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जवागल श्रीनाथ ने मजबूरी में लिया था संन्यास, कहा- एक साल और खेल सकता था

साल 2003 में Javagal Srinath ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा था और सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की थी।

By Viplove KumarEdited By: Updated: Sun, 21 Jun 2020 03:48 PM (IST)
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जवागल श्रीनाथ ने मजबूरी में लिया था संन्यास, कहा- एक साल और खेल सकता था
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट के दिग्गज तेज गेंदबाजों में शुमार जवागल श्रीनाथ का मानना है उन्होंने संन्यास लेने में जल्दी की। वो भारत को अपनी सेवा कम से कम एक साल ज्यादा दे सकते थे। साल 2003 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा था और सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की थी।

सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने साल 2003 में आईसीसी विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई थी। इस टूर्नामेंट में श्रीनाथ का प्रदर्शन लाजवाब था और 11 मैचों में उन्होंने 16 विकटें हासिल की थी। स्टार स्पोर्ट्स के शो क्रिकेट कनेक्टेड पर श्रीनाथ ने अपने दिल की बात कही और सन्यास की बातों को सामने रखा। उन्होंने कहा, "मेरे हाथ और घुटने नीचे जा चुके थे। उस वक्त जहीर और आशीष टीम में आ चुके थे। जब मैं खेलता था तो उन दोनों में से किसी एक को ही मौका मिल पाता था। मैं भी ऐसे ही हालात से गुजरा था जब कपिल देव और मनोज प्रभाकर टीम में खेलते थे।"

 

चोट की वजह से लेना पड़ा सन्यास  

"कभी कभी पिच पर जब सिर्फ दो तेज गेंदबाज हुआ करते थे तो काफी मु्श्किल हो जाता था और मुझे भारतीय पिचों पर गेंदबाजी करना काफी मुश्किल लगता था। मैं 33 साल का हो चुका था शायद मैं एक साल और खेल सकता लेकिन मेरे घुटने ने इस बहुत ज्यादा मुश्किल बना दिया।'

"मेरे साथ दो और तीन गेंदबाजों को लगातार होना चाहिए था। वेंकी (वेंकटेश प्रसाद) मेरे साथ पांच से छह साल तक रहे थे लेकिन बाकी के लोग लगातार बदलते रहे। जब ऐसा होता है तो टीम की गेंदबाजी का गति सही नहीं रह पाती। हमने रणनीति बनाई लेकिन बदलाव की वजह से यह मु्श्किल हो गया। इसके बाद जहीर और आशीष आए और काफी तेजी से चीजें बेहतर हुई। उस वक्त हम नजीता देने लगे थे। अनिल और हरभजन ने साथ मिलकर बेहतरीन स्पिनर जोड़ी बनाई।"