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'पागलपन का कोई नया तरीका...' वीरेंद्र सहवाग ने बैजबॉल क्रिकेट का उड़ाया मजाका, लपेटे में फंस गया अंग्रेज कप्तान

धर्मशाला में खेले गए पांचवें और आखिरी टेस्ट मैच के तीसरे दिन भारत ने पारी और 64 रन से जीत दर्ज की। अश्विन ने पांच विकेट चटकाए। कुलदीप और जसप्रीत बुमराह को 2-2 विकेट मिले। इंग्लैंड की तरफ से जो रूट ने 84 रन की पारी खेली। भारत के सीरीज जीतने के बाद वीरेंद्र सहवाग ने बैजबॉल क्रिकेट का मजाक उड़ाया।

By Umesh Kumar Edited By: Umesh Kumar Updated: Sat, 09 Mar 2024 07:10 PM (IST)
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सहवाग ने इंग्लैंड के बैजबॉल क्रिकेट का उड़ाया मजाक। फोटो- एपी
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने इंग्लैंड को पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 4-1 से मात दी। भारत के सीरीज जीतने के बाद पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने बैजबॉल क्रिकेट का मजाक उड़ाया। सहवाग ने कहा कि अगर इंग्लैंड को जीत का स्वाद चखाना है तो उन्हें पागलपन का कोई नया तरीका अपनाना होगा।

धर्मशाला में खेले गए पांचवें और आखिरी टेस्ट मैच के तीसरे दिन भारत ने पारी और 64 रन से जीत दर्ज की। अश्विन ने पांच विकेट चटकाए। कुलदीप और जसप्रीत बुमराह को 2-2 विकेट मिले। इंग्लैंड की तरफ से जो रूट ने 84 रन की पारी खेली।

सहवाग ने उड़ाया मजाक

भारत के सीरीज जीतने के बाद वीरेंद्र सहवाग ने बैजबॉल क्रिकेट का मजाक उड़ाया। सहवाग ने कहा कि विशाखापत्तनम में दूसरे टेस्ट मैच के बाद बेन स्टोक्स की टीम पूरी तरह से भटक गई। सीरीज से पहले इंग्लैंड का सारा फोकस बैजबॉल क्रिकेट पर था, लेकिन भारत ने मेहमान टीम की यह रणनीति पर पानी फेर दिया।

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सहवाग ने एक्स हैंडल पर लिखा, बैजबॉल, बत्ती गुल। पागलपन के लिए कोई तरीका होना चाहिए। इंग्लैंड के पास मुकाबला करने लायक कोई नया उपाय नहीं था और वह खेल से भटक गए थे, खासकर दूसरे टेस्ट मैच के बाद।

बेन स्टोक्स को भी लिया लपेटे में

इतना ही नहीं सहवाग ने यह भी कहा कि स्टोक्स की खराब फॉर्म से मेहमान टीम को कोई मदद नहीं मिली। 5 टेस्ट मैचों में, इंग्लिश कप्तान ने 19.90 के औसत और 54.22 के स्ट्राइक रेट से 199 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 70 रहा। इसके अलावा एक विकेट लिया।

सहवाग ने कहा, कप्तान के बुरी तरह असफल होने से उनकी मुसीबतें और बढ़ गईं और ऐसा लग रहा था जैसे वे भ्रम में जी रहे हैं। बैजबॉल क्रिकेट को सफल बनाने के लिए पागलपन की एक नए उपाय की आवश्यकता है, जिसका इंग्लैंड में गंभीर अभाव था।

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