'क्या भारत में 'बाजबॉल' शैली करेगी काम? WTC 2024-25 से पहले Sunil Gavaskar ने उठाया बड़ा सवाल
सबसे महान टेस्ट सीरीज में एक एशेज पिछले सप्ताह संपन्न हुई जिसमें दोनों टीमों ने दो-दो मैच जीते। मैनेचेस्ट में ड्रा हुए टेस्ट मैच में घरेलू टीम का दबदबा था लेकिन अंतिम दिन वर्षा के कारण खेल नहीं हो सका और मैच ड्रा रहा। ये मुझे उसी स्थिति में ले गया जब 1971 में इसी मैदान पर भारत को वर्षा ने बचा लिया था।
By Jagran NewsEdited By: Priyanka JoshiUpdated: Sun, 06 Aug 2023 08:37 AM (IST)
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। सबसे महान टेस्ट सीरीज में एक एशेज पिछले सप्ताह संपन्न हुई, जिसमें दोनों टीमों ने दो-दो मैच जीते। मैनेचेस्ट में ड्रा हुए टेस्ट मैच में घरेलू टीम का दबदबा था, लेकिन अंतिम दिन वर्षा के कारण खेल नहीं हो सका और मैच ड्रा रहा। ये मुझे उसी स्थिति में ले गया जब 1971 में इसी मैदान पर भारत को वर्षा ने बचा लिया था और हमने अगला टेस्ट मैच जीतकर इंग्लैंड को उसी के घर में पहली बार हराया और पहली बार सीरीज भी जीती थी।
इस बार इंग्लैंड के समर्थक ये दावा कर रहे हैं कि ये सीरीज उन्होंने जीती क्योंकि उन्होंने बेहतर क्रिकेट खेला, लेकिन दुख की बात है कि काल्पनिक और नैतिक जीत का कोई अंक नहीं मिलता और अगर स्कोरकार्ड को देखा जाए या दशकों बाद भी ये देखा जाएगा तो पता चलेगा कि ये सीरीज ड्रा रही।यह देख कर अच्छा लगा कि इंग्लैंड की नजरें अगले वर्ष भारत में होने वाली टेस्ट सीरीज पर हैं और वे सोच रहे हैं कि क्या भारतीय पिचों पर भारतीय स्पिनरों के सामने 'बाजबॉल' शैली काम करेगी या नहीं? ये देखना रोचक होगा कि भारत में उनका नया आक्रामक दष्टिकोण कैसा रहता है। पिछले सप्ताह समाप्त हुआ दूसरा बड़ा आयोजन अमेरिका में मेजर क्रिकेट लीग था।
भारत के खिलाफ बाजबॉल शैली करेगी काम?
सुनील गावस्कर ने लिखा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सफल रही। ये सिर्फ भीड़ नहीं थी, जो उमड़ी बल्कि क्रिकेट की गुणवत्ता ने दिखाया कि क्यों ये इतनी सफल रही। फाइनल में निकोलस पूरन की पारी अद्भुत थी। टी-20 क्रिकेट में इतने साफ, शक्तिशाली और तकनीकी रूप से सही शाट शायद ही कभी देखे गए हों, जितने मुंबई इंडियंस न्यूयार्क के कप्तान के बल्ले से निकले थे।
टीम कठिन लक्ष्य का पीछा कर रही थी और उसने ओवर शेष रहते इसे प्राप्त भी कर लिया, इसलिए पूरन की बल्लेबाजी इतनी विस्फोटक थी। मुंबई इंडियंस का कट्टर समर्थक होन के कारण मेरे लिए उसका ट्राफी जीतना वास्तव में आनंददायक था। टूर्नामेंट की सफलता ने निश्चित रूप से इंग्लैंड के लिए संकट की घंटी बजाएगी क्योंकि उसके कई क्रिकेटर जेसन राय का अनुसरण कर सकते हैं, जिन्होंने एमएलसी में खेलने के लिए ईसीबी का अनुबंध छोड़ दिया था।
एमएलसी शीर्ष क्रिकेटरों को ईसीबी द्वारा आयोजित द हंड्रेड और टी-20 ब्लास्ट की तुलना में ज्यादा राशि देगा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वे आइसीसी पर इस बात का दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि नई लीग की फीस का 10 प्रतिशत का भुगतान उस देश को करना चाहिए, जहां से वह खिलाड़ी आता है। यहां तक कि आइपीएल भी इसका भुगतान कर रहा है और आस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों के बोर्ड आइपीएल में अपने खिलाडि़यों के लिए मिलने वाले 10 प्रतिशत से लाखों कमा रहे हैं।
बीसीसीआइ को अब यह कहना चाहिए कि ईसीबी और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को भी अपनी लीग में विदेशी खिलाड़ियों की फीस का 10त्न उन देशों को देना होगा जहां से वे आते हैं। अन्यथा वे विदेशी खिलाडि़यों के बोर्ड को 10 प्रतिशत का भुगतान बंद कर देंगे। किसी भी एनओसी के रोके जाने का कोई खतरा नहीं है क्योंकि खिलाड़ी खुद विद्रोह करेंगे और अपने अनुबंध तोड़ देंगे और खुद को पैसों से भरपूर आइपीएल के लिए उपलब्ध करा देंगे। यदि वास्तव में ऐसा होता है तो आने वाला समय दिलचस्प होगा।