे को फायदा तो जरूर होगा। आपने कहा कि ये टीम पहले काफी अच्छी थी और टीम में काफी बेहतरीन प्लेयर्स हुआ करते थे जो सबके टक्कर देते थे। इसके बाद ये टीम नीचे आ गई और अभी हमने मेहनत की है तो लोगों को पता चला है कि जिम्बाब्वे की टीम भी टक्कर दे सकती है। टीम अच्छा खेल रही है और प्लेयर का मनोबल बढ़ा है। जब टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती तो खिलाड़ियों का मनोबल भी नीचे होता है। जब प्रदर्शन नहीं टीम का तो बड़ी टीमों के साथ खेलने का मौका नहीं मिलता, खिलाड़ियों को पैसे कम मिलते हैं, लेकिन अब टीम अच्छा करती है तो बड़े टीमों से अपना मुकाबला होगा, आपको मेहनताना ज्यादा मिलेगा। मुझे लगता है कि इस वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे की टीम आगे आ गई है।
- भारत और जिम्बाब्वे के क्रिकेट में क्या फर्क है और आपने यहां पर किस कमी को दूर करने के लिए सोचा? -- देखो भारत और जिम्बाब्वे के क्रिकेट में काफी फर्क है। भारत के पास अच्छा खेल ढ़ांचा है, सुविधा मौजूद है, लेकिन जिम्बाब्वे में सुविधा उतनी अच्छी नहीं है। उनसे पास सिर्फ दो मैदान है और उनके पास स्पानरशिप की कमी है और पैसे नहीं है, लेकिन वो फिर भी मैनेज करते हैं। उनके पास जितना ही है उसमें से ये अच्छा करने की कोशिश करते हैं। जिम्बाब्वे की तुलना बड़ी टीमों के साथ नहीं की जा सकती है, लेकिन जो मुख्य बातें हैं वो है मेहनत, पैशन व लगन और इसकी कमी इस टीम के खिलाड़ियों के पास नहीं है।