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T20WC 2022: आइपीएल का सहारा लेकर भारतीय खिलाड़ियों को निशाना बनाना ठीक नहीं- सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर ने कहा कि भारतीय टीम को सेमीफाइनल में सिर्फ उनकी गेंदबाजी के चलते ही हार नहीं मिली जो तेजतर्रार नहीं थी बल्कि बल्लेबाजों की वजह से भी मिली जो पारी के आखिरी लम्हों में नींद से जागे।

By Sanjay SavernEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 08:08 AM (IST)
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भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी (एपी फोटो)

सुनील गावस्कर का कालम

हर खेल में एक विजेता होता है और एक पराजित, लेकिन मौजूदा टी-20 विश्व कप 2022 में टीम इंडिया की करारी हार ने भारतीय फैंस को स्तब्ध कर दिया है। रोहित एंड कंपनी के लिए ये उस तरह की हार नहीं है जिससे टीम इंडिया की कमजोरियों पर पर्दा डल जाए, बल्कि इस हार ने भारतीय टीम के साथ उन सीनियर खिलाड़ियों पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं जिनका टी-20 विश्व कप 2022 में प्रदर्शन बेहद औसत रहा। टी-20 बेशक युवाओं का खेल है, लेकिन टीम को युवा और अनुभव का अच्छा मिश्रण चाहिए होता है।

साल 2007 में जब भारतीय टीम ने टी-20 विश्व कप का पहला एडिशन खेला था तब टीम के टेस्ट कप्तान राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण ने इस टूर्नामेंट के लिए अपनी अनुपलब्धता जता दी थी, जिसकी वजह से चयन समिति को युवा खिलाडि़यों की ऐसी टीम चुनने का मौका मिला जिसने मैदान में शेरों की तरह फील्डिंग की। फील्डिंग एक अहम पहलू है, खासकर खेल के सबसे छोटे प्रारूप में और इस विश्व कप में भारतीय टीम में एक से ज्यादा ऐसे फील्डर थे जिन्हें मैदान में छिपाने की जरूरत पड़ रही थी। ऐसे में अब भारतीय टीम पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर दुनिया की बेस्ट टी-20 लीग होने के बावजूद भारतीय टीम आइसीसी टूर्नामेंट जीतने में क्यों नाकामयाब साबित हो रही है।

इस तरह के सुझाव भी सामने आ रहे हैं कि भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी टी-20 लीग में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी जानी चाहिए ताकि इससे उन्हें अधिक अनुभव और एक्सपोजर मिल सके। इस सवाल का जवाब काफी आसान है। इंग्लैंड के पास दुनिया की सबसे प्रचारित फुटबाल लीग ईपीएल है, लेकिन क्या इंग्लैंड ने अब तक विश्व कप यहां तक कि क्या दशकों से यूरोपियन कप जीता है? इंग्लैंड के खिलाड़ी यूरोप की दूसरी लीग में भी हिस्सा लेते हैं। ऐसे में जिस देश में दुनिया की बेस्ट लीग खेली जा रही है या वहां के खिलाड़ी दूसरी लीग में खेल रहे हैं वो भी बहुदेशीय टूर्नामेंट जीतने की गारंटी नहीं दे सकती। बिग बैश लीग होने के बावजूद आस्ट्रेलियाई टीम पिछले साल ही टी-20 विश्व कप जीत सकी थी।

पीएसएल और इंग्लैंड की टी-20 लीग भी इन देशों को नियमित रूप से चैंपियन नहीं बना रही है। ये बात अलग है कि अगर मेलबर्न का मौसम नहीं बिगड़ता तो इनमें से कोई एक टीम इस बार चैंपियन बन जाएगी। आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंकाई खिलाड़ी आइपीएल समेत दुनिया की अन्य लीग में भी खेलते हैं लेकिन क्या ये देश फाइनल में पहुंचे? ऐसे में हमें भारतीय खिलाड़ियों पर आइपीएल का सहारा लेकर हमला नहीं करना चाहिए। आइपीएल की टीम इस दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग है और इसे ऐसा बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि भारतीय खिलाड़ियों को इस लीग तक सीमित रखा जाए, खासकर तब जबकि भारतीय क्रिकेट का घरेलू सत्र भी चल रहा हो और अगर ये भारतीय खिलाड़ी विदेशी टी-20 लीग में हिस्सा लेने लगे तो इनका वर्कलोड कैसे मैनेज होगा।

भारतीय टीम को सेमीफाइनल में सिर्फ उनकी गेंदबाजी के चलते ही हार नहीं मिली जो तेजतर्रार नहीं थी बल्कि बल्लेबाजों की वजह से भी मिली जो पारी के आखिरी लम्हों में नींद से जागे। अगर हार्दिक पांड्या सेमीफाइनल में वो जबरदस्त पारी नहीं खेलते तो शायद टीम 150 के करीब भी नहीं पहुंचती। यही एक आसान सा क्रिकेटीय कारण है और ये किसी भी दिन किसी भी टीम के साथ हो सकता है। हमने ये तब भी देखा जब आयरलैंड ने इंग्लैंड और नीदरलैंड्स ने दक्षिण अफ्रीका को मात दी। यही टी-20 क्रिकेट की वास्तविकता है। कोई भी टीम जीत सकती है। बेशक भारतीय टीम हार गई, लेकिन वो इसलिए क्योंकि इंग्लैंड उस दिन उससे बेहतर साबित हुई।