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जीत के लिए भारतीय टीम को तोड़ना होगा विदेशी पिचों का चक्रव्यूह

विराट कोहली की कप्तानी में जीत की तलाश विदेशी दौरों पर खराब रहा है टीम इंडिया का रिकॉर्ड

By Ravindra Pratap SingEdited By: Updated: Mon, 01 Jan 2018 01:41 PM (IST)
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जीत के लिए भारतीय टीम को तोड़ना होगा विदेशी पिचों का चक्रव्यूह

नई दिल्ली, [अभिषेक त्रिपाठी]। भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट सीरीज में घर में तो शेर नजर आती है लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर ढेर हो जाती है। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में उसका हाल बुरा हो जाता है। जब वेस्टइंडीज में तेज पिचें होती थीं और वहां के तेज गेंदबाजों का विश्व भर में खौफ था तब भी भारत को वहां टेस्ट सीरीज जीतने में नाकामी ही मिली। हालांकि अब कैरेबियाई टीम की हालत पहले जैसी नहीं है इसलिए टीम इंडिया ने वहां जीतना भी शुरू कर दिया है।

हाल के दिनों में न ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में वह तेजी रही है और न ही दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में लेकिन इसके बावजूद भारतीय टीम इस चक्रव्यूह को तोड़ने में असफल रही है। भारतीय टीम पिछले दो साल में अपने सबसे कठिन दौरे के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंच चुकी है।भारत पिछले छह दौरों पर वहां पर कोई भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया है। अब देखना है कि विराट एंड कंपनी इस चक्रव्यूह को तोड़ पाती है या नहीं।

क्या है पिच का खेल :

भारतीय टीम जब भी विदेश में खेलने जाती थी तो उसे वहां की परिस्थितियों से तो सामंजस्य बैठाने में दिक्कत होती ही थी, साथ ही तेज गेंदबाजों की मुफीद पिचों पर बल्लेबाजी करने में भी परेशानी होती थी। मैल्कम मार्शल, ग्लेन मैक्ग्रा, कर्टली वाल्स, रिचर्ड हेडली और एलन डोनाल्ड जैसे गेंदबाजों के आगे भारतीय बल्लेबाज पस्त हो जाते थे। वेस्टइंडीज में जहां बेहतरीन तेज गेंदबाज थे तो ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड व दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर खतरनाक बाउंस के साथ स्विंग का सामना करना पड़ता था।

यही कारण है कि सुनील गावस्कर जैसे कुछ बल्लेबाजों को छोड़ दो तो बाकी भारतीयों की वहां सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती थी। भारत के पास पहले तेज गेंदबाजों की फौज भी नहीं थी। वहीं जब विदेशी टीमें भारत में खेलने आती हैं तो उन्हें स्पिन ट्रैक मिलते हैं। भारत के पास हमेशा से अच्छे स्पिनर रहे हैं और यही कारण है कि उसे अपने घर में हार के सापेक्ष ज्यादा जीत मिलीं।

विदेशी दौरों पर बुरा हश्र :

1932 में सीके नायडू की कप्तानी में पहला टेस्ट खेलने वाली भारतीय टीम इफ्तिखार अली खान पटौदी, लाला अमरनाथ, विजय हजारे, वीनू मांकड़, कपिल देव, सुनील गावस्कर, मुहम्मद अजहरुद्दीन, सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले, सौरव गांगुली और एमएस धौनी जैसे दिग्गजों के बाद विराट कोहली की कप्तानी में आगे बढ़ रही है। इस दौरान भारतीय टीम के विदेशी पिचों पर टेस्ट सीरीज जीतने में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ।

1932 से 2017 के बीच भारतीय टीम ने टी-20 और वनडे में विदेशी सरजमीं पर अपने प्रदर्शन को 200 फीसद बेहतर किया लेकिन टेस्ट में उतनी प्रगति नहीं हुई। हालांकि भारत ने विदेशी सरजमीं पर टेस्ट मैच जीतना जरूर शुरू कर दिया है लेकिन टेस्ट सीरीज जीतने का आंकड़ा अब भी कमजोर है।

भारत ने इस दौरान श्रीलंका, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज जैसी टीमों को तो उनके घर में हराया लेकिन ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में अब भी हालत पतली ही रहती है। वर्ष 2007 में टीम इंडिया ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में इंग्लैंड को उसके घर 1-0 से पराजित करके कुछ रास्ता दिखाया था लेकिन 2011 में धौनी की कप्तानी में इंग्लैंड ने अपने घर में 0-4 से और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपने घर में 0-4 से हराकर भारत की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया। वर्तमान में विराट के नेतृत्व वाली टीम को संतुलित बताया जा रहा है और उससे कुछ बेहतर कर गुजरने की उम्मीद भी है।

विराट के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन :

भारतीय टीम ने विदेशी सरजमीं पर 254 टेस्ट खेले हैं जिसमें उसे सिर्फ 45 में जीत मिली है जबकि 106 में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा है। वहीं घरेलू सरजमीं पर उसे 264 टेस्ट में 98 में जीत और 52 में हार मिली है। विराट ने 2014 के आखिर में धौनी के चोटिल होने के कारण ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चार मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच में कप्तानी की थी। भारत यह मैच हार गया था। इसके बाद धौनी ऑस्ट्रेलिया पहुंचे और उन्होंने दूसरे टेस्ट में कप्तानी की लेकिन टीम इंडिया को फिर हाल मिली। तीसरे टेस्ट में धौनी की कप्तानी में मैच ड्रॉ रहा लेकिन भारत सीरीज हार गया। इसके बाद धौनी ने कप्तानी और टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया।

कोहली ने कठिन समय में चौथे टेस्ट में कप्तानी की और मैच ड्रा रहा। उसके बाद से उनकी कप्तानी में भारत ने श्रीलंका और वेस्टइंडीज को और अपने घर में दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को पराजित किया। अब देखना है कि क्या वह दक्षिण अफ्रीका में भी यही सिलसिला बरकरार रख पाते हैं या नहीं। 

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