Shardul Thakur इस खिलाड़ी के संन्यास पर हुए भावुक, याद किया वो समय जब नहीं थे रुपये तो इस खिलाड़ी ने जूते देकर की थी मदद
शार्दुल ठाकुर ने रणजी ट्रॉफी फाइनल के दौरान धवल कुलकर्णी से जुड़ा एक बेहद भावुक किस्सा शेयर किया। धवल कुलकर्णी अपने फर्स्ट क्लास करियर का आखिरी मुकाबला खेल रहे हैं। शार्दुल ठाकुर ने कहा कि धवल कुलकर्णी का संन्यास उनके लिए भावुक पल होगा क्योंकि जरुरत के समय में सीनियर खिलाड़ी ने उनकी मदद की थी। शार्दुल ठाकुर ने जानें धवल कुलकर्णी से जुड़ा कौन सा किस्सा शेयर किया।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई और विदर्भ के बीच रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला वानखेड़े स्टेडियम पर खेला जा रहा है। मुंबई की प्लेइंग 11 में अचानक की अनुभवी तेज गेंदबाज धवल कुलकर्णी की एंट्री हुई क्योंकि मोहित अवस्थी चोटिल होने के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे।
धवल कुलकर्णी अपने करियर का 96वां और आखिरी फर्स्ट क्लास मैच खेलने उतरे। धवल कुलकर्णी ने शार्दुल ठाकुर के साथ नई गेंद की जिम्मेदारी संभाली। 35 साल के धवल कुलकर्णी ने विदर्भ की पहली पारी में 11 ओवर में 5 मेडन सहित 15 रन देकर तीन विकेट झटके। उन्होंने मुंबई को पहली पारी के आधार पर 119 रन की बढ़त हासिल करने में अहम भूमिका निभाई।
शार्दुल ठाकुर ने याद किया वो पल
शार्दुल ठाकुर ने याद किया कि कैसे धवल कुलकर्णी ने उनके बुरे समय में मदद की थी। 'पालघर एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर शार्दुल ठाकुर ने बताया कि जब उनके पास रुपये नहीं थे, तब धवल कुलकर्णी ने उन्हें नए जूते खरीदकर दिए थे।यह भी पढ़ें: खत्म हुआ लंबा इंतजार, फॉर्म में लौटे Ajinkya Rahane; खूबसूरत कवर ड्राइव के साथ पूरा किया अर्धशतक- VIDEO
धवल कुलकर्णी और मेरे लिए रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला बेहद भावुक करने वाला पल है क्योंकि वो अपना आखिरी मैच खेल रहे हैं। मैंने धवल कुलकर्णी को बचपन से देखा है। उन्होंने गेंदबाजी में मेरी काफी मदद की है। जब मेरे पास रुपये नहीं थे, तब धवल कुलकर्णी ने मुझे नए जूते दिलाकर मेरी मदद की थी। उन्होंने मेरी काफी मदद की।
शार्दुल ने बचाई लाज
मुंबई की पहली पारी में हालत खराब थी। तब शार्दुल ठाकुर ने 69 गेंदों में 8 चौके और तीन छक्के की मदद से 75 रन बनाकर टीम की लाज बचाई। मुंबई की टीम पहली पारी में 224 रन पर ऑलआउट हुई, जिसमें शार्दुल ठाकुर का योगदान सबसे ज्यादा रहा। ठाकुर ने खुलासा किया कि उनमें लड़ने का जज्बा इस तरह आया कि वो रोजाना पालघर से साउथ मुंबई जाते थे और तमाम परेशानियों से पार पाते हुए अपना क्रिकेट जारी रखा।
मुझे मुश्किल परिस्थिति में खेलना पसंद है। मैंने जिस तरह जिंदगी जी है कि पालघर से मुंबई तक लोकल ट्रेन में किट बैग लेकर जाता था, जो कि आसान नहीं है। तो मेरे ख्याल से इसने मुझे मजबूत बनाया। यही वजह है कि जब भी मुश्किल परिस्थिति का सामना करना पड़ता था, चुनौतीपूर्ण स्थिति होती थी, तो कुछ अलग परिणाम नहीं होता था। जब मैं बड़ा हो रहा था तो अपने दिमाग का पर्याप्त उपयोग करने लगा था।